Friday, October 1, 2021

भागवत पर ऐतिहासिक प्रवचन - Bhagwat Explained By Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj

भागवत पर ऐतिहासिक प्रवचन -  भागवत को समझाया गया है

Historical discourse on Bhagwat - Bhagwat Explained

https://www.youtube.com/watch?v=FMXnhQMFcu8

Transcript

0:00

मेरे सामने प्रस्ताव रखा है एक महाशय ने

0:07

आज तो आप भागवत ही सुनाइए

0:14

वैसे मुझे ऐसा अभ्यास नहीं है एक ही ग्रंथ पर बोलूं

0:22

मैं तो वेद से लेकर रामायण तक सभी ग्रंथो के

0:27

प्रमाण देते हुए किसी विषय को प्रस्तुत करता हूं

0:33

फिर भी मैं प्रयत्न करूंगा और

0:40

यह भी सत्य है की भागवत सरीखा (जैसा, similar)

0:48

कोई भक्ति का ग्रंथ है ही नहीं

0:54

बना ही नहीं

1:00

इस भागवत के विषय में भागवत

1:10

[संगीत]

1:16

पांचवां वेद है

1:23

पहले स्कंद के तीसरी अध्याय का 40 वां 1.3.40 श्लोक

1:31

सर्व दे देते हंसनम सारंग सारंग समुद्रतम

1:39

पहले स्कंद के तीसरी अध्याय का 42वां श्लोक 1.3.42

1:45

सब शास्त्र हैं

1:52

भागवत में ही लिखा है और गरुड़ पुराण में लिखा है

2:02

ब्रह्म सूत्र [संगीत]

2:11

का अर्थ है

2:18

देखिए

2:27

भगवान ने अपनी शक्ति से

2:32

ब्रह्मा के हृदय में (vedas) वेद  भागवत प्रकट किया

2:39

ब्रह्मा के

2:46

नारद ने वेद व्यास के हृदय में प्रकट किया

2:58

भागवत का निर्माण किया और सुनो

3:05

वेद व्यास ने पहले वेद के चार भाग किये, 1.4.19 शलोक

3:16

वेद में कम

3:24

आलेश्वर

3:30

इसके बाद ब्रह्म सूत्र बनाए

3:37

वेदांत फिर गीता

3:44

फिर महाभारत फिर 18 पुराण में भी भागवत थी संक्षिप्त

3:57

चार लाख का पुराण एक लाख का महाभारत

4:05

555 सूत्रों का ब्रह्म सूत्र

4:10

700 श्लोकों की गीता यह सब बनाने के बाद भी

4:22

वेद व्यास अशांत थे डिप्रेशन (depression) जिसे आप लोग कहते हैं

4:45

वेद व्यास भगवान के अवतार हैं

5:07

और इतने ग्रंथ बना डाले

5:18

तीन वर्ष में और फिर भी अशांत क्यों

5:28

ग्रंथ बनाने से और लेक्चर देने से और लेक्चर सुनने से कुछ नहीं हुआ करता

5:57

नारद जी ने कहा वेदव्यास तुमने भगवान श्री कृष्णा के यश

6:02

गान नहीं किया उनकी लीला कथा का डिटेल में वर्णन नहीं किया

6:09

वरना-आश्रम धर्म का वर्णन बड़ा लंबा चौड़ा महाभारत में किया

6:18

इसीलिए तुम को टेंशन tension है

6:24

तो ऐसा करो की पहले भक्ति करो

6:29

भगवान का दर्शन करो फिर भागवत लिखो

6:53

भगवान की भक्ति की भगवान श्री कृष्णा के दर्शन किया

7:07

तू बहुत ही important है इतना इंपॉर्टेंट है की भक्ति के विषय में मेरा चैलेंज है

7:18

कोई ग्रंथ नहीं उपनिषद वेद भी नहीं

7:30

आप लोग सुनकर

7:56

लेकिन हम तो दूर से नमस्कार करते हैं

8:08

वेद सनातन है लेकिन

8:18

उस उपनिषद के पढ़ने से

8:24

हमारे हृदय में श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम नहीं उभरता

8:31

रोमांच अश्रु ये सात्विक भाव के उदवेग नहीं होते

8:43

ब्रह्म क्या है जीव क्या है माया क्या है लंबा चौड़ा लेक्चर है तत्व

8:51

ज्ञान जिसे कहते हैं लेकिन भगवान की लीलाओं

8:56

का गान नहीं है

9:17

जिसमें भगवान की लीला कथा ना हो तो ब्रह्मा भी बोलें या लिखें तो हमें नहीं सुनना, पड़ना

11 11 20 शलोक, 12.12.48 शलोक

10:17

भागवत सरीखा (जैसा) कोई भक्ति ग्रंथ नहीं है चलिए अब भागवत के द्वारा हम भक्ति का

10:25

निरूपण करने जा रहे हैं भागवत के प्रारंभ में

10:34

ही पहले स्कंद में ही

10:41

परमहंस बैठे हुए थे और सुखदेव

10:49

परीक्षित भी थे तो सूत जी से

10:58

प्रश्न किया

11:07

[संगीत]

11:18

कलियुग के मंद भाग्य

11:43

मनुष्यों के हिसाब से आप ऐसा कोई मार्ग बताइए

11:50

जिससे जीव का लक्ष्य प्राप्त हो जाए

12:04

शास्त्र वेद तो इतने अधिक है की उनको जितना पढ़ो उतने भ्रम पैदा होगा

12:17

निर्णय नहीं होगा क्योंकि कई विरोधी बातें एक-एक ग्रंथ में

12:23

भी की है इसीलिए शास्त्र वेद के प्रत्येक ग्रंथ में

12:30

कहा गया है महापुरुष के द्वारा तत्वज्ञान प्राप्त करो स्वयं पढ़ने के

12:39

द्वारा स्वयं समझना के द्वारा अगर चाहो हम

12:45

ज्ञान प्राप्त कर लेंगे तो और उलझ जाओगे, शंकाएं भर जाएंगी, confused हो जाओगे

13:17

तो महाराज ऐसा कोई सरल मार्ग बताइए

13:33

जिससे आत्मा का आनंद मिले, मन का नहीं मन का आनंद तो आप लोगों को रोज मिलता है

13:43

बिना पैसे के

13:49

कौन सा आनंद है जब आप लोग गहरी नींद में सोते हैं

13:56

सपना भी नहीं देखते उसे समय

14:02

आपको जो आनंद मिलता है वह मन का आनंद है

14:07

मन लीन हो जाता है आनंद में

14:13

लेकिन आत्मा को नहीं मिलता

14:23

वह अगर मिल जाए तो उसकी दो विशेषताएं हैं कभी छिनेगा नहीं (will never lose)

14:36

और नंबर दो प्रतिक्षण बढ़ता जाएगा

14:43

और यह जो आनन्द मिलता है गहरी नींद में

14:52

ये तो जागे तो गया, बेटा बीमार है बीवी भाग गई इत्यादि

14:58

शेर down हो गया है

15:08

आनंद कहा गया गहरी नींद वाला

15:39

आत्मा का सुख चाहते, तो श्री कृष्ण की भक्ति करो, ahaituki यानी कुछ कामना ना हो, और निरंतर हो

16:17

ऐसा नहीं की 5 मिनट भक्ति कर लिया उसके बाद संसार की भक्ति कर रहे दिन भर

16:23

निरंतर भक्ति हो और कोई कामना ना हो भक्ति

16:29

के साथ

16:32

आप भगवान की आरती गाते हो सुख संपत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का

16:44

ये किसी बेवकूफ ने आरती बनायी है

16:56

संसार की कामना अगर है तो इसका मतलब कि अभी आप यह भी नहीं

17:04

समझे की भगवान की आवश्यकता क्या है फिर

17:09

जब संसार के ही सामान पाकर आपको सुख मिल

17:16

जाएगा तो फिर भगवान का नाम भी नहीं लेना चाहिए

17:22

अरे भाई हमको मिठाई चाहिए ना तो मिठाई की दुकान तो चलो जूते की दुकान पर खड़े होकर

17:30

के मिठाई मांगोगे तो लोग कहेंगे ना

17:35

मेंटल (mental) है

17:54

कामना के विषय में मैं आपको बताऊं एक भागवत से ही बताऊंगा और ग्रंथ नहीं उठा रहा

18:00

हूं मैं जब

18:10

भगवान ने और प्रहलाद को गोद में ले लिया

18:37

गुस्से में बुद्धि नॉर्मल (normal) नहीं रहती है हम लोगों

18:47

का अनुभव है कि क्रोध से बुद्धि

18:53

नष्ट हो जाति है सबकी, गुस्से में बाप को भी गाली दे दी

19:07

लेकिन गुस्से में भूल गया था की गलती कर रहा हूं

19:19

प्रहलाद ने कहा कि नरसिंह भगवान कह रहे हैं कि मुझसे वरदान मांगो मैं कोई भिखारी हूं अरे मैं तो दास हूं दास का काम है सेवा

19:27

करना मांगना नहीं मांगना तो स्वामी का काम है ए

19:35

पानी ला दे चश्मा ला देना

20:41

मैं आपका दास हूं मैं मांगता नहीं

20:46

अरे बड़ा ज्ञान छांट रहा है कल का छोकरा

20:52

अरे सब मांगते हैं, इसलिए मांगों

21:05

7.10.06 शलोक

21:12

महाराज जो मांगे वो दास नहीं और आपको भी

21:17

हमसे कुछ नहीं चाहिए, आपको और मुझे दोनों को कुछ भी नहीं चाहिए मांगा मांगी प्रेम के बीच में कैसे आ गई

21:46

भगवान ने फिर प्रह्लाद को कहा मांगो, मेरा आदेश है

21:55

अब तो आज्ञा हो गई आज्ञा का पालन तो करना पड़ेगा

22:16

तो प्रह्लाद ने नरसिंह भगवान से मांगा कि मैं आपसे कुछ नहीं मांगू, मेरी मांगने की बुद्धि ही कभी पैदा न हो, इससे नरसिंह भगवान की बोलती बंद हो गयीं, 7.10.7 शलोक

 

सत्य धर्म जितने भी गुण हैं मांगने की प्रवृत्ति होने पर महाराज इसलिए

23:20

मैं कुछ नहीं मांगता तो

23:27

सूत जी महाराज ने परमहंसों से कहा की भक्ति में कुछ मांगना

23:35

नहीं होता कामना ना हो और निरंतर हो

23:44

फिर आगे इसी एक पहले स्कंद में

23:51

परीक्षित पूछ रहे हैं सुखदेव परमहंस

24.06

मुझे केवल सात दिनों में ही मर जाना है श्राप की वजह से

24:17

बताइए क्या करूं, संक्षेप में, लंबा लेक्चर मत दीजिये

24:29

पहले स्कंद के 19वे अध्याय का 38वां श्लोक, 1.19.38 शलोक

24:37

सुखदेव परमहंस में उत्तर दिया

24:44

भगवान ईश्वर

24:52

2.1.5 शलोक 

24:57

तीन काम करो 1 मेरी बात सुनकर मानो, श्रवण

25:07

भक्ति और 2 भगवान का नाम गुण कीर्तन करो दूसरी भक्ति और मन से निरंतर स्मरण करो

25:17

तीसरी भक्ति

25:35

[संगीत]

25:40

ब्रह्मा ने चारों वेदों को तीन बार मथा

25:47

ब्रह्मा ने और

25:55

मथ कर एक निश्चय निकाला श्रीकृष्ण की भक्ति करो और कुछ ना पढ़ो ना

26:04

सुनो ना करो

26:34

श्री कृष्णा में भक्ति हो बस इससे अधिक और कोई मार्ग नहीं है बस एक

26:43

ही मार्ग

26:50

और आगे चलो ब्रह्मा के पुत्र मनु

26:57

मनु के पुत्र प्रियाव्रत, प्रियाव्रत के

27:03

पुत्र अग्निीध्र, अग्निीध्र के पुत्र नाभी, नाभी के पुत्र ऋषभ, ऋषभ

27:16

के 100 पुत्र, ये ऋषभ भगवान के अवतार हैं, 100 पुत्र में से 81 कर्मकांडी हो गए aur नौं  (9) द्वीपों के नौं (9) राजा हो गए, और एक भरत, भारत के राजा हो गए, ये भारतवर्ष का नाम भरत से पढ़ा है

27:41

पहले इसका नाम था, अजनाभ वर्ष

27:57

और नौ पुत्र हुए नौ योगीश्वर, सदा एक ही उम्र के रहने वाले परमहंस, सारे ब्रह्मांड में कहीं भी जाएं बिना सवारी के

28:02

[संगीत]

28:08

बैठे हैं ब्रह्मलोक चलो जी और

28:15

ब्रह्म लोक पहुंच गए

28:20

निमी महाराज यज्ञ कर रहे थे और ये नौ योगेश्वर वहाँ पहुँच गए, इन नौं  के नाम थे कबी, ...

29.08

 निम्मी महाराज ने प्रश्न किया की, अति कल्याण और आनंद की प्राप्ति कैसे होगी

29:16

उत्तर दिया कबी ने,  पहले योगी सरकार का नाम था कवि

29:27

उन्होंने कहा ...

29:46

भगवान की भक्ति के सिवा और मैं कोई मार्ग नहीं मानता

29:57

केवल भक्ति मार्ग है

30:03

11 में स्कंद के दूसरे अध्याय का 33वां लोक 11.2.33 शलोक 

30:16

ऐसा मार्ग है भक्ति, 11.2.35 शलोक   

30:31

आंख मूंदकर भागो ना गिरोगे न फिसलोगे  पीछे

30:36

तुम्हारे श्याम सुंदर चल रहे हैं संभालने वाले

30:56

निमि महाराज को शंका हुई कि ये माया वाली बिमारी हमें लगी क्यों इसका उत्तर दिया, बहुत सुन्दर पूरी भागवत में 11.2.37 शलोक, कि जीव अनादिकाल से भगवान से विमुख है

31:51

ऐसे आपके हृदय में ऐसे हैं भगवान बैठे आपके

31:58

पीछे हैं जीव ने अपनी पीठ भगवान की तरफ कर रखी है, अब आप आगे देख रहे हैं माया की ओर

32:06

[संगीत]

32:12

इसलिए माया ने अधिकार कर लिया

32:21

अब क्या करें, अब विमुख की बजाय सन्मुख हो जाओ, इसी को शरणागति   (surrender) कहते हैं

32.39

उद्धव से भगवान श्रीकृष्ण ने कहा था

33:07

11 12 14 15 भागवत

33:16

सब पढ़ना सुनना कर्म धर्म ज्ञान योग सब छोड़ दो, केवल मेरी भक्ति करो 

33:25

[संगीत]

33:38

मेरे बराबर गुरु की भी भक्ति करो ये दो

33:43

शर्तें गुरु और मेरी दोनों की भक्ति करो तो तुम

33:53

भगवान के सन्मुख  हो जाओगे तो फिर माया भाग जाएगी

33:59

तुमको अपना लक्ष्य मिल जाएगा

34:05

एक मात्र भक्ति ही तुम्हारा सिद्धांत है

34:20

वेद शास्त्रों में बहुत चीजें लिखी हैं धर्म कर्म ज्ञान योग भी कहा गया है

34:29

भागवत कहती है वासुदेव परो धर्म

34:42

1.2.29, एक दो 29,  वासुदेव परम ज्ञानम

34:52

सब ज्ञान योग कर्म धर्म भगवान के निमित्त

34:57

होता है भगवान ने स्वयं कहा है

35:17

कि मेरे सिवाय कोई नहीं जानता कि धर्म क्या है ज्ञान क्या है भक्ति क्या है

35:42

11.21.42-43 शलोक, जो मेरे निमित्त हो बस वही धर्म जो मेरे

35:48

निमित्त हो वही ज्ञान जो मेरे निमित्त हो

35:53

वही भक्ति और जो मुझको छोड़ के हो

36:01

उससे ना माया जाएगी और ना मैं मिलूंगा

36:07

जीव चक्कर खाएगा 84 लाख में

36:13

कोई भी हो अब अंतिम सुनो

36:21

सबसे बड़े प्रश्न करने वाले ज्ञानी उद्धव

36:27

और सबसे बड़े उत्तर देने वाले भगवान श्री कृष्णा

36:35

कितना बढ़िया प्रश्न किया है भागवत में कोई उसका जवाब नहीं है दुनिया में किसी

36:43

ग्रंथ में

37:00

उद्धव प्रश्न कर रहे हैं भगवान से महाराज आपसे अधिक कौन ज्ञान रखता है

37:07

इसलिए मैं आपसे एक प्रश्न कर रहा हूं क्या

37:13

यह हमारे भारतवर्ष में तमाम रास्ते क्यों बन गए

37:19

एक बाबा जी आए वो कहते हैं जप करो दूसरे बाबा जी आए वो कहते हैं नाक पकड़ के और

37:25

प्राणायाम करो तीसरे बाबा जी आए उन्होंने कहा चारों धाम की मार्चिंग करो चौथ बाबा जी

37:32

आए मैं क्या करूं पागल हो जाऊं [संगीत]

37:38

किसकी सुनूं  किसकी सही बात है किसकी गलत है और ग्रंथों में भी ऐसे ही लिखा है

37:46

सभी बातें लिखी है

37:59

क्यों इतने रास्ते बन गए (आप भगवान तक पहुँचने के लिये) और अगर बन गए तो कौन सही है और क्यों

38:04

कितना बढ़िया प्रश्न है

38:12

11.14.1 शलोक, भगवान ने कहा

38:30

महाप्रलय में मेरी वेद वाणी मुझमें लीन हो गई थी कुछ नहीं था केवल मैं था

38:45

जब सृष्टि मैंने की तो अपनी वेद वाणी को ब्रह्मा के हृदय में

38:52

प्रकट किया  और वेदों का अर्थ भी समझाया ब्रह्मा को (यानी ब्रह्मा भी वेदों का अर्थ अपने आप से नहीं समझ पाए)

39:22

लोग पुस्तक पढ़कर के ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं अपने आप

39:29

और सब पंडित बन जाते हैं आजकल देखो तो बाजार लगा है

39:36

कुछ नहीं आता जाता नाम नहीं मालूम क्या बनाए है वेदांत

39:43

अपना यहाँ वहां कुछ किस्से कहानी पढ़ के और

39:50

वक्ता हो गए तो भगवान कहते हैं मेरी वेद वाणी में

40:00

मैंने केवल भक्ति बताई थी ब्रह्मा को

40:10

फिर क्या हुआ उसके बाद यह हुआ 1.14.3 श्लोक

40:23

मेरी वेद वाणी को ब्रह्मा के बाद लोगों ने पढ़ा देवताओं ने राक्षसों ने मनुष्यों ने

40:33

तो उनकी प्रकृति अलग-अलग थी, कोई सतोगुणी (देवता), कोई रजो गुणी (मनुष्य), कोई तमोगुणी (राक्षस), सबने वेद पढ़ा और अपने अपने हिसाब से अपना अपना मतलब निकाल लिया

40:56

जैसे मानलो मैं ऐसे बैठे बैठे ऐसे कर दूँ

41:03

या ऐसे कर दूँ आप लोग कहेंगे ऐसे कुछ

41:09

बुलाते होंगे किसी को, ऐसे करके कुछ ऐसा करते होंगे

41:27

बिलासपुर में आके हमारे पास पंडित भिड़ गए यह कोई जादू वाला श्लोक है रोज बोलते हैं

41:35

इसी के करण सरस्वती जाती है आपके पास जो

41:42

इतने शास्त्र वेद बोलने लग गये आप

42:05

तो संसार में लोग किसी चीज का विचित्र अर्थ लगाते हैं कानपुर में लेक्चर

42:13

हो रहा था मेरा 1 लाख आदमी था और तीन-तीन घंटा हम बोलते थे

42:19

तो बीच में एक allopathy की गोली होती है वो मुंह में डाल लेते थे तो लोगों ने

42:28

कहा ये गली कोइ सिद्ध गोली है

42:34

हमारे पास लिख के भेजा किसी एक ने यह क्या गोली खाते हैं आप बीच में

42:42

मैंने गोली दिखाया, जब साधारण बात के कितने अलग अलग से मतलब निकाले जाते हैं तो वेदवाणी तो अलौकिक है, अपने अपने मतलब से अर्थ निकाल लेते हैँ

43:20

11.14.6, 11.14.7 श्लोक

43:41

कुछ पाखंडियों ने रास्ता निकाल लिया अपने मतलब से

44:0

कृष्ण ने उद्धव से कहा सब देवता मनुष्य राक्षस मेरी माया से मोहित हो रहे हैं, सबने अपने स्वार्थ के हिसाब से अपने अपने अलग अलग रास्ते बना लिए मेरी वेद वाणी के, 11.14.9 श्लोक

[संगीत]

44:31

सत्यम सत्यम

44:47

11.14.10, 11 कोई धर्म कर्म को, कोई नाम कमाओ कोई तप कोई

44:55

अहिंसा कोई कुछ अनेक अनेक रास्ते लोगों ने बना लिए

45:05

सुनो

45:11

जितने भी धर्म कर्म योग तप हैं इन सब का फल नश्वर है, ज्यादा से ज्यादा स्वर्ग तक जाएगा बस फिर 84,00,000 योनियों में घूमेगा, ना माया निवृत्ति होगी ना आनंद प्राप्ति होगी, 11.14.11 श्लोक

45:21

[संगीत]

45:39

फिर क्या करें 11.14.21 श्लोक, केवल भक्ति से ही मुझे प्राप्त किया जा सकता है और कोई मार्ग नहीं

46:07

और उसमें शर्त है कुछ थोड़ी सी, नंबर एक कामनाओं को छोड़ दो

46:16

नंबर दो अनन्या भक्ति हो

46:22

कपिल भगवान के अवतार ने देवहूती अपनी मां को उपदेश दिया था

46:35

भक्ति अनन्या होनी चाहिए, यानी भगवान श्रीकृष्ण उनका नाम रूप गुण धाम लीला उनके संत,

46:55

बस इतने में मन का अटैचमेंट (लगाव) हो और कहीं ना हो, चाहे कोई  मनुष्य देवता देवी राक्षस हो

47:03

उसको अनन्या कहते हैं

47:12

और निरंतर हो मैंने इसके लिए एक दोहा बनाया है आप लोगों

47:19

को भी मालूम है

47:29

हरि गुरु भज नित्य

47:37

हरि और गुरु की भक्ति करनी होगी और नित्य गोविंद राधे

47:47

और भाव निष्काम (कामना रहित और अनन्य) बना दे  

47:56

[संगीत]

48:06

तभी अंत करण शुद्ध होगा

48:14

संक्षेप में रामायण सुन लीजिये

48:56

बिना भक्ति के कोई नहीं तर सकता, योगी हो, ऋषि हो, मुनी हो तपस्वी हो ज्ञानी हो कोई हो

49:04

मिले ना रघुपति बिन अनुरागा, किए जोग (योग) जप ज्ञान बिरागा

49:20

राम ही केवल प्रेम प्यारा, जान लेहू जो जानन हारा

49:34

धर्म परायण

49:39

स्विकूलताराम चरण [संगीत]

49:50

[संगीत]

50:19

भगवान की प्रेमभक्ति के सिवाय कोई रास्ता नहीं है

50:46

राम कृपा कैसे होगी

50:58

भगवान के शरणागत होना पड़ेगा

51:10

इस प्रकार भक्ति करने से हमारा अतः करण शुद्ध होगा फिर गुरु अपना कार्य करेगा

51:31

आपके अंतःकरण को, इंद्रियों को दिव्या बनाएगा दिव्या प्रेम देगा भागवत प्रताप कराएगा

51.40

एक प्रमुख बात और समझ लीजिए, ये सब बात आपने बहुत बार सुनी भी हैं समझी भी हैं पिछले कई जन्मों में

51:59

लेकिन आप लोग कमाने के साथ-साथ उसकी रक्षा करने पर

52:04

ध्यान नहीं देते गंवा देते हैँ जैसे भगवान और महापुरुष के प्रति दुर्भावना, ये नाम अपराध कहलाता है

52:21

भगवान ने ऐसा क्यों किया सीता का त्याग क्यों किया, रास क्यों किया

52:29 

अपने आप को जानता नहीं कहां जा रहा है गधा भगवान के पास, जहाँ ब्रह्मा शंकर फेल (fail) हो गए

52:49

मीरा सूर कबीर जैसे संत मिले, उनके जमाने में भी हम थे

52:56

लेकिन ये ऐसा क्यों करते हैं ऐसे क्यों खड़े होते हैं ऐसा कपड़ा क्यों पहनते हैं ऐसे क्यों

53:02

बोलते हैँ, केवल हम ही एक काबिल है हमने सभी संतों को reject कर दिया, मगर जब संत चले गए तो उनकी पूजा करते हैं

53:19

यह देह विमान मिथ्याभिमान

53:26

आपस में हम लोग एक दूसरे की बुराई करने में बड़ी रुचि लेते हैं वो ऐसा है, वो वैसी है

53:37

तुमको अपना लाभ कामना है देखो एक आदमी

53:43

अपनी लड़की की शादी के लिए साड़ी खरीदने जाता है बाजार में

53:49

रास्ते में तमाम दुकाने हैं तरकारी की दुकान भी है चप्पल जूते की भी

53:57

तमाम देखता जाता है, हाँ ये लो आ गयी साड़ी की दुकान

54:09

वो लड़ाई थोड़े ही करता है कि चप्पल की दुकान क्यों खोल रखा है हमको साड़ी चाहिए, हमको बाकी सब से क्या लेना देना है हमें बड़े सौभाग्य से मनुष्य जीवन मिला है

54:29

अपना काम बना ले एक बेटा सीरियस बीमार है वो डॉक्टर के घर

54:37

जाता है रास्ते में कोई मिले उसका रिश्तेदार ही क्यों ना हो अरे

54:46

श्रीवास्तव जी हमको बहुत जरूरी काम है

54:52

अभी हम आपसे बात नहीं करेंगे शाम को आना हमारे पास

54:57

लड़का हमारा सीरियस है हमको डॉक्टर से बात करना है

55:03

ऐसे ही पता नहीं कब मानव देह छिन जाए जल्दी

55:08

करो भगवान संबंधी और संत संबंधी ही बात सुनो आपस में

55:17

जब बैठो और कोई बात शुरू हो उठ के चले जाओ

55:45

अरे भगवान की कोई बात सुनाओ उससे हमारा अंतरण शुद्ध हो

55:51

प्रतिज्ञा कर लो सब लोग जब आपस में मिलो तो भगवान की चर्चा हो

55:59

और ना करें वो तो चले जाओ, अपने आप समझ लेगा कि ये बाबा जी हो गया ठीक है

56:07

ठीक है हम हो गए बाबा जी तो इस प्रकार कुसंग से भी बचिए जो कमाइए

56:15

[संगीत] उसको लाक (lock) करके रखिए, नाम अपराध की लापरवाही ना कीजिए, नहीं तो सब कमाई खो जाएगी

56:26

मैंने आपको बताया है कि कैसे जीव परमानंद को प्राप्त कर सकता है

56:45

इतना परिश्रम करके केवल भागवत सुनाया है

56:55

[प्रशंसा] राधे

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भागवत पर ऐतिहासिक प्रवचन - Bhagwat Explained By Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj.mp4

Thursday, September 30, 2021

भगवान से बिछड़े जीव की पीड़ा - भगवान को पाने का अवसर दोबारा नहीं मिलेगा, The pain of a soul separated from God - will not get the opportunity to find God again - Devi Chitralekhaji

 

भगवान से बिछड़े जीव की पीड़ा - भगवान को पाने का अवसर दोबारा नहीं मिलेगा | Devi Chitralekhaji

https://www.youtube.com/watch?v=jYwn2tEzWcY

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84 लाख की योनियों

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भगवान् से बिछड़े जीव की पीड़ा - भगवान् को पाने का अवसर दोबारा नहीं मिलेगा Devi Chitralekhaji.mp4