Monday, October 25, 2021

मेरा जन्म क्यों हुआ है मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है Why was I born? What is the purpose of my life? - Shri Premanand ji

मेरा जन्म क्यों हुआ है मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है

Why was I born? What is the purpose of my life?

https://youtu.be/kHC9RrPr8yo&t=0

1 यही उद्देश्य है कि मैं शरीर नहीं हूं मैं भगवान का सच्चिदानंद अंश हूं इस बात को हम जानकर मुक्त हो जाएं, इस संसार में हमारा बार-बार जन्म मरण ना हो Purpose is to come to know that I am not the body, I am the true eternal bliss of God, knowing this we should become free, we should not have to take birth and death again and again in this world. https://youtu.be/kHC9RrPr8yo&t=19 2 अभी हम स्त्री पुरुष शरीरों में आसक्त हैं, अभी हमारा बड़ा भ्रम है, संसार के भोगों में सुख है, इसी को मिटाने के लिए आए हो आप Right now we are attracted to male and female bodies & hence we have a big illusion that there is happiness in worldly pleasures, we have come to destroy this illusion. https://youtu.be/kHC9RrPr8yo&t=65 3 आप भगवत प्राप्ति कर सकते हो, आप देवलोक जा सकते हो, आप नरक जा सकते हो, आप सुअर, कुत्ता बन सकते हो, आप भूत प्रेत बन सकते हो, जो चाहो कर सकते हो You can attain God, you can go to heaven, you can go to hell, you can become a pig, a dog, you can become a ghost, you can do whatever you want. https://youtu.be/kHC9RrPr8yo&t=76 4 इसलिए मनुष्य का परम कर्तव्य चाह मिटा देना, इसलिए खूब नाम जप करें अच्छे आचरण करें और बुजुर्गों की सेवा करें उनके आशीर्वाद से हमें ज्ञान प्राप्त होगा तब भ्रम नष्ट होगा, सेवा के बिना शरीर पवित्र नहीं होता और नाम जप के बिना मन पवित्र नहीं होता और तन और मन जिसका पवित्र हो गया वही परम पवित्र भगवान को प्राप्त होता है  Therefore, the supreme duty of man is to eliminate desires, hence chant His Name a lot, do good conduct and serve the elders, with their blessings we will gain knowledge, only then the illusion will be destroyed, without service the body does not become pure and without chanting the name the mind does not become pure. And only one whose body and mind becomes pure can attain the supreme God. https://youtu.be/kHC9RrPr8yo&t=86 5 इस शरीर को जो पंचभूतों से बना हुआ है अपने आप में मिल जाते हैं और मैं अजन्मा हूं, इच्छा करने के कारण फिर मुझे नए शरीर में जाना पड़ता है, यहां इच्छा मिटाने आए हैं, इच्छा बढ़ाने नहीं आए यहां भगवत प्राप्ति करने आए हैं, संसार में राग फसाने नहीं आए और उल्टा हो रहा है हम इच्छा बढ़ा रहे हैं, राग बढ़ा रहे हैं, भगवान की तरफ से विमुख हैं, संसार की तरफ लगे हुए है यह हमसे, भ्रम हो गया इसी को ठीक करना है This body which is made up of five elements merges with itself and I am unborn BUT because of having desires I am given a new body, I have come here to make my worldly desires nil (simply by diverting all my desires to Lord), not to increase my worldly desires, I have come here to attain God, We have not come to get entrapped in attachments of this world and the opposite is happening. We are increasing desires, increasing attachment, we are turning away from God, we are attached to the world, we have become confused & illusioned, this has to be corrected. https://youtu.be/kHC9RrPr8yo&t=116


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मेरा जन्म क्यों हुआ है मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है Mera janam kyu hua hai mera janm kyon hua hai.mp4

Sunday, October 24, 2021

कौन से गुरु के शिष्य बनें ? Which guru should you become a disciple of? by Dr. Vrindavan Chandra Das

कौन से गुरु के शिष्य बनें ? 

Which guru should you become a disciple of?  

by Dr. Vrindavan Chandra Das

https://youtu.be/A2wWySzDIPY

1

0 00 गुरु के पास जाकर विनीत होकर जिज्ञासा से प्रश्न करें  https://youtu.be/A2wWySzDIPY&t=0 2 0 33 आशीर्वाद कान से प्राप्त होता है https://youtu.be/A2wWySzDIPY&t=33 3 1 24 हमें जिज्ञासा से प्रश्न करनी चाहिए गुरु के पास, मगर हम जिज्ञासा की बजाए,  गुरु जी से कहते हैं यह दे दो,वह दे दो https://youtu.be/A2wWySzDIPY&t=84 4 1 41  आदि गुरु हैं भगवान श्री कृष्ण,  हम मंदिरों के चक्कर लगाते लगाते थक जाते हैं मगर भगवान से जिज्ञासा नहीं करते कि हम आपके लिए क्या करें, (मैं क्यों आया हूँ दुनिया में c.) मगर हम तो ये श्रीकृष्ण से मांगनें जाते हैं की आप मेरे लिए क्या कर सकते हो ? https://youtu.be/A2wWySzDIPY&t=101 5 2 02 भगवान हमें कहते है कि तुम मेरे दास हो या मैं तुम्हारा दास हूं ? https://youtu.be/A2wWySzDIPY&t=122 6 2 17 हनुमान जी को राम जी को बोलते कभी सुना है कि राम जी जरा मेरी शादी करा दो, बल्कि हर समय पूछते हैँ स्वामी मुझ दास को सेवा बताओ,  हम लोग सीखते ही नहीं है हनुमान जी से और बाकी भक्तों से https://youtu.be/A2wWySzDIPY&t=137 7 3 16 हमें पता ही नहीं क्या मांगना है, कि application (अर्जी, मांग ) क्या लगानी चाहिए और कहां लगानी चाहिए https://youtu.be/A2wWySzDIPY&t=196 8 3 40 क्या हमें मालूम है कि भगवान क्या दे सकते हैं और हम क्या मांग रहे हैँ ? https://youtu.be/A2wWySzDIPY&t=220 9 3 55  बचपन में जब मुझे पूजा के लिए कहा जाता था मैं कहता था कि अमेरिकन तो पूजा नहीं करते मगर दुनिया को राज कर रहे हैं  https://youtu.be/A2wWySzDIPY&t=235 10 4 24 मेरे गुरु महाराज एक बड़ी जबरदस्त बात कहते थे, बताइए गुरु ने जिन चीजों को छोड़ दिया आप किस चीज को छोड़ते हो मल (nightsoil) को छोड़ते हो ना कि साथ लेकर घूमते हो ? https://youtu.be/A2wWySzDIPY&t=264 11 4 52 हम जो त्याग देते हैं यानी मल, वो सुअर (pigs) खाते हैं और गुरूजी ने जो त्याग दिया यानी संसार और हम इसी संसार को चाट रहे हैं, खा रहे हैं, यानी हम भी सुअर हुए https://youtu.be/A2wWySzDIPY&t=292   12 5 16 हमारे गुरु महाराज कहते थे, वो गुरु कैसा - जिन चीजों को उसने त्याग दिया वह अपने शिष्य को दे रहा है वो उनका मित्र है या दुश्मन है, वो उनका दुश्मन है https://youtu.be/A2wWySzDIPY&t=316 13 5 30  भगवान क्या कह रहे हैं गुरु के पास विनीत भाव से सत्य को जानने का प्रश्न कर, सेवा का अर्थ क्या होता है, सिर्फ पैर दबाना नहीं या उनको गुरु पूर्णिमा पर पैसे टिका देना, नहीं सेवा का मतलब होता है आज्ञा का पालन करना “Just try to learn the truth by approaching a spiritual master. Inquire from him submissively and render service unto him. The self-realized souls can impart knowledge unto you because they have seen the truth”. https://vedabase.io/en/library/bg/4/34/ https://youtu.be/A2wWySzDIPY&t=330   14 6 26 किस गुरु के पास जाओ “ज्ञानस तत्व दर्शना” उस ज्ञानी के पास जिसने तत्व के दर्शन किए हों   https://vedabase.io/en/library/bg/4/34/ https://youtu.be/A2wWySzDIPY&t=386 15 7 23   तत्वदर्शी कौन है  One can understand Me as I am, as the Supreme Personality of Godhead, only by devotional service. And when one is in full consciousness of Me by such devotion, he can enter into the kingdom of God. https://vedabase.io/en/library/bg/18/55/ https://youtu.be/A2wWySzDIPY&t=443   16 7 52 हमारे शास्त्रों में कहा गया है प्रभु जी कि गुरु को शिष्य को और शिष्य को गुरु को एक साल तक परखना चाहिए, दीक्षा लेने से पहले https://youtu.be/A2wWySzDIPY&t=472   17 8 37  गुरु का मतलब क्या होता है, गु + रू जो अंधकार से उजाले की ओर ले जाए, अज्ञानता से ज्ञान की तरफ ले जाए Gu means darkness and Ru means light https://www.jagran.com/jharkhand/lohardaga-gt-ps-22889081.html https://youtu.be/A2wWySzDIPY&t=517   18 8 52 भगवान कहते हैं कि कौन मुझे देख और जान सकता है, केवल भक्त, ना तो ज्ञानी ना ध्यानी ना योगी  https://youtu.be/A2wWySzDIPY&t=532   19 9 19 भक्त मिलना rare commodity है, सब लोग अपने आप को भगवान बताते हैं https://youtu.be/A2wWySzDIPY&t=559 20 10 जो व्यक्ति गंभीरता पूर्वक (seriously, not casually) असली सुख (eternal bliss) की इच्छा रखता हो, मजे (fun) की नहीं, उसे प्रमाणिक (proven) गुरु की खोज करनी चाहिए https://youtu.be/A2wWySzDIPY&t=600 21 10 19 प्रमाणिक गुरु की योग्यता यह होती है कि... https://youtu.be/A2wWySzDIPY&t=619  22 11 54 भगवतीय विद्या प्रचार की भरपूर कोशिश करो जितने इस चीज को समझ जाएं तो अच्छा है (समझने वाले सौभाग्यशाली हैँ) जो नहीं समझे छोड़ दो आगे, चलते रहो https://youtu.be/A2wWySzDIPY&t=714

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Saturday, October 23, 2021

हमारी भक्ति की चरम स्थिति ऐसी होनी चाहिए कि मेरा सुमिरन हरि करे मैं पाऊं विश्राम , The peak state of our loving devotion should be such that Lord remembers me and I get eternal blissful rest - by Shri Indresh Upadhyay ji

हमारी भक्ति की चरम स्थिति ऐसी होनी चाहिए कि मेरा सुमिरन हरि करे मैं पाऊं विश्राम - by Shri Indresh Upadhyay ji

The peak state of our loving devotion should be such that Lord remembers me and I get eternal blissful rest

https://youtu.be/s1nhgNRmuc4


0 15 कई लोग भागवत की आयोजन  इसलिए करते हैं कि पितरों की संतुष्टि हो जाए केवल इसी वजह से नहीं करानी चाहिए

https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=15  1 30 असली मकसद यह है: परम धर्म करने की इच्छायें हम में जागृत हो जाएं https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=90  1 53 धर्म और परम धर्म में अंतर https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=113  2 52  भागवत का अधिकारी कौन है जिसमें मातसर्य (ईर्ष्या, jealousy) भाव नहीं हो https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=172  3 52  95% लोगों में मातसर्य (ईर्ष्या, jealousy) होता है https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=232  4 17  तब तक सत्संग सुनो नाम जप करो जब तक ऐसा व्यक्ति जिसके प्रति आपकी ईर्ष्या थी पहले, अब आपको प्रिय लगने लगे, और जिस दिन ऐसा होने लगे कि आपको प्रेम हो, ईर्ष्या की बजाय, तो समझ लेना राम जी मिलने वाले हैं आपको https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=257  5 30 राम जी को रावण से ईर्ष्या अगर होती तो हनुमान को, अंगद को नहीं भेजते लंका में रावण के पास https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=330  5 58  श्री कृष्णा भी शांतिदूत बनकर पहले स्वयं गए दुर्योधन के पास ईर्ष्या होती तो नहीं जाते https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=358  6 58  कंस को भी पहले कितने संदेश भेजें कितने राक्षस मार के कि भैया अब तो सुधर जा https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=418  7 11  हमें यदि ईर्ष्या होगी किसी के साथ तो हम सुधारने की बजाय सीधा युद्ध करने पहुंच जाएंगे, FIR नोट कर लो https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=431  7 27  जब ईर्ष्या का भाव नष्ट होता है तो अगले से संवाद किया जाता है विवाद नहीं, वैष्णव अपने आप को हरा देगा मगर विवाद नहीं करेगा https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=447  7 57  यदि ईर्ष्या का भाव होगा तो मंच पर बैठा वक्ता भी किसी पर प्रभाव नहीं कर पाएगा और अगर यदि श्रोता हुआ तो सब भूल जाएगा 4 घंटे की कथा https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=477 8 15 यह ईर्ष्या एक किस्म का बांध है वह कानों में तो आने देगा कथा को मगर हृदय में उतरने नहीं देगा https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=495  8 34 और यह मातसर्य दोष हटेगा कैसे सत्संग से, असल में सभी विकारों और दोशों की दवाई है सत्संग https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=514  9 17 तो पहली चीज आपको मातसर्य भाव खत्म करना है तब आप अधिकारी बनोगे कथा सुनने के लिए https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=557  9 48   चिंता मत करना, आर्त (पीड़ा) भगाना, धन मिलाना दुख हटाना, यह सब कथा का उद्देश्य नहीं है कथा का उद्देश्य है श्री कृष्ण आपको भगवान से हटकर अपनत्व यानी किसी संबंध के रूप में आपके प्रिय लगने लगेंगे https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=588  11 08  यदि कथा सुनने इस मकसद से बैठेंगे कि कृष्ण को अपना बनाना है तो यह 100% गारंटी देता हूं मैं कि यह होगा कथा सुनने के बाद https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=668  11 34 आप कहोगे कि मैं तो अभी भी कृष्ण को सखा मानता हूं लेकिन कथा सुनने के बाद श्री कृष्ण भी आपके सखा मानेंगे और दूसरा आप श्री कृष्ण के पीछे-पीछे नहीं चलोगे श्री कृष्ण आपके संग चलेंगे https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=694  12 30 जहां ले चलोगे वहीं मैं चलूंगा यह भक्ति की प्रारंभिक स्थिति है, मगर भक्ति की चरम सीमा क्या है जब ठाकुर जी कहेंगे जहां ले चलोगे वहीं मैं चलूंगा https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=750  13 14  मेरा सुमिरन हरि करें मैं पांऊं विश्राम https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=794  14 02  इसका प्रमाण यह है कि जैसे सूरदास जी ने सवा लाख पद लिखने थे, एक लाख पद के बाद ही वह पधार गए, तो बाकी पद कहते हैं भगवान ने लिखे और अंत में “सूर श्याम” करके लिखे, जबकि सूरदास के पद में अंत में “सूरदास” होता था https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=842  15 07  हरि जी मोरी क्या बिगाड़ेगी, जाएगी लाज तुम्हारी, पछताई हो जब देख मुझे उभारी, यह पद सूर श्याम यानी भगवान ने लिखा है, सूरदास जी ने नहीं https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=907  15 43  तुलसीदास जी ने रामायण तो लिख दी मगर जरूर रघुनाथ जी ने बोला होगा कहा होगा और नाम तुलसीदास जी का लिखवा दिया https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=943 16 12 गीत गोविंद जब लिखा जयदेव ने तो आखरी पद लिखना था तो लिखा नहीं जा रहा था, याद नहीं आ रहा था क्या लिखे पत्नी को बोला स्नान करने जा रहा हूं, पूरा किस्सा सुनिए https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=972  19 30  भगवान को तुम भजो वह तो ठीक है मगर एक स्थिति ऐसी आए जब भगवान आपको भजें वह है चरम सीमा भक्ति की https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=1170 19 49  यह प्रमाण देखना हो कि भगवान मुझसे प्रसन्न हैं कि नहीं तो मंदिर में उनके श्रृंगार में क्या-क्या लगने वाला है, पहले से सोच लो यदि उनमें से कुछ भी हुआ वैसा जैसे आपने सोचा था, तो समझो भगवान आपसे प्रसन्न हैं https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=1189 21 14  जब मुझे स्पष्ट मालूम हुआ कि महाकाल मिलना चाहते थे ठाकुर जी से वास्तव में गले लगाना चाहते थे https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=1274  24 52  पंडित ने ठाकुर जी को नहला दिया महाकाल के अभिषेक में, मैं डर रहा था कि आज तो ठाकुर जी ठिठुर गए होंगे, चलो हम तो बच गए, मगर फूलों की माला पंडित जी ने मुझे पहना दी, दो ढाई किलो पानी सब मुझ पर पड़ा और मैं भी ठिठुर गया https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=1492  26 41  रोज शयन के समय ठाकुर जी को गीत गोविंद सुनाओ, एक दिन ऐसा आएगा जब आपको स्पष्ट ठाकुर जी दिखेंगे सिंहासन पर बैठे हुए आपका गीत गोविंद सुन रहे https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=1601  27 37  नाभा गोस्वामी जी का उदाहरण सुनिए https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=1657  27 55  गीत गोविंद गाया https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=1675 

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Friday, October 22, 2021

ई चमक ई धमक फूलवन मा महक सब कुछ सरकार तुम्हई से है, Ye Chamak Ye Damak By - Vinod Ji Agrawal

ई चमक ई धमक फूलवन मा महक, सब कुछ सरकार तुम्हई से है  

Ye Chamak Ye Damak By - Vinod Ji Agrawal

1
ये
चमक, ये दमक, फूलवन मा महक सब कुछ सरकार तुम्हई से है *All this glamour, glitter (इ चमकदमक), pomp & show &
fragrance (महक) in flowers (फुलवन) is ALL THANKS TO YOU, O God
इठला के पवन, चूमे सैया के चरण बगियन मा बहार तुम्हई से है *This gratified cool air (इठला के पवन) kisses Your feet (चूमे सैय्यां के चरण)
& spring (बहार) in gardens (बगियन) is ALL COURTESY TO YOU (तुम्हइ से है), O GOD*
https://www.youtube.com/watch?v=OvMES0U6urU&t=0 2 कहे जोगन थाम तोरी बईंया तुम जानत हो सब कुछ सैंय्यां  *This bhakt appreciatively taking refuge in Your arms (थाम तोरी बैयां), acknowledges that YOU ARE OMNISCIENT (तुम जानत हो सब कुछ)* 
तोरी प्रीत मा रूप ये धार लिया ये बनाव श्रृंगार तुम्हई से है
This body of mine is totally immersed in Your love This makeup of mine is for You alone https://www.youtube.com/watch?v=OvMES0U6urU&t=73   3
तू है मोरा साजन मैं हूँ तोरी अब लाज बलम रखियो मोरी चाहे इत जाऊं, चाहे उत जाऊं मोरे श्याम पिया लेकिन मेरे दिल को प्यार तुम्हई से है You are my Beloved & I am Yours. so save me from worldly shame wherever I go, O my Beloved Lord my heart is always in love with You https://youtu.be/OvMES0U6urU?t=215  4 मेरे सुख-दुख की रखते हो खबर मेरे सर पर साया तुम्हारा है मेरी कश्ती (नैया) के खेवनहार तुम्हीं मेरा बेड़ा पार तुम्हई से है You keep minute track of my happiness and sorrow. Your blessings are on my head You are the Oarsman of my boat. therefore I will surely cross the worldly ocean only by You grace & courtesy https://youtu.be/OvMES0U6urU?t=353  5 मैं तो भूल गयी कुछ भी कहना तोरी प्रीत में रोवत है नैना रग-रग मा बसी है प्रीत तोरी अखियन में खुमार तुम्हई से है I was simply lost in Yourself & so missed out on saying anything my eyes cry in Your love Your love is present in every cell of mine my eyes are filled with Your bliss https://youtu.be/OvMES0U6urU?t=483 
ALSO
*Bhajans are the best therapy* तू है मोरा सजना मैं हूं तोरी अब लाज बलम रखियो मोरी चाहे इत जाऊं चाहे उत जाऊं मेरे दिल को प्यार तुम्हीं से है सब कुछ सरकार तुम्हीं से है























Thursday, October 21, 2021

ठाकुर जी जब खुद आकर एक भक्त को भागवत जी पढ़ने का वेतन देकर गए When Thakur ji (God Krishna) Himself came and gave salary to a devotee to read Bhagavatam ji by Indresh Upadhyay ji

ठाकुर जी जब खुद आकर एक भक्त को भागवत जी पढ़ने का वेतन देकर गए

When Thakur ji (God Krishna) Himself came and gave salary to a devotee to read Bhagavatam ji


https://youtu.be/kMZzr7XKq1s 1 0 एक बनारस के ब्राह्मण देवता थे, भागवत जी का रोज पाठ करते थे 0 There was a Brahmin from Banaras, who used to recite Bhagavatam ji daily. https://youtu.be/kMZzr7XKq1s&t=0 2 1 18 दो ही स्थिति में लोग ब्याह कराते हैं या तो लड़का योग्य बन गया हो या बहुत ही अयोग्य हो 1 18 People get married in only two situations: either the boy has become worthy to earn or he is very unworthy. https://youtu.be/kMZzr7XKq1s&t=78 3 4 11 घर में कुछ संत आ गए और संत आकर के सीधे आसन पर बैठ गए बोले बिटिया लाओ कुछ प्रसादी पवाओ यानी भोजन कराओ मगर गरीबी किए कारण घर में अन्न का एक दाना तक नहीं था  4 11 Some saints came to the house and sat directly on the seats and said, O daughter, bring some prasad, ,i.e.,  give some food, but due to poverty there was not even a grain of food in the house. https://youtu.be/kMZzr7XKq1s&t=251 4 4 49 पत्नी बहुत निराश हो गई क्यों बोले आज तक मैं सह रही थी अपने पति के सब भावों को ,यह कुछ नहीं नहीं करते मैं सब जानती हूं, भागवत जी का पाठ ही इनका सर्वस्व है लेकिन आज महात्मा हमारे घर आए और हम उनको कुछ पवा ना सके ऐसी स्थिति तो मुझे स्वीकार नहीं है आज यदि मेरे पति भी कुछ काम करते घर में थोड़ा धन होता अनाज होता भोजन ज्यादा होता तो उनको पवा पाती, अब अकेली मैं नारी पति को भी खवाऊं, बच्चों को भी खिलाऊं, खुद भी खाऊं, कहां तक चलाऊं ? 4 49 The wife became very disappointed, she said to herself that till today I was tolerating all the emotions of my husband, he doesn't do anything, only recitation of Bhagavatam ji is his everything, but today saints came to our house and we could not offer them anything to eat. I cannot accept such a situation of not being able to get food for them. If my husband also did some work, if there was some money in the house, if there was more food, then I would have been able to get it for saints also. I, a single woman, have to feed my husband, feed my children, and eat myself. How far can I go on like this ? https://youtu.be/kMZzr7XKq1s&t=289 5 5 32 आज पत्नी को क्रोध आया और पत्नी ने भागवत जी की पोथी उठाई और ब्राह्मण के सिर पर ही मार दी बोले इसको लीजिए और निकलिए घर से से मैं अकेली चला लूंगी घर को, यही भागवत तुम्हारा सर्वस्व है तो इनके साथ अकेले कहीं और रहो, यहां लौटकर के मत आना जब तक मन में भावना आ जाए कि मुझे कुछ करना है  5 32 Today the wife got angry and picked up the book of Bhagavatam ji  and hit it on the Brahmin's head and said, take this and leave the house, I will manage the house alone, this Bhagavatam is your everything, so stay alone with Bhagavatam somewhere else. Don't come back here until you feel like that you have to do something. https://youtu.be/kMZzr7XKq1s&t=332 6 6 12 ब्राह्मण देवता अपनी भागवत जी को उसके पन्ने बिखर गए थे, सब समेट करके हृदय से लगा कर के रोने लगे और मन ही मन विचार करने लगे, हे नाथ मेरी पत्नी को आप साधारण पृष्ठ के रूप में दिखाई देते हो, लेकिन मैं जानता हूं कि आप प्रत्यक्ष कृष्ण हो, हे नाथ मेरी पत्नी का कल्याण करना 6 12 Brahmin saw his Bhagavatam ji's pages scattered, he collected them all and started crying with his heart and started thinking in his mind, O Lord, to my wife you appear as ordinary pages, but I know I know that you are Krishna in reality, O Lord, please give some wisdom to my wife. https://youtu.be/kMZzr7XKq1s&t=372 7 6.35 एक भक्त तो सुहृध होता है दूसरों का भला करने वाला चाहने वाला 6.35 A devotee is a good hearted person who wishes good for others. https://youtu.be/kMZzr7XKq1s&t=395 8 7.25 इतनी सहनशीलता विश्वास श्रद्धा देखकर ठाकुर जी स्वयं प्रकट हो गए 7.25 Seeing so much tolerance, faith and devotion, Thakur ji himself appeared. https://youtu.be/kMZzr7XKq1s&t=445 9 8.40 ठाकुर जी एक नन्हें से बालक का रूप धारण करके उनके घर में आये और एक टोकरी रख दी घर में, उसमें सोने चांदी हीरे जवाहरात सब रखे थे और बोले कि यह वेतन है, बचपन से मजदूरी कर रहे हैं मेरे पास 8.40 Thakur ji came to his house in the form of a small child and kept a basket in the house full of gold, silver, diamonds and gems and said that this is salary for the Brahmin as he has been working as a laborer with his master since childhood. https://youtu.be/kMZzr7XKq1s&t=520 10 11.50 ब्राह्मण पति जब वापस घर में आए, पत्नी ने सब वृतांत सुनाया कि आपके मालिक आए थे सब दे गए, पति ने पत्नी को बोला वो तो साक्षात् भगवान आये थे 11.50 When the Brahmin husband came back home, the wife narrated the whole story of your master had come and gave everything, the husband told the wife that God had actually come. https://youtu.be/kMZzr7XKq1s&t=710 11 13.20 जगत मजदूरी देत है क्यों राखे भगवान, इस दुनिया में आपकी मजदूरी का वेतन दिया जाता है तो भगवान भला अपनी की हुई मजदूरी का वेतन क्यों नहीं चुकायेंगे, हजार लाख गुना करके भगवान वापिस देते हैं 13.20 if you are paid your wages in this world, then why wouldn't God pay you for the work you have done for Him, God gives you back a thousand and a million times. https://youtu.be/kMZzr7XKq1s&t=800 Standby link (in case youtube link does not work)