Monday, January 10, 2022

Gita Full Course Part 3 of 7 (भाग - 3)

*Gita Full Course Part 1 of 7* https https://krishnabff.blogspot.com/2022/01/gita-1.html            *Gita Full Course Part 2 of 7* https://krishnabff.blogspot.com/2022/01/gita-full-course-part-2-2.html       *Gita Full Course Part 3 of 7* https://krishnabff.blogspot.com/2022/01/gita-full-course-part-3-3.html            *Gita Full Course Part 4 of 7* https://krishnabff.blogspot.com/2022/01/gita-full-course-part-4-of-9-4.html            *Gita Full Course Part 5 of 7* https://krishnabff.blogspot.com/2022/01/gita-full-couse-part-5-5.html *Gita Full Course part 6 of 7* https://krishnabff.blogspot.com/2022/01/gita-full-couse-part-6-of-9-6.html *Gita Full Course part 7 of 7* https://krishnabff.blogspot.com/2022/01/gita-full-couse-part-7-of-9-7.html

Gita Full Course Part 3 of 7 (भाग - 3)

https://www.youtube.com/watch?v=wr_fXCVjSgU&list=PLI9pJ1j5Go3vKJPXVUv_NhNwB6seW2qHC&index=3


ज्ञान के लिए गुरु का होना बहुत आवश्यक है,  वेदों को “श्रुति शास्त्र” बताया गया है, श्रुति का मतलब सुनना https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=0 भगवान ने अर्जुन को कहा की ज्ञान की परंपरा छिन्न भिन्न हो गयी थी इसलिए सूर्यदेव Vivasvan के बाद मैं तुम्हें ज्ञान दे रहा हूँ, इससे यह सिद्ध होता है की ये ज्ञान केवल सनातन ही नहीं, कॉल (समय) से भी परे है  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=16  यदि श्री कृष्ण द्वारा ज्ञान जो अर्जुन को दिया, व ज्ञान नया होता तो जो लोग पहले चले गए उनके साथ बेइंसाफी होती, इसलिए श्रीकृष्ण नया ज्ञान नहीं वही पुराना ज्ञान दोहरा रहे हैं https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=46  आध्यात्मिक ज्ञान नष्ट नहीं होता है (क्योंकि इस पर काल का असर नहीं होता), परंपरा टूट गई इसलिए ज्ञान लुप्त (hidden) हो गया, आज केवल 5.78% वेद ही प्रत्यक्ष सामने हैं बाकी लुप्त हो चुकें हैं https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=95  वेदों पर विश्वास करना सीखिए, science के नियम तो आज है और कल खंडित या modified हो जाते हैं, science पहले धरती को चपट मानती थी गोल नहीं, जबकि शास्त्र भूगोल (यानि गोल) की बात करते थे, जब science   atom और molecule की बात कर रही थी, अनु और परमाणु की चर्चा शास्त्रों में है, science में atomic time की भी चर्चा है श्रीमद्भागवत की तीसरे स्कंद में  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=171  शास्त्र कहते हैं गाय का गोबर शुद्ध करता है, antiseptic है, science ने भी आज कबूल लिया है https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=225 ऐसे उदाहरणों का बहुत लम्बा वर्णन है, हमारे वेदों में सब कुछ है, श्रीमद्भागवत भक्ति का ग्रंथ होते हुए भी, उसमें गर्भ में कितनी तकलीफ होती है पूरा विस्तृत वर्णन है, science भी अचंभित है  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=254  हमारे ऊपर कृपा करी है भगवान ने, 94% वेद लुप्त कर दिए, केवल 6% वेदों से भी हमारी हालत खराब है, जो लुप्त हुए हैं उसमें वर्णन था कि कैसे बड़ी बड़ी शक्तियां अर्जित की जाती हैं,  भगवान नहीं चाहते थे की बुरे व्यक्तियों के हाथ में इतनी शक्तियां आ जाएं, और ये हमने देखा है कि  असुरों के हाथ में जब जब शक्तियां गयी हैं, उन्होंने सत्यानाश ही किया है  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=273  सबसे बड़ी तहस नहस तब होती है, जब लोग भगवान विष्णु (भगवान श्री कृष्ण के स्वरूप, Krishna’s expansion) को भगवान मानना बंद कर देते हैं,   https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=311  सारे असुर मिल कर दुश्मन होते थे केवल भगवान विष्णु के, और कोई नहीं  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=325 हर गुरु को पहले शिष्य होना चाहिए, ऐसी शिष्य गुरु, शिष्य गुरु देखते हुए आखिर में अब पहुँचेंगे भगवान कृष्ण तक जो आदि गुरु हैं  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=373 गुरु छे कर्मों में निपुण होना चाहिए 1. दान लेना दान देना (ब्राह्मण को सुबह ₹1 लाख मिले, तो शाम तक सब बंट जाना चाहिए) 2. यज्ञ करना और यज्ञ कराना, और कलयुग में सबसे बड़ा यज्ञ है कीर्तन यज्ञ यानि महामंत्र का उच्चारण, भागवत में लिखा है स्कन्ध 12 में, कलयुग में सब अवगुण ही अवगुण हैं, सिर्फ एक ही गुण है कि महामन्त्र से मुक्ति हो सकती है  महा मंत्र =  हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=446  मुक्ति मिलने के बाद परमधाम की प्राप्ति होगी, इस संसार से लाखों गुना सुन्दर हैं स्वर्ग, स्वर्ग से लाखों गुना सुन्दर है ब्रह्मलोक, और ब्रह्मलोक से अनंत गुना सुन्दर है वैकुंठ लोक और वैकुंठ लोक से भी अनंत गुना सुन्दर है गोलोक वृन्दावन – ये सब शास्त्रों में लिखा है https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=561    गुरु छे कर्मों में निपुण होना चाहिए 3. पढ़ना और पढ़ाना यानी ज्ञान लेना और ज्ञान देना https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=597  मुझ स्वयं को बचपन में पढ़ाई अच्छी नहीं लगती थी और इसीलिए मैं आध्यात्मिक में आया था की दुबारा जनम ना लेना पड़े और पढ़ाई ना करनी पड़े, मगर क्या पता था की पूरा जनम पढ़ाई करनी पड़ेगी, क्योंकि प्रभुपाद जी कहते थे की 2 घंटे बोलना है तो 6 घंटे पढ़ना पड़ेगा, मगर ज्ञान को यथारूप postman की तरह आगे बांटना है https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=608  कई बार लोग कहते है की हमारा धर्म तो खिचड़ी धर्म है सब कुछ चलता है - मगर नहीं चलता है, “माम् एकम शरणं ब्रज”, इधर उधर देखने की, दूसरे धर्म को, की बात नहीं कही गई https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=689  जो चार पारंपरिक सम्प्रदाय से नहीं है उसका मंत्र विफल (not successful) होगा, इन चार संप्रदायों से चार गुरु आयेंगे 1. Nimbark acharya (4 Sankadik kumar rishis) 2 Ramanuja acharya (from Sri ji) 3 Vishnu swami (From Shiva) 4 Madhav acharya (From Brahma) https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=773   Adishankar acharya जी ने कहा “भज गोविंदम भज गोविंदम मूड़ मते”, हे कम बुद्धि वाले, गोविंद का भजन करो, मगर जो लोग अपने आपको अक्लमंद कहते हैं वो गोविन्द को नहीं भजते, जबकि वो सब मूर्ख हैं, कम बुद्धि वाले हैं इसीलिए तो इस संसार में पड़े हैं जो कि “दुखालयम अशाशवत” (mountain of sorrows (दुखालयम) & that also temporary (अशाशवत)) है, हम स्वयं भी अपने आप को मूड़ यानी मूर्ख मान रहे हैं इसीलिए भज गोविंदम कर रहे हैं   https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=837 हाँ आप देवी देवता बन सकते हैं वेदों के भी अलग अलग स्तर हैं, कहते हैं कि सत्य को ऐसा बोलें कि दूसरे को बुरा न लगे मगर ये वेदों के कर्मकांड और अर्थ शास्त्र में लिखा है, मगर धर्म शास्त्र (उपासना कांड) में बताया गया है कि सत्य को हर हालत में बोलना चाहिए (so the latter overrides former) https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=905  कोई cancer का patient हो और doctor कहे की आपको थोड़ा सा बुखार है तो क्या ये सही है, नहीं https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=951 कोई भी भगवान नहीं बन सकता ये भगवान कोई post (औधा) नहीं है, हाँ आप देवी देवता बन सकते हैं इन्द्र और ब्रह्मा भी बन सकते हैं https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=1004 हरि का नाम किसी वैष्णव के इलावा किसी और से सुनना भी नहीं चाहिए, जैसे एक सांप दूध को छू दे, तो दूध जहरीला हो जाता है https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=1047  बहुत से लोग भगवान को निराकार मानते हैं, वो भी श्रीकृष्ण का नाम लेते हैं, मगर उनकी उपासना किसके लिए है कि कल को मैं भी विष्णु बनूँगा, जब एक दूसरे को ये लोग मिलते हैं तो कहते है नारायणो नमो नम यानी तू भी नारायण और मैं भी नारायण – ये गलत है  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=1083   नारायण शब्द के दो अर्थ हैं : नर आयण (resting): (1) Garbhodaksayi Vishnu (समुद्र में शयन कर रहे हैं, और नाभि से कमल निकला हुआ है) (2) जो नारों को आश्रय (shelter) देने वाले हैं  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=1120  ऐसे ही एक गलत शब्द है दरिद्र नारायण, अरे नारायण दरिद्र थोड़ी होते हैं लक्ष्मी नारायण होते हैं, ऐसे गलत शब्दों से मूर्ख बनाते हैं लोगों का https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=1165 अगर वेद गाय हैं तो गीता दूध है, बछड़ा अर्जुन है और ग्वाला श्री कृष्ण हैं  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=1300 Prabhupad ji western countries में कहते थे कि क्यों तुम गाय का खून पीते हो, दूध के रूप में खून दे तो रहीं हैं अपना  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=1317 पूरी Gita 15-16 मिनट के अंदर बोली गयी थी, अर्जुन ने 16 प्रश्न किये थे https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=1350  अगर सारे वेद पेड़ है तो सब पेड़ों का पका हुआ फल श्रीमद् भागवत है https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=1413 बच्चे को शुरुआत में ही फल नहीं दिया जाता पहले दूध पिलाया जाता है इसलिए पहले गीता सुनो और समझो, बाद में श्रीमद् भागवत https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=1427 youngsters में यही समस्या है की भागवत के सीधे ही दसवे स्कन्द में पहुँच जाते हैं जहाँ श्री कृष्ण की रास लीला हैं, श्रीकृष्ण की लीलाओं में दिमाग मत लगाइए, दिल से सुनिए और मगन होइये, भगवान की इच्छा अनुसार उन्होंने लीलायें की  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=1460 कई लोग कहते हैं अरे भगवान थोड़ी अवतार लेते हैं, अरे तुम्हारे से पूछ के लेंगे क्या ?, भगवान ऐसा थोड़ी कर सकते हैं, अरे तेरे से पूछने आएँगे क्या ? https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=1552  भगवान की लीलायें हम नहीं समझ सकते, लक्ष्मण दो बार मूर्छित हुए थे, पहली बार तो हनुमान जी संजीवनी लेने चले गए, दूसरी बार जब लक्ष्मण मूर्छित हुए तो भगवान ने कहा उठ जाओ भाई, नाटक नहीं करो https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=1564 भगवद गीता ticket है श्रीमद्भागवत पढ़ने के लिए, Prabhupad जी कहते थे की गीता preliminary study है और श्रीमद्भागवत higher study है, जहाँ गीता खत्म होती है वहाँ पर श्रीमद्भागवत शुरू होती है, इसलिए गीता को उपनिषद कहते हैं क्योंकि वेदों का सार है  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=1603  जब श्रीकृष्ण द्वापर युग के अंत में गोलोक को गये तो केवल गीता और श्रीमद् भागवत बची रहीं https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=1669  पुराणो और वेदों, रामायण, महाभारत सभी को वेद कहते हैं, जो वेदों को पूर्ण करे वो हैं पुराण, वेद हैं भगवान के कानून की किताबें (law book) और पुराण है कानून के law journal (जिसने कानून को follow  नहीं किया उसे क्या फल मिला)  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=1700  वेद व्यास जी ने कहा की कलयुग में सब शूद्र पैदा होंगे, इसलिए महाभारत की रचना करी, कई लोग कहते हैं कि महाभारत घर में रखो तो घर में झगड़ा होता है, उसे मैंने कहा की हाँ महाभारत नहीं पढ़ोगे तो झगड़ा होगा ही मगर महाभारत पढ़ोगे, तो झगड़ा नहीं होगा https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=1754 पूरी महाभारत अंगूठी की तरह है और उस में गीता का “नग” (gem) लगाने के लिए महाभारत की रचना हुई, इसलिए हम जीवों के लिए ये भगवद्गीता बनाई गई है https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=1794 भागवत प्राप्ति के लिए तीन “प्रस्थान त्राय (three)” यानि ३ राज पथ: 1 उपनिषद, मगर इन को समझने के लिए बहुत घोर तपस्या, तपोवन, में करनी पड़ती है गुरु की शरण में    https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=1825 2. वेदांत सूत्र: बहुत अधिक ज्ञान को कुछ शब्दों में समेट दिया, इसके लिए पंडित होना, बहुत ज्ञानी होना आवश्यक है https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=1860  3 भगवद गीता: इसे कोई भी अपना और समझ सकता है, इसीलिए यह सर्वश्रेष्ठ मानी गई है, भगवत प्राप्ति के लिए  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=1876  *Gita Shloka* 5.29: पहला संतोष (contentment), दूसरी शांति, तीसरा आनंद इस तरह से तीन सीड़िया है, असली धन संतोष है (गाड़ी बंगला नौकर चाकर, इन्हें धन नहीं कहा गया है शास्त्रों में), भगवान कहते हैं की जो गीता को समझ पाएगा उसे मैं शांति दे दूंगा  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=1926 https://workflowy.com/#/fcc435a0c3c8 मंदिर बनवाने से नर्क की प्राप्ति from 33.40 to 40.16 भगवान गीता में कहते हैं जो शास्त्रों की अवहेलना (criticize / ignore/ not to read shastras) और मनमाने ढंग से काम करता है वो कभी सुखी नहीं हो सकता, कोई ये नहीं कह सकता कि कलयुग है, चलता है,  “मेरे ख्याल से” – कदापि नहीं, ये सब गलत है https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=2416 शास्त्रों के अनुसार कर्तव्य करना चाहिए, हमारा पहला कर्तव्य जो हमने माँ के गर्भ में भगवान को वायदा किया था कि मैं आपकी भक्ति करूँगा - हम नहीं करते https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=2524 भगवद गीता कुरुक्षेत्र में बोली गयी, युद्ध के मैदान में, भगवान ने युद्ध का मैदान ही क्यों चुना, अर्जुन को ही क्यों चुना ? भगवान को मालूम था कि  आम आदमी का जीवन युद्ध के समान है, अर्जुन को चुना क्योंकि वो क्षत्रिय था और एक राजा था (ताकि लोग ये ना कह सकें कि अर्जुन तो एक सन्यासी था, कुछ काम वाम तो था नहीं अर्जुन को, इसलिए गीता का ज्ञान सुन लिया, हम तो बड़ी समस्याओं से घिरे हुए हैं) https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=2546 कुछ लोग कहते हैं अर्जुन को tension नहीं थी, हमें तो बहुत tension है, अरे अर्जुन को जितनी tension थी कि अपने प्रियतमों को मारना है, इससे ज्यादा बड़ी tension हो सकती है क्या ? https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=2674 चिंता नहीं करो आप, जैसे डॉक्टर बेहोशी का Injection देता है, वैसे ही कुछ गीता के ज्ञान उसके बाद आपको भी tension नहीं रहेगी चाहे सभी आसक्तीयों (attachments) को काट दो https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=2756  भागवत गीता आपको तैयार कर देती है कि आगे कैसे जियो बिना tension के https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=2769 हम गलती यही करते हैं कि भगवान को एक किनारे कर देते हैं और अपने ही so called कर्तव्य चलाते हैं, इससे बनी बनाई बात बिगड़ जाती है https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=2800 हमारे अंदर क्या गुण होने चाहिए गीता को समझने के लिए, मान लीजिये आप मार्केट में दूध लेने जा रहे हैं और आपके पास केवल कागज का थैला  है तो क्या दूध ला पाएंगे ? https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=2854 प्रभुपादजी कहते हैं कि जो व्यक्ति समझता है की वो दुखी नहीं है और उसे दुख का निवारण नहीं चाहिए, तो उसे गीता सुनने की जरूरत नहीं https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=2874 जो व्यक्ति बीमार तो हो, मगर अपने आप को समझता है कि बीमार नहीं हूँ, तो उसे डॉक्टर के पास ले जाने से क्या फायदा https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=2906 तो पहले ये मानो की ये तुम जीवन में है जन्म मृत्यु बुढ़ापा और अनेक समस्याएँ, बीमारियाँ - ये सब दुख हैं जिनसे सभी ग्रसित हैं, यदि इन सबको आप दुख मानते हों तब गीता समझने का कुछ फायदा होगा  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=2916  और एक मुख्य बात गीता सांकेतिक (symbolic) / काल्पनिक (imaginary / mythology) नहीं है, कुरुक्षेत्र है, महाभारत हुआ था, अर्जुन ने श्रीकृष्ण से गीता का पाठ सुना था, ये सब वास्तविक घटनाएँ हैं https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=2942 पूरा वर्णन सुनिए कैसे एक foreigner lady ने महाभारत महसूस की /देखी और  द्रोपदी को देखा https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=3040 भगवद्गीता को समझने के लिए यथारूप (as it is) समझना होगा, भगवद्गीता एक विज्ञान है, विज्ञान का मतलब आप इसे अपने जीवन में उतारिए 100% गारंटी कि आपको आनंद मिलेगा - और ये गैरैन्टी मैं नहीं दे रहा श्रीकृष्ण भगवान दे रहे हैं  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=3170    एक मुख्य बात ये है कि जब गीता पढ़ना आरंभ करें तो ये पूर्ण विश्वास कर लीजिये की श्री कृष्ण ही परम भगवान हैं, यानी आप ये धारण करके चलिए की गीता में कुछ त्रुटि नहीं हो सकती  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=3223 अब जो आप गीता पड़ोगे तो ये नहीं कहोगे कि “ऐसे थोड़ी होता है”, आप बोलोगे “मुझे समझ में नहीं आया”, जैसे एक बालक स्कूल जाता है और कुछ समझ में नहीं आया तो teacher से कहता है “मुझे समझ नहीं आया”, ये थोड़ी कहता है कि “ऐसा थोड़ी होता है” क्योंकि बालक को teacher पर विश्वास है  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=3261  *Gita Shloka* 2.7: ये श्लोक गीता का प्रवेश द्वार है: अर्जुन ने कहा श्रीकृष्ण को मैं अपनी कृपण दुर्बलता के कारण, अपना कर्तव्य भूल चुका हूँ, अपना धैर्य खो चुका हूँ, अब मैं आपका शिष्य हूँ और आपको शरणागत हूँ – कृपया जो मेरे लिए श्रेष्ठतम हो वो मुझे निश्चित रूप से बताइए (कृपण=कंजूस, यानि धन तो है मगर उसे इस्तेमाल नहीं कर रहा, ज्ञान तो है ज्ञान बांट नहीं रहा, बल तो है बल का सबके भले के लिए इस्तेमाल नहीं कर रहा, यानी आपके पास कुछ चीज़ है और आप उसे इस्तेमाल नहीं कर रहे तो आप दुर्बल हो जाओगे यानी वो शक्ति या वस्तु घट जाएगी) https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=3322 किसी को बोलो सत्संग में चलो, दूसरा बोलता है “भगवान की इच्छा होगी तो बुला लेंगे”, सुबह काम पर जाना होता है तो क्या बोलते हैं कि भगवान चाहेंगे तू काम पे जाऊंगा, क्या आपकी पत्नी बोलती है कि भगवान चाहेंगे तो आपको नाश्ता मिलेगा https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=3452 ये मनुष्य शरीर आपको भगवान ने दिया कि आप भगवान का ज्ञान ले सकें,  उनके धाम वापिस जा सके और इस दुखी संसार से निकल सकें  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=3523  फिर भगवान ने आपको गीता दी श्रीमद् भागवत दी, पढ़ने के लिए, समझने के लिए  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=3541 और फिर भक्तों का संग दिया, जो आपको आध्यात्मिक ज्ञान दिलाने में अत्यंत सहायक हैं, अब बताइए आपको और क्या चाहिए https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=3546     एक व्यक्ति को यदि business शुरू करना होता है तो बोलता है ₹1 लाख  चाहिए, नहीं कम है ₹1 crore  चाहिए, दूसरा बोलता है 1 लाख से शुरू तो कर, मगर भगवान ने तो आपको मानव शरीर दे दिया, ये बुद्धि दे दी, गीता दी, भागवत दी, भक्त जन दिए संघ के लिए और अपने आप को भी दे दिया, और क्या चाहिए आपको ? https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=3552 और अभी भी यही बोलते हो कि भगवान चाहेंगें तो सत्संग में बुला लेंगें, या तो फिर हर समय बोलो भगवान चाहेंगे तो नौकरी पर जाऊंगा, भगवान चाहेंगे तो डॉक्टर के पास जाऊंगा, भगवान चाहेंगे तो सिनेमा जाऊंगा, अपने  को heart attack हुआ हो तो क्या बोलोगे कि भगवान चाहेंगे तो hospital ले जाएंगे https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=3576   भगवान ने टांगें दी ही इसलिए हैं कि बार बार भगवान के पास जा सको आप, ये आंख इसलिए दी है कि भगवान के बार बार दर्शन करो, ये कान इसलिए दिए हैं कि बार बार श्रीकृष्ण कथा सुन सको, ये जो जिवहा (tongue) इसलिए दी है की कृष्ण का नाम ले सको और उनका प्रसाद बार बार चख सको, ये नाक इसलिए दिया है की भगवान पर चढ़े हुए फूलों को आप सूंघ सको, ये हाथ इसलिए दिए हैं कि भगवान के लिए कुछ कर सको, ये सारा शरीर इसलिए दिया है कि इसे भगवान की सेवा में लगा सको https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=3602   भगवान ने ये सारा सामान दिया था अपने लिए, शरीर रूपी गाड़ी दी थी कि पेट्रोल भरा के ले आना, फिर चलेंगें इकट्ठा, मगर मनुष्य तो गाड़ी लेकर ही  भाग गया, भगवान देख रहे है की मैंने तो मानव शरीर दिया था कि मेरे पास वापस लौट के आएगा मगर ये तो भाग गया – कहाँ ? https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=3641  ये आप बोलते हो ना कि भगवान चाहेंगे तो आयेंगे, अरे भगवान तो चाह रहे हैं, हम नहीं चाह रहे की वो आएं, अपनी भूल स्विकार करो https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=3668 जब हम कर्पण (कंजूस) व्यवहार करते हैं (भगवान ने हमें शरीर दिया उन तक पहुँचने के लिए, मगर हमने मानव शरीर का लाभ नहीं लिया), तो हम दुर्बल हो जाते हैं, दुर्बल होने से दुख होता है, यानी “जन्म मृत्यु जरा व्याधि” (birth, death, old age, disease) के कुचक्र में पड़े रहते हैं https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=3691  इस शरीर में हम फंस भी सकते हैं और इस से हम निकल भी सकते हैं, इस शरीर में भगवान ने पूरी क्षमता (शक्ति) दी है कि भक्ति करके हम सब दुखों को पार कर जाएं, अब इस क्षमता (शक्ति) को इस्तेमाल कर लो नहीं तो गँवा दो  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=3705 हम गुरु के पास जाते है बोलते हैं “धंधा ठीक नहीं चल रहा है”, “जोड़ों में दर्द है” अरे इन सब चीजों के लिए थोड़ी बैठे हैं गुरु, अच्छा शिष्य ही अच्छा प्रश्न कर सकता है, अर्जुन एक perfect शिष्य था और श्रीकृष्ण perfect गुरु मिल गए तो हम सब लोगों का भला हो गया कि गीता प्रकट हुई, नहीं तो हम मर जाते https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=3721  एक student college में जाए देखने के लिए कि पढ़ाई कैसी होती है, मगर admission ना ले, तो क्या उसको कोई बताएगा सही तरीके से – नहीं ; इसीलिए अर्जुन ने पहले ही श्री कृष्ण से कह दिया मैं आपको शरणागत हूँ,  कृपया मुझे सही मार्ग दिखाएं यानी बिना शरणागत हुए श्री कृष्ण भी सही मार्ग नहीं बताएंगें, ऐसे ही बहुत से लोग केवल गुरु की ज्ञान की परीक्षा करने के लिए प्रश्न कर देते हैं जब कि वास्तव में आध्यात्मिक जीवन में बढ़ने का उनका कोई इरादा नहीं होता https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=3852  पहले भी बताया था कि लोग सत्संग में आते हैं संदेश, उपदेश और आदेश के लिए, एक सही शिष्य को पहले उपदेश लेना चाहिए बाद में आदेश का पालन करना चाहिए, एक शिष्य उपदेश के द्वारा अपने प्रश्न यानी जिज्ञासा का निवारण कर सकता गुरु से, मगर यदि भक्त हो तो केवल आदेश का पालन करना होता है, भक्त का काम प्रश्न करना नहीं है, शिष्य का काम है प्रश्न करना  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=3882   धृतराष्ट्र पूरी गीता में संजय से गीता सुन रहा था केवल संदेश की तरह (ज्ञान की तरह नहीं), वो ना तो शिष्य था, ना वो भक्त था, इसीलिए धृतराष्ट्र को कुछ लाभ नहीं हुआ, कुछ बदलाव नहीं आया  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=3962 इसलिए जब हम गीता का प्रवचन देते हैं तो सबसे पहले लोगों से हाथ ऊपर करवा के महामंत्र का जाप करते हैं, हाथ उठाने का मतलब मैं शरणागत हूँ, चाहे एक दो घंटे के लिए सही, बाद में आपकी मर्ज़ी - क्योंकि शरणागत हुए बिना ज्ञान ले ही नहीं सकते और केवल संदेश की तरह सुनने से कोई लाभ नहीं हो सकता  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=3999  तो हमें धृतराष्ट्र नहीं, अर्जुन के पद कमलों पर चलना है, और बाद में अर्जुन ने कहा कि मेरा मोह नष्ट हो गया है, अब मैं वही करूँगा, जो भगवान चाहते हैं, धृतराष्ट्र ने ऐसा कुछ नहीं कहा  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=4044 ध्यान रहे कि भगवद्गीता अंदरूनी / आंतरिक (internal) बदलाव की बात कर रही है, बाहर के बदलाव की नहीं, क्योंकि अर्जुन पहले भी क्षत्रिय था और बाद में भी क्षत्रिय ही रहा, इसलिए कहते हैं कि सृष्टि (world / surroundings) नहीं बदलो, दृष्टि (vision) बदलो, और दृष्टि कैसे बदलती है ज्ञान से, जैसे कोई बारवीं क्लास (12th class) पास बच्चा हो और एक MBBS डिग्री लेकर आया हो तो दोनों की दृष्टि में अंतर होता है और ये दृष्टि बदली ज्ञान के कारण https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=4068 आप सृष्टि नहीं बदल सकते जबकि असुर (demon) सृष्टि बदलना चाहते हैं, दृष्टि बदलने की कोशिश नहीं करते, मगर भक्त ठीक इसके उलट सृष्टि बदलने की चेष्टा नहीं करता, दृष्टि ही बदल लेता है ज्ञान द्वारा https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=4134  बाहरी रूप से एक भक्त भी वैसे का वैसे ही दिखता है, मगर आंतरिक रूप से उसकी दृष्टि बदल जाती है, और ध्यान रहे कि यहाँ युद्ध भी बाहर का नहीं आंतरिक ही है, अर्जुन भी आंतरिक रूप से हार चुका था, मगर गीता पढ़ने के बाद अंदर से वो जीत गया, और जो अंदर से जीत गया बाहर तो वो जीत ही जाएगा https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=4151  गीता आपको अंदर का युद्ध जितवा देती है, जिससे आप बाहर का कोई भी युद्ध जीत सकते हैं  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=4179 गीता कहती है पांच सत्य हैं, कोई भी ज्ञान इन पांच सत्यों के बाहर नहीं है 1. भगवान 2. जीव 3. प्रकृति 4. काल (समय) 5. कर्म   https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=4234  सारे शास्त्रों का ज्ञान तीन वर्गों में बंटा हुआ है 1. संबंध ज्ञान 2. अभिदेय ज्ञान 3. प्रयोजन ज्ञान  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=4281  1. संबंध ज्ञान: मैं कौन, सृष्टि क्या है और हम दोनों का रचैता कौन है और इन तीनों का संबंध क्या है  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=4298  2. अभिदेय ज्ञान: इस संबंध में कैसे कार्य करना है की प्रयोजन ज्ञान प्राप्त हो जाए, यानि भक्ति करना   https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=4322 3. प्रयोजन ज्ञान : कृष्ण प्रेम कैसे पैदा करना है,  विकसित करना है, भौतिक जगत में भी यदि किसी के घर जाना हो तो उससे प्रेम होना आवश्यक है, ऐसे ही यदि आपको भगवान के घर वैकुंठ जाना है तो भगवान से प्रेम तो आवश्यक है https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=4329 मगर यदि प्रेम नहीं है तो आप boundary wall  तक तो पहुँच जाओगे मगर घर के अंदर नहीं घुस पाओगे https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=4345    आज कल हर कोई सबूत (proof) मांगता है, चाहे एक Mathematics nobel prize winner हो और आपके सामने बोर्ड पर लिखे कुछ equation आप आचंभित हो जाओगे मगर आप को समझ कुछ नहीं आएगा,  ऐसे ही doctor बोले की आप को typhoid है, आप कहोगे कैसे, proof दिखाओ, वो आपको microscope में दिखाएगा कीटाणु, मगर आप फिर भी नहीं समझ पाओगे, कीटाणु तो हैं मगर आप पहचान नहीं पा रहे है https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=4365  वास्तविकता (reality) में कारण (cause) तो मौजूद है, मगर अज्ञानता या दृष्टि न होने के कारण, हम उसे देख नहीं पा रहे हैं, समझ नहीं पा रहे, सबूत मांगने से पहले पहले आपको एक स्तर पर आना होगा ऐसे ही आध्यात्मिक ज्ञान भी है, तब आपको भगवान का सबूत भी दिखने लगेगा https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=4485 स्कूल, कॉलेज में बच्चों को यदि हम समझायें तो कहते हैं प्रूफ दीजिए भगवान का, मैं कहता हूँ आपके पिताजी कौन हैं, वो कहते है हाँ घर में हैं चलिए, तो मैं कहता हूँ, हाँ चलता हूँ आपके पिता का सबूत देखने ; ऐसे ही भगवान का सबूत को देखने के लिए आपको मेरे साथ चलना पड़ेगा, अब चलो तो, मगर आप चलने के लिए तैयार नहीं होते तो कैसे मैं आपको सबूत दिखाऊं भगवान का https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=4505  एक प्रश्न पूछता हूँ आप से कि कितनों ने भगवान के दर्शन किए हैं, सभी बोलते हैं  नहीं किए, अरे राधा गोविंद मंदिर में या कोई भी मंदिर में जाते हो, क्या वो भगवान नहीं हैं? यही तो विश्वास की कमी है, अरे मंदिर में तो भगवान के दर्शन करते हो, वो साक्षात भगवान ही हैं  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=4540  क्या गोविन्द जी की कथायें नहीं सुनी, साक्षात कंचे खेलें है अपने भक्तों के साथ, वो आपके साथ नहीं खेले क्योंकि आप लायक (eligible) ही नहीं बने https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=4601 आप मंदिर क्यों बनवाते हैं - पत्थर की मूर्तियों के लिए या भगवान के लिए ? https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=4614  विद्यार्थी बोलते है ये रहे मेरे पिताजी की photo, मैं भी बोलता हूँ ये देखो राधा कृष्ण की photo, वो कहते हैं पिताजी तो असली हैं,  मैं बोलता हूँ ये राधा कृष्ण भी कहां नकली हैं, ये भी असली हैं  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=4639 इसलिए कोई पूछे कि भगवान के दर्शन किए हम बोलिए हाँ किए हैं मंदिर में मगर अभी हम ऊनके साथ संबंध स्थापित नहीं कर पाए हैं क्योंकि उनकी आज्ञा का पालन अभी तक नहीं कर पाए, PM को रोज़ देखता हूँ मैं मगर उनसे संबंध स्थापित नहीं कर पाया इसलिए मिल नहीं पाया उनसे, ये सत्संग  का अर्थ ही है कि भगवान से संबंध स्थापित करना https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=4671  भगवान में स्वतंत्रता है और हम उनके अंश हैं इसलिए हमें भी भगवान ने स्वतंत्र बनाया है, अब हमारी इच्छा है कि हम भगवान की शरण में जाएं या माया की गोद में पड़े रहें https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=4872  ये गलत है की हम भगवान के हाथ की कठपुतली हैं भगवान ने हमें भी स्वतंत्रता दी है कि हम या तो भगवान की शरण में जाएं या माया की गोद में रहें  https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=4891  क्या व्रत रखने से पाप नष्ट होते है नहीं, केवल भगवान की भक्ति करने से पाप नष्ट होते हैं, यदि आपको सभी पाप नष्ट करने हैं तो भगवान की पूर्ण शरणागति लेनी पड़ेगी, यानी एक पाप यदि आपने किया तो दोबारा उसको ना करने का प्रायश्चित करना पड़ेगा और श्री कृष्ण भगवान की पूर्ण शरणागति करने से ही आपका प्रायश्चित पूर्ण होता है   https://youtu.be/wr_fXCVjSgU&t=4957

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Gita भाग - 3.mp4