Monday, November 8, 2021

बुरा व्यक्ति अधिक प्रसन्न क्यों दिखाई देता है? -by Hit Ambrish ji

बुरा व्यक्ति अधिक प्रसन्न क्यों दिखाई देता है? 


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बुरा व्यक्ति अधिक प्रसन्न क्यों दिखाई देता है? 

https://youtu.be/mEQmopvbMvg&t=6

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वो प्रसन्न नहीं है, तो वो निर्विचार है, वो विचार ही नहीं कर पा रहा है, उसे यह भी मालूम नहीं है कि जो बीज कर्म का आज बो रहा है, उसे काटने के लिए, भोगने के लिए, उसे प्रस्तुत होना पड़ेगा

https://youtu.be/mEQmopvbMvg&t=12

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विचार करने वाला व्यक्ति दुविधा में होगा क्योंकि वो विचार कर रहा है, विचार अर्थात सत्य कुछ और कह रहा है और आपकी चेतना आपको कहीं और ले जा रही है, क्योंकि प्रारब्ध के वशीभूत, आप कुछ गलत कार्य कर रहे हैं और करते ही चले जाते हैं 

https://youtu.be/mEQmopvbMvg&t=24

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पर विचार करने के सिवाय और कोई चारा नहीं है, और ये विचार आपको बार बार करने पड़ेंगे और किसी सुखद अनुभव की प्रतीक्षा मत करना

https://youtu.be/mEQmopvbMvg&t=50

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आप जब विचार करने अपने मन के भीतर उतरेंगे तो दुखद अनुभव होंगे क्योंकि वास्तव में यह आपका मन का स्नान हो रहा है, मैल बहुत पुरानी है, मन बहुत गंदा है मन की मैल रगड़ रगड़ के उतारनी पड़ेगी 

https://youtu.be/mEQmopvbMvg&t=72 

6

कभी कभी सफेद वस्त्र इतना मैला हो जाता है की वो काला ही दिखने लगता है, है तो मन उजला, 

“ईशवर अंश जीव अविनाशी, चेतन अमल सहज सुख राशी” 

(अविनाशी=non destructible, चेतन = Consciousness, अमल=clean, सहज= naturally, सुख = bliss, राशी = a lot of) 

“Our soul is a non-destructible part and parcel of God and this soul (consciousness) is pure and naturally full of bliss”

https://youtu.be/mEQmopvbMvg&t=105 

7

भीतर विचार करेंगे तो अँधेरा पाएंगे, ये अंधेरा मैंने अर्जित किया है, मैंने ही कमाया है, जन्मों जन्मों के अज्ञान से

https://youtu.be/mEQmopvbMvg&t=119

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और ये अंधेरा (भ्रम = illusion) दूर कैसे हटेगा अंधेरा, नानक फरमाते हैं, 

“कहे नानक, बिन आपा चीन्हे, मिटे ना भ्रम की काई, 

काहे रे बन खोजन जाई, सर्व निवासी सदा अलेपा, सोहे संत समाई” 

(चीन्हे= without identifying who am I, भ्रम = illusion, काई =moss, अलेपा = detached (like lotus), सोहे=looks beautiful, समाई = God stays inside the heart of everyone)   

(Without identifying who am I, the illusive covering of maya can never disappear. And why do you search for God in the forest whereas He is sitting in your heart itself)

https://youtu.be/mEQmopvbMvg&t=140 

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और एक न एक दिन तो आपको यह विचार करने ही पड़ेगा यानी इस युद्ध के मैदान में आपको स्वयं को झोंकना ही पड़ेगा

https://youtu.be/mEQmopvbMvg&t=188

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https://1drv.ms/v/s!AkyvEsDbWj1gndBkjkgbW_iFU3ePwg?e=hwheB6

Sunday, November 7, 2021

कृष्ण दास जी के मन में सुंदर वैश्या को देखकर by Indresh Ji

कृष्ण दास जी के मन में सुंदर वैश्या को देखकर कृष्ण दास जी के मन में सुंदर वैश्या को देखकर  https://youtu.be/KS5nc2kPiJo 1 श्री कृष्ण दास जी बाजार खरीदने कुछ सामग्री खरीदने गए https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=10 2 श्रीनाथ जी की सेवा के लिए ठाकुर जी को सदैव वह वस्तु प्रस्तुत कर करनी चाहिए जो आपके नेत्रों को अति प्रिय लगे  https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=21 3 आज क्या स्थिति है कि हमें कोई चीज अच्छी लगती है तो हम लोग सोचते हैं घर में कोने में उसको सजाएंगे, हमें और हमारे परिवार को अच्छी लगेगी घर में (यानी हम केवल अपनी प्रसन्नता का ख्याल रखते हैं)   https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=45  4 कहने का अभिप्राय यह है कि आपके कानों को कोई स्वर अच्छा लगे, नेत्रों को कोई दर्शन अच्छा लगे, जीवहा को कोई रस अच्छा लग जाए, त्वचा को कोई स्पर्श अच्छा लग जाए - वह सब कुछ अपने घर के ठाकुर जी को अर्पित कीजिएगा, उसके बाद स्वयं सेवन कीजिएगा वो प्रसाद बन जाएगा https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=68  5 श्री कृष्ण दास जी एक बार दिल्ली गए, तो दिल्ली में जलेबी बन रही थी जलेबी देख कर के कृष्णदास जी मन में सोचने लगे इसका भोग लगाना चाहिए ठाकुरजी को https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=91  6 मंदिर के कपाट खुलते ही क्या देखते हैं श्रीनाथ जी की उठी हुई भुजा के ऊपर जलेबियां रखी हुई हैं, कृष्ण दास जी के नेत्र सजल हो गए (नहीं भगवान ने भक्त का भाव पहले से ही भांप लिया था) https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=241  7 आरती के पश्चात ठाकुर जी को देख कर के रुदन (रोने) करने लगे, ठाकुर जी ने अपने हाथों से कृष्णदास के मुख में जलेबी पधरा दी https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=254  8 इसको रस नहीं इसको रास कहते हैं, भगवान का अपने भक्त के साथ, हम ठाकुर जी की इच्छाएं पूरी करते रहें, करते रहें, हमारे हृदय की इच्छा हमारी ना रह जाए वह ठाकुर जी की ही इच्छा हो जाए, यह भक्ति की पराकाष्ठा (climax) है  https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=270  9 श्री कृष्ण दास जी एक बार आगरा गए, तो आगरा में बाजारी कर रहे थे, तभी उनको सुंदर स्वर सुनाई देने लगा, और सुंदर स्वर को सुनकर के कृष्णदास जी का मन विचलित होने लगा बोले कौन गा रहा है https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=289  10 घुंघरू अपने पैरों में बांध कर के एक वैश्या करके गा रही थी, उसके स्वर पर तो कृष्णदास जी एक बार को मोहित हो ही गए थे, लेकिन जब उसका स्वरूप देखा, कृष्ण दास जी के मन में भाव आया कि इतना सुंदर स्वरूप, इतना सुंदर कंठ, इतना सुंदर नृत्य, यह तो मेरे लाल जी को प्रस्तुत होनी चाहिए  https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=323  11 कृष्ण दास जी उसके पास पहुंचे और जाकर के कहा देवी हमारे सेठ जी के सामने नृत्य करोगी  https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=397  12 वैश्या ने कहा 50 रुपए लगेगा उस समय के बहुत होते थे, कृष्ण दस जी ने 100 रुपए तो तभी दे दिया, बोले तुम पहले रख लो और फिर जब हमारे सेठ जी के सामने नाच लोगी, वो प्रसन्न हो जाएंगे तो उसके बाद जो उनकी इच्छा होगी वो वो दे देंगे, यह तो केवल ऐसे ही एडवांस समझ लो https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=426 13 वैश्या तो मोहित हो गई, सोचने लगी कि यहां तो मुझे लगता है इतना धन मिलेगा कि मुझे फिर किसी से मांगने की जरूरत नहीं, जब सेठ जी का सेवक इतना उदार है तो सेठ जी कितने उदार होंगे  https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=454  14 शाम का समय पहुंचे वैश्या तैयार होकर के मंदिर में पहुंची, अभी तक भी उसको नहीं पता था मैं कोई मंदिर में हूं, कृष्णदास जी से बोला, कहां है आपके सेठ  https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=504  15 बोले अभी भोजन कर रहे हैं, जैसे भोग पूरा हो जाएगा उसके बाद सेठ जी सामने सिंहासन पर बैठे हैं तुम नृत्य करना शुरू कर देना, अति सुंदर बन कर के आई है अपने रूप का अहंकार, अपने कंठ का अभिमान, अपने संपूर्ण अंग का अभिमान कर रही है, बोले ऐसा नृत्य करूंगी ऐसा गाऊंगीं कि सेठ मुझ पर फिदा हो जाएगा मुझ पर, लेकिन उसको क्या पता था कि फिदा कौन होने वाला है  https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=518  16 जैसे ही गोसाई जी ने कपाट खोले, एक भुजा उर्द (ऊपर) बाहु, दूसरी भुजा कंठ पर अपने कटी भाग (कमर) पर और कमल नैन श्रीनाथ जी का जैसे ही उसने दर्शन किया, स्तब्ध हो गई, मुख मंडल को देख कर के, उसके संपूर्ण शरीर के रोए मानो नृत्य करने लगे https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=566  17 जितने स्वर राग रागिनियो को जानती थी सब विस्मृत (forgot) हो गए, कृष्णदास जी कहने लगे नृत्य करो तो धरती कहीं है, पैर कहीं और जाता है, मन की दशा कछु और ही भई रे, तब अंत में वह समझ गई कि मैं कुछ नहीं कर पाऊंगीं, क्योंकि अपने पर अभिमान था ना कि मैं यह जानती हूं, वो जानती हूं, उनके लिए पूर्ण समर्पण नहीं था  https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=597  18 तब वो कृष्णदास जी के सामने हाथ जोड़ती, बोली मेरे बस का नहीं है, अब कुछ गाना आप ही कुछ गा दीजिए, तो कृष्ण दास जी ने उस वैश्या के भाव को ही गाया “गिरधर छवी पे अटकयो मेरो मन”  https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=624  19 कृष्णदास जी उस वैश्या का मुख पर पड़ रहे हैं, मानो वैश्या कहना चाह रही है, ये जो सामने तुम्हारे सेठ जी खड़े हैं ना इनकी, जो भगवान का ललित त्रिभंगी स्वरूप है यानी तीन जगह से टेढ़े, सिर भी टेढ़ा, कमर भी टेढ़ी, पाँव भी टेढ़े, इन पर मेरा चित्त ऐसे अटक गया है, जैसे चुंबक पर लोहा चिपक जाता है https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=886  20 नाचते नाचते कृष्ण दास जी ने इशारा किया, बोले, बस हो गया चलो वापस तुमको आगरा छोड़ आए, जहां तुम नाचती थी https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=951  21 वैश्या के नेत्र लाल पड़ जाते हैं, रोने लग जाती है, हाथ पांव कंपन करने लगते हैं, तब कृष्ण दास जी से मानो इशारे में कहती है कि मैं इस शरीर से इनकी (भगवान की) सेवा नहीं कर सकती, इस शरीर को ना जाने कितने लोगों ने उपभोग करके अब दूषित कर दिया है, जूठा कर दिया है, और जूठी वस्तु ठाकुर जी की सेवा में नहीं जा सकती, अब तो मेरा एक ही मन है, शरीर अपवित्र है लेकिन आत्मा परम शुद्ध होती है, अब प्रणा परायण करना चाहती हूँ   https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=981  22 वैश्या नाचते नाचते, घूमते घूमते घूमते, श्री नाथ जी के आंगन में ही अपने प्राणों का परित्याग कर देती है और आत्म रूप धारण करके श्रीनाथ जी के शिव विग्रह में जाकर के विलीन हो जाती है  https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=1043  23 सोचो अपने जिस रूप, जिस कंठ, जिस नृत्य की विद्या को आज तक संसार को देती रही, कभी संतुष्ट नहीं हुई, वह वैश्या केवल एक दिन एक उस विद्या का प्रस्तुतीकरण ठाकुर जी के सामने किया, और ठाकुर जी ने अंगीकार कर लिया, निज सेवा में बुला लिया https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=1088 24 थोड़ी देर में श्रीमद वल्लभाचार्य जी आदि समस्त वैष्णव जनों को दर्शन हुआ कि ठाकुर जी की लीला में, जितने सखा सहचर थे, उन सहचरों में एक वैश्या भी खड़ी है ठाकुर जी उसको अपनी अंतःपुर की लीला में ले गए https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=1110  25 कहने का अभिप्राय केवल इतना है जिस विद्या को ठाकुर जी ने कृपा करके आपको दिया है उस विद्या का प्रस्तुतीकरण उन्हीं के लिए कीजिए, संसार के लिए मत कीजिए  https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=1132 26 बहुत बड़ी रहस्य की बात बता रहा हूं, यदि आप हाथ से भोजन बहुत अच्छा बनाते हैं, तो आपको नाम जप की जरूरत नहीं है, आपको तीर्थ यात्रा करने की जरूरत नहीं है, सत्संग की भी जरूरत नहीं है, बस भोजन इतना स्वादिष्ट बनाकर ठाकुर जी को पवाओ, ठाकुर जी उसी से रीझ (प्रसन्न) जाएंगे https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=1148   Standby link (in case youtube link does not work) https://1drv.ms/v/s!AkyvEsDbWj1gndBaUiiPKQayJ-MdwQ?e=tWhku0

Saturday, November 6, 2021

संत हुए लट्टू सुंदर औरत के पीछे-पीछे उसके घर पहुंच गए by Indresh Ji

संत हुए लट्टू सुंदर औरत के पीछे-पीछे उसके घर पहुंच गए by Indresh Ji

https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU

1 हमारे विद्वानों में एक परम विद्वान हुए श्री बिल्ब मंगल https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=0 2 श्रेष्ठ जन जो होते हैं, यदि कुछ ऐसी क्रिया करें जो अवगुण जैसी दिखे तो ये समझना कि वह सदैव दूसरों को सिखाने के लिए करते हैं (श्रेष्ठ जन कभी कुछ गलत नहीं करते) https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=24 3 बिल्ब मंगल जी जो थे उनको रूप का बड़ा आकर्षण था, उनको रूप कहीं दिख जाए, उसको देखने लग जाते https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=38  4 एक बार मार्ग से जा रहे थे और एक सुंदर युवती नदी में जल भर रही थी, बिल्ब मंगल जी की एक दृष्टि उसके ऊपर पड़ी और बिल्ब मंगल जी उसके पास जाकर के बैठ गए और उसको निहारने लगे  https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=49 5 उसके पीछे पीछे उसके घर तक पहुँच गए  https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=80 6 पति ने द्वार खोल कर के बिल्ब मंगल जी को भीतर बुलाया https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=120 7 पति ने पत्नी से कहा कि बढ़िया सुंदर भोजन बनाओ, महाराज जी पधारे हैं https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=153   8 पति ने पत्नी से कहा श्रृंगार करके महाराज के सामने आओ  https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=170  9 एक सामान्य सांसारिक व्यक्ति की सुंदरता देखकर हम सब कुछ भूल जाते हैं  https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=196  10 बिल्ब मंगल जी को अचानक ध्यान आया कि यदि इतना त्याग, यदि ठाकुर जी के लिए किया होता तो ठाकुर जी मिल गए होते https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=231  11 बिल्लू मंगल जी ने नेत्र खोले और उस कन्या से कहा, सुनो तुम्हारे घर में सुई है, लेकर आओ  https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=242  12 बल्ब मंगल जी ने अपनी आंखें फोड़ लीं, बोले जो नेत्र संसार के रूप को देखने को आसक्त हो गए, आधीन हो गए, यह नेत्र जीवित रहने के अधिकारी नहीं है  https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=263  13 वेणु गीत के प्रथम श्लोक में गोपियां कहती हैं, हमको आंख मिली है तो इन आंखों को मिलने का साफल्य क्या है, इन आंखों को मिलने का लाभ क्या है, यदि श्री कृष्ण के दर्शन नहीं किए  https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=290  14 चांदी का कटोरा मिलने के बाद भी हमने उसमें मिट्टी भर दी, ऐसा हमने आंखों का प्रयोग किया है https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=301  15 भीष्म पितामह कहते हैं कि हे श्री कृष्ण, मैंने आपके सारे दर्शन किए, आपकी “ललित गति” का दर्शन नहीं किया  https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=413 16 ठाकुर जी “ललित गति” से क्यों चलते हैं यानी टेढ़े-मेढ़े, भू देवी जो उनकी दूसरी पत्नी है (पहली पत्नी श्रीदेवी) भू देवी को प्रसन्न करने के लिए गाय के खुरों से जो गड्ढे बनते हैं उन गड्ढों पर पांव रखते हुए https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=458  Standby link (in case youtube link does not work): संत हुए लट् टू सुंदर औरत के पीछे-पीछे उसके घर पहुंच गए II श्री इंद्रेश उपाध्याय महाराज जी.mp4

Friday, November 5, 2021

श्रीजी (श्री राधे) की अद्भुत कथा - by Indresh ji

श्रीजी (श्री राधे) की अद्भुत कथा https://youtu.be/K8UP-igHsb0 1 श्री जी (श्री राधे) का जितना गायन देवादि देव महादेव ने किया है, उतना किसी ने नहीं किया  https://youtu.be/K8UP-igHsb0&t=38 2 और लोग तो शिव पर जल चढ़ाते हैं ओम नमः शिवाय करते हुए, मगर हम तो श्री राधा श्री राधा करते हुए, उससे भोले शंकर अत्यंत प्रसन्न होते हैं https://youtu.be/K8UP-igHsb0&t=105 3 कैसे काशी में महादेव के हुए दर्शन, जब महादेव को शिकवा (complain) किया https://youtu.be/K8UP-igHsb0&t=116  4 जब देवों के देव महादेव, श्री जी का स्मरण करते हैं तो सोचो श्री जी (श्री राधे) कौन हैं https://youtu.be/K8UP-igHsb0&t=249  5 आजकल के लोग फालतू सिनेमा देखते हैं, उसके बाद वृंदावन आते हैं तो क्या आपको श्री जी समझ आ जाएंगी ? आपको यह अद्भुत प्रेम समझ आएगा ? कभी नहीं आ सकता, अद्भुत प्रेम के रस स्वरूपा है, हमारी श्यामा https://youtu.be/K8UP-igHsb0&t=266  6 बिहारन देव जी बिहारी जी की सेवा करते थे https://youtu.be/K8UP-igHsb0&t=367  7 बिहारन देव प्रार्थना करते थे कि  उस वृंदावन का दर्शन कब होगा जहां आप युगल स्वरूप धारण करके विचरण करते हो, जहां यमुना में जल नहीं, केसर युक्त सुगंधित जल बहता है, जहां पर यमुना के तट पर बालू नहीं मणियों की बालू है, जहां पर वृंदावन में वृक्षों पर कोयल चहकती नहीं है, श्री राधा श्री कृष्ण नाम ध्वनि प्रकट करती हैं, जहां पर वृंदावन में रहने वाले मानवों का भोजन पानी केवल आपके दर्शन मात्र हैं, उस वृंदावन का मुझे कब आस्वादन (taste) होगा, “अप्रकट” (not seeable through our mortal eyes)  वृंदावन का थोड़ा भाव समझो https://youtu.be/K8UP-igHsb0&t=409  8 बिहारी जी ने  एक दिन बिहारन जी की प्रार्थना सुन ली और उन्हें दर्शन दिए  https://youtu.be/K8UP-igHsb0&t=504

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श्रीजी की अद्भुत कथा 🌈 बांके बिहारी लाल जी कीजय 🙏 इंद्रेश आचार्य जी ने सच्ची कथा.mp4

Thursday, November 4, 2021

वेदों में तीन पर्योजन हैं: संबंध, अभिधेय, प्रयोजन ; There are three purposes in the Vedas: Sambandha, abhidheya, prayojana #blog0106


There are three purposes in the Vedas: Sambandha, abhidheya, prayojana.

Sambandha means relationship ;
abhidheya means the activities done to achieve the ultimate goal ;
prayojana means the ultimate goal of life.

So the ultimate goal of life is to understand Krishna.

वेदों में तीन प्रयोजन हैं: संबंध, अभिधेय, प्रयोजन;

संबंध का अर्थ है संबंध (relationship with Krishna)

और अभिधेय का अर्थ है अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए की गई गतिविधियाँ

और प्रयोजन का अर्थ है जीवन का अंतिम लक्ष्य

अतः जीवन का अंतिम लक्ष्य कृष्ण को समझना है
or

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