Tuesday, May 11, 2021

Vinod Agarwal Bhajan lyrics जय जय राधा रमण हरी बोल Jai Jai Radha Raman Hari Bol

 Vinod Agarwal Bhajan lyrics


Jai Jai Radha Raman Hari Bol

जय जय राधा रमण  हरी बोल,जय जय राधा रमण  हरी बोल
जिस सचितानंद ईश्वर को, नेति नेति  बतलाते हैं, उस नन्द नंदन मनमोहन को, हम अपना शीश झुकाते हैं
जिनके स्वागत को नित्य उषा (morning), किरणो की माला लाती है
जिनके स्वागत को प्रात समय, हर कलि फूल बन जाती है
जिन के पद पदम् चूमने को, हर नदी तरंग में आती है
उस नन्द नंदन मनमोहन को, हम अपना शीश झुकाते हैं

जिनके स्वागत को संध्या भी, सोलह श्रृंगार सजाती है
जिनसे मिलने को रजनी (night ) भी, तारों के दीप जलाती है,
जिनकी अति सुन्दर रूप छठा ,हर कण कण में मुस्काती है
उस नन्द नंदन मनमोहन को, हम अपना शीश झुकाते हैं  
जय जय राधा रमण  हरी बोल,जय जय राधा रमण  हरी बोल

जो भृकटि संकेतों से ही ,संसार व्यव्हार चलाते हैं
उत्पन्न की रचना करते हैं ,और प्रलय के द्रिशय दिखाते हैं ,
जीवो का पालन करते हैं ,सृष्टि के नियम बनाते हैं
उस नन्द नंदन मनमोहन को, हम अपना शीश झुकाते हैं

ये सुर नर जल चर नभ चर, जिनकी महिमा को गाते हैं
ऋग ,यजुर, अथर्व और श्याम वेद ,नेति नेति बतलाते हैं (हम नहीं जानते )
इति एक अक्षर ब्रह्मा ,ज्ञानी जन ध्यान लगते हैं
उस नन्द नंदन मनमोहन को, हम अपना शीश झुकाते हैं

योगी ये ध्यान धरे जिनको, तापसी तन की खाक  रमावे, चारों वेद पावत भेद,बड़े त्रिवेदी नहीं गति पावे ,
स्वर्ग मृत्यु पाताल हुँ में ,जाको नाम लिए सभी सर नावें  
ताहि अहीर की छोरियां , छछिया भरी छाछ पे नाच नचावें
जय जय राधा रमण  हरी बोल,जय जय राधा रमण  हरी बोल

मैंने पीली जो मोहन तेरे नाम की, प्यास बढ़ती गयी और तलब जाम की
होश भी रहा, दिल में कुछ रहा, मैंने नज़रों ही नज़रों जो बात की
खाक हम हो गए इश्क़ के दौर में, कुछ तो कमज़ोर हम, कुछ रज़ा आपकी
तुमने लूटा मज़ा, हम रोते रहे, रोते रोते लगन फिर भी है आपकी
जय जय राधा रमण  हरी बोल,जय जय राधा रमण  हरी बोल

Monday, May 10, 2021

Vinod Agarwal Bhajan lyrics दिखला के झलक तुम छुप ही गये dikha ke jhalak tum chup hi gaye

 Vinod Agarwal Bhajan lyrics


dikha ke jhalak tum chup hi gaye

दिखला के झलक तुम छुप ही गये ,जी भर के नज़ारा हो सका
दीदार हुआ एक बार मगर, दीदार दुबारा हो सका  

तूने दीवाना बनाया तो मैं दीवानी बनी
अब मुझे होश की दुनिया में तमाशा बना
अब मैं बुद्धि जीवियों में जी नहीं पायूँगी ,क्योंकि मेरी बुद्धि का विलय हो गया है
है ये तमन्ना कि आज़ादे तमन्ना ही रहूँ, इसलिए दिले मायूस को अब और तमन्ना बना

ये मन में मिलन की अग्नि लगाकर तुम चले गए, तुमने सोचा कि out of sight,out of mind ,no  no my dear , मैं जानती हूँ कि जिसमें एक लम्बा इंतज़ार होता है, तब कहीं जाकर मोहब्बत का इकरार होता है
जितना तुम हमसे छिपते गए,उतनी ही मोहब्बत बढ़ती गयी
तुमने तो किनारा कर ही लिया,हमसे तो किनारा हो सका

अंजाम हमें मालूम था , भूले से मोहब्बत कर बैठे
हमने दिल भी दिया और जान भी दी ,पर तू ही हमारा हो सका