Saturday, October 2, 2021

गीता की सबसे Important सीख - कैसे करें भगवान की शरणागति? - by Kripalu ji maharaj

  गीता की सबसे Important सीख - कैसे करें भगवान की शरणागति?  https://youtu.be/boov2h0h-_I Some important points are :   1 मन का कर्म ही कर्म है, साथ में इंद्रियां हों या ना हों https://youtu.be/boov2h0h-_I&t=251 2 *एक ही मन के दो स्वरूप हैं, एक है मन और एक है बुद्धि* *There are two forms of the same mind, one is mind and one is intellect*. https://youtu.be/boov2h0h-_I&t=396 3 *आनंद नगर किधर है, यह हमारे शरीर रूपी रथ को नहीं पता* *The chariot in the form of our body does not know where Anand Nagar is*. Anand Nagar = the place where we can find eternal bliss https://youtu.be/boov2h0h-_I&t=850 4 *ये हमारा भ्रम है कि संसार में सुख इसलिए नहीं मिला क्योंकि मेरी बीवी खराब मेरा पति खराब, वास्तव में संसार में सुख है ही नहीं* *This is our illusion that we did not get happiness in the world because my wife is bad, my husband is bad etc., in reality there is no happiness in the world*. https://youtu.be/boov2h0h-_I&t=1008 5 *भगवान की शरण में कैसे जाना है: जैसे संसार की शरण में गए बस वैसे ही, बस इतना ही बुद्धि में बैठ जाए कि संसार हमारा नहीं है, केवल भगवान हमारा है* *How to take refuge in God: Just like you took refuge in the world, just let it settle in your mind that the world is not ours, only God is ours*. https://youtu.be/boov2h0h-_I&t=1020 6 *बीवी पति से आनंद चाहती है, पति बीवी से आनंद चाहता है,  हैं दोनों भिखारी आनंद के, मगर यह नहीं मालूम कि आनंद केवल भगवान के यहां मिलता है* *Wife wants pleasure from husband, the husband wants happiness from the wife, both are beggars of happiness, but they do not know that happiness is found only in God*. https://youtu.be/boov2h0h-_I&t=1208 7 *असल मकसद है शरणागत, भजन का मतलब होता है सेवा, हम असमर्थ, उस समर्थ की कैसी सेवा करेंगे, हम तो शरणागत होते हैं, सेवा भगवान करते हैं* *The real aim is to surrender, the meaning of bhajan is service, how can we, incapable ones, render service to the Capable (God) ; actually we simply surrender ourselves, God does the "service"*. https://youtu.be/boov2h0h-_I&t=1551 8 *यदि हम संसार के शरणागत हैं तो भगवान हमारी परवाह नहीं करते मगर यदि भगवान के शरणागत हैं तो भगवान हमारी रखवाली, योग क्षेम करते हैं, जैसे एक छोटे बच्चे की मां करती है* *If we are surrendered to the world, then God does not care about us, but if we are surrendered to God, then God takes care of us and takes care of us, like a mother does to a small child*. https://youtu.be/boov2h0h-_I&t=1590 योग क्षेम explained at https://vedabase.io/en/library/bg/9/22/ ----------------------

Transcript 0:00 श्याम श्याम 0:03 शरण गहू (जाओ) रे मन 0:11 एक तत्वी (a wise) व्यक्ति  0:13 अपने मन से कहता है 0:17 मन 0:20 राधा कृष्णा की शरण में जा 0:25 भगवान की शरण में जा 0:33 शरण में जाने के लिए मन को कहता है 0:40 आत्मा को नहीं कहता शरीर को नहीं कहता 0:44 इंद्रियों को नहीं कहता मन को कहता है 0:51 श्री कृष्णा की शरण में 1:00 कर्म का करता 1:02 मन माना जाता है 1:20 मन का अटैचमेंट हो 1:25 फिर चाहे कर्म हो चाहे ना हो 1:31 कर्म ही है 1:34 यानी मन प्लस इंद्रिय 1:38 यह भी कर्म है और केवल मन का attachment 1:43 हो ये भी कर्म 1:47 है इसको हम पुण्य पाप कहते हैं जिसे अच्छा बुरा कहते हैं, यदि केवल मन से हो इंद्रियों से नहीं या मन और इन्द्रियों दोनों से हो 1:59 तो उसका भी वही फल जैसे हमने किसी के 2:04 खिलाफ सोचा बदमाश 2:08 उसे भी का दिया तुम बदमाश हो 2:14 गधे हो, यानी केवल मन से सोचा कहा नहीं या कह भी दिया, ये दोनों पाप कर्म बराबर हैं भगवान की दृष्टि में 2:24 इतने मर्डर कर डाला अर्जुन ने, हनुमान जी ने  2:28 हजारों लाखों ब्रह्म हत्या ब्राह्मण की कर 2:32 डाला 2:34 लेकिन वह इंद्रियों का कर्म है उसमें मन का 2:37 attachment नहीं था, मन का attachment तो राम में था 2:43 इसलिए इंद्रियों के कर्म को नहीं लिखा गया ना 2:48 उसका कोई फल दिया गया 2:54 मन का कर्म ही 2:56 ईश्वर के यहां कर्म माना जाता है और संसार 3:00 में क्योंकि 3:02 मनुष्य अल्पज्ञ है इसलिए इंद्रियों के 3:06 कर्म को कर्म माना जाता है 3:11 लोग जो मुंह से बोल दे जो हाथ से पैर से जो 3:16 क्रिया कर दे, उसी को संसार में कर्म मान लेते हैं क्योंकि अल्पज्ञ हैं 3:21 उसके मन की मंशा क्या है, ये नहीं मालूम, मगर जैसे April Fool में या ससुराल की गाली चुभती नहीं क्योंकि मन की मंशा खराब नहीं है 3:50 अगर उन्हीं गलियों में से एक गली 3:55 कोई दूसरा आदमी दे दे 3:58 तो चिंतन कर कर कर के हम पागल हो जाते हैं 4:02 खून सुखा लेते हैं हेल्थ खराब कर लेते हैं 4:06 आत्मा की शक्ति बर्बाद कर लेते हैं 4:09 शत्रुता करके 4:12 मन का कर्म ही कर्म है साथ में 4:15 इंद्रिय हो या ना हो 4:20 खाली आप भगवान का चिंतन करो मन से और 4:23 प्यार करो मन से एक बार राम मत कहो 4:26 कृष्ण मत कहो भागवत प्राप्ति हो जाएगी अब 4:30 अनंत बार राम राम श्याम श्याम करो और मन 4:35 का attachment संसार में हो तो मरने के 4:37 बाद संसार मिलेगा 4:40 यही गीता है पुरी गीता एक लाइन में भगवान 4:45 ने कह दिया, सदा सर्वदा मेरा 5:03 मन से स्मरण कर 5:07 और हाथ पैर आदि इंद्रियों से युद्ध कर 5:14 तो पाप नहीं लगेगा 5:16 मार डालने का 5:18 डर गया अर्जुन 5:21 इंद्रियों से हम मर्डर करेंगे इतने लाखों 5:24 करोड़ के इसमें हमारे बड़े पूज्य 5:28 रिश्तेदार भी हैं, इसमें मुझे पाप तो लगेगा 5:31 भगवान ने कहा पापा नहीं लगेगा, क्योंकि तेरा मन तो मुझमें लगा है, पाप और पुण्य तो मंशा (यानी जो मन ने सोचा) से होते हैं 6:18 इसलिए मन को समझाना चाहिए की श्यामा श्याम के शरण में जाओ 6:29 मन दो प्रकार का होता है एक का नाम मन 6:33 एक का नाम बुद्धि 6:36 एक ही मन के दो स्वरूप हैं 6:39 पहले हम चिंतन करते हैं संकल्प विकल्प 6:43 कहते हैं उसको 6:45 फिर उसके बाद decision होता है निश्चय (जो बुद्धि करती है) 6:51 तो जो संकल्प करता है 7:03 पुरुष है 7:06 यह पुरुष है की स्त्री है यह मन करता है 7:15 फिर बुद्धि निश्चय करती है अरे इसकी तो दाढ़ी है इसलिए  यह पुरुष है 7:20 मन और बुद्धि 7:24 एक ही मन के दो रूप में 7:35 अर्जुन ने पहले अध्याय में कहा कि मैं आपकी शरणागत हूँ 7:44 हमको बताओ 7:47 यानी मन का attachment है श्रीकृष्ण में 7:51 लेकिन बुद्धि क्या कहती है अर्जुन की इनको 7:56 मारेंगे तो पाप होगा इनकी स्त्रियां विधवा 7:58 होगी मैं ऐसा पाप नहीं करना चाहता नहीं 8:01 करूंगा हथियार छोड़के बैठ गया check 8:06 तो भगवान ने कहा देख तुम मुझको मन भी दे दे 8:15 बुद्धि भी दे दे तब शरणागति होगी complete 8:19 अगर अपनी बुद्धि लगाएगा, तो मन उसी के अनुसार चलेगा 8:24 तो फिर लक्ष्य कैसे प्राप्त होगा जैसे 8:30 हम इंग्लिश पढ़ने जा रहे 8:34 और 8:35 मास्टर ने कहा, लिखो knife, हमने लिख दिया nife    8:44 पहले k होता है 8:56 क्यों क्यों करता है इस language का यही 8:59 नियम है इसमें तमाम साइलेंट होते हैं वह 9:02 सब जानना पड़ेगा 9:03 लिखो बोलो मत 9:07 इस भाषा का नियम है 9:16 चलाया है परंपरा से फॉलो करो बुद्धि ना 9:21 लगाओ 9:22 डॉक्टर ने कहा देखो दो बूंद दवा एक चम्मच 9:26 पानी में दाल के पी लेना 9:30 तो बुखार उतार जाएगा 9:53 हम बुद्धि को प्रथम आगे रखते हैं 9:56 वही अच्छा करे वही बुरा करे उसी का 9:59 Decision 10:01 एक लड़का जा रहा है स्कूल 5 बरस का, गर्म गर्म जलेबी देखा 10:09 मन कर गया 10:11 खाने को मुंह में पानी ए गया 10:20 लेकिन 10:22 जब में पैसा नहीं 10:41 चलो 10:43 आगे बढ़ो स्कूल चलो, आपका मन पचासों बार अच्छे बुरे विकल्प जनता है मगर बुद्धि रोक देती है 11:30 साहब ने डांटा नौकर को बदतमीज गधा बेवकूफ 11:34 देर में आया 11:36 10:30 बजे 11:38 उसका मन कर रहा है तू भी कह दे कि तुम भी 11:41 आते हो 12 बजे 11:45 सर्विस से निकाल दिए जाओगे 12:21 इसलिए 12:27 तो बुद्धि main है तो भगवान ने कहा अर्जुन, मन और बुद्धि दोनों मुझे दे दे, तब शरणागति 12:36 Complete होगी 12:41 देखो एक philosophy समझ लो 12:45 एक रथ है उसमें घोड़ें हैं 12:57 और घोड़ों के मुंह से एक लगाम रस्सी है, एक ड्राइवर है हांकने वाला और एक मुसाफिर बैठा है 13:15 गरीब लोग चलते हैं रिक्शे में टांगे में 13:20 ऐसे ही ये शरीर एक रथ है, हमारी इन्द्रियां घोड़े हैं 13:50 और वह घोड़ा के मुंह से जो रस्सी है लगाम 13:53 वो मन है 13:56 और जो ड्राइवर है वो बुद्धि है 14:00 और जो मुसाफिर है वो आत्मा है 14:05 आत्मा कहती है तांगा हमारे घर ले चलो 14:10 सारथी पूछता है कहां है तुम्हारा घर 14:15 आनंद नगर में 14:17 प्रेम नगर में 14:20 कहां है आनंद नगर यह हमको नहीं मालूम 14:27 सब लोग इधर जा रहे हैं संसार की ओर, इधर ही होगा 14:34 दो दिशा है एक भगवान 14:44 की और दूसरी संसार की ओर, सभी लोग तो संसार की ओर ही तो जा रहे हैं, केवल दो चार जा रहे हैं भगवान की ओर इसलिए आनंद नगर संसार की तरफ ही होगा 14:48 चलो 14:52 हमारा शरीर रूपी रथ घूम रहा है 84 लाख योनियों में अनंत कोटी 14:56 ब्रह्मांड में अनादि काल से 14:59 अनंत जन्म बीत गए 15:03 जहां-जहां बुद्धि ले जाकर तांगा खड़ा करती 15:06 है वहीं आत्मा कह देती है यहाँ नहीं है 15:09 हमारा आनंद नगर 15:12 जब भगवान का द्वारा मिल जाएगा 15:16 अनंत आनंद वाला तब आत्मा कह देगी बस बस 15:20 तांगा रॉक दो ये आ गया हमारा घर 15:26 तो main  बुद्धि है ड्राइवर 15:30 कोई एक्सीडेंट accident होगा तो ड्राइवर पिटेगा 15:35 रस्सी नहीं पिटेगी 15:41 क्योंकि वही चलाता है तो बुद्धि main है इसी 15:46 बुद्धि ने हमको अनादि काल से अब तक बर्बाद 15:49 किया क्योंकि बुद्धि ने कहा संसार में सुख 15:51 है 15:53 अच्छा लोगों से पूछ ले क्यों जी आप तो 15:56 करोड़पति है आपको सुख मिला 15:59 अजी नहीं, बड़ी टेंशन है, परेशान हैं, अरब पति से पूछा वो बोला नहीं मैं तो गोली खा के सोता हूँ रोज़ 16:10 जब अरबपति लोग ऐसा कह रही है की सुख नहीं है, तो फिर हम लखपति बनने को परेशान 16:14 क्यों हैं 16:16 दो रोटी मिल रही है हां वो तो ठीक 16:19 है 16:21 दो रोटी का इंतजाम है हां है तो साधना 16:25 करो क्यों संसार में मर रहे हो 16:28 आप ठीक कहते हैं महाराज जी लेकिन ऐसा 16:31 है कि करेंगे 16:36 आयेंगे वृंदावन, बस ऐसे ही बहाना कर देता है क्योंकि मन संसार को शरणागत है 16:48 बुद्धि बार-बार यही कहती है संसार में सुख 16:51 है हमको नहीं मिला हमारी माँ खराब हमारा 16:54 बाप खराब हमारी बीवी खराब हमारा बेटा खराब 16:57 है हमारा पति खराब 17:00 वो बात अलग है लेकिन संसार मैं सुख है (ये बुद्धि भ्रम में कहती है), तभी तो सभी भागे जा रहे हैं संसार की तरफ 17:15 इसलिए मन को 17:19 हिदायत करता है,  हे मन जगत की शरण में नहीं जा और अगर जा चुका है 17:25 तो अबाउट टर्न about turn (U turn) कर ले, 17:34 भगवान की शरण में हो जा 17:37 मगर भगवान की शरण मैं कैसे हुआ जाता है 17:40 पूछती है बुद्धि भगवान की शरण में कैसे जाया 17:44 जाता है, जैसे ही संसार की शरण में गया है 17:47 वैसे ही भगवान की शरण में जाना है बस 17:51 कुछ नया नहीं लिखा है वेद शास्त्र में 17:54 चैलेंज है हमारा 17:59 जैसे हमारी ये इंद्रियां संसार के पाने 18:03 के लिए व्याकुल हैं ऐसे ही श्यामा श्याम के 18:07 पाने के लिए व्याकुल हो जाएं बस हो गया 18:14 और कोई बात नहीं 18:15 खाली बुद्धि में बैठ जाए यह (संसार) हमारा नहीं है 18:19 वो (कृष्ण) हमारा है 18:20 18 साल 20 साल की उम्र तक लड़की ने बाप के 18:24 घर को घर माना और बाप के एक-एक समान में 18:28 अटैचमेंट था उसका 18:30 शादी होते ही पति के घर जाते ही, वैराग्य हो गया 18:37 मायके से, ससुराल के हर समान में अटैचमेंट 18:41 हो गया रात को चोरी हो गई रो रही है क्या 18:44 हुआ अरे मेरे घर का सब टीवी वगैरा उठा ले 18:47 गया चोर तो तेरा घर तो वो है 20 साल से वो 18:51 घर रहा तू आज आई है रात भर में यह घर हो 18:53 गया अजी आप नहीं समझते हैं वो तो मायका है 18:57 हमारे भैया का समान सब, मेरा तो ये है 19:02 ये किसी ने पड़ाया ? 19:04 किसी ने सिखाया ? 19:07 इसका अभ्यास किया? केवल बुद्धि में 19:12 निश्चय हो गया बस हो गया बात बन गई 19:16 अंधेरे में रस्सी पड़ी है, सोचा सांप है, किसी ने टोर्च मारा अरे रस्सी है, भय निकल गया   19:33 सपने में रो रहे हैं चिल्ला रहे पड़ोसी कहता है 19:36 खोपड़ा खाए क्या बात हो गई कौन मार रहा है, जगाया 19:47 तुम कह रहे थे हमको मार 19:51 रहा है बचाओ बचाओ, तुम तो रजाई के अंदर सो रहे हो 19:56 जाग गए बस सब भय खत्म मार का दर्द भी खत्म 20:03 इसी प्रकार अगर बुद्धि में यह बैठ जाए यह 20:08 हमारा नहीं है संसार,  अनन्त बार माँ बाप बेटा बना चुके कहाँ है वो सब, 20:17 किसने साथ दिया 20:18 सब अपना अपना स्वार्थ चाहते हैं 20:25 तुम्हारा स्वार्थ जो आनंद प्राप्ति है वो 20:28 कौन देगा जहां होगा वहीं से तो मिलेगा वो 20:33 है भगवान और महापुरुष उसके पास आनंद है 20:36 वहां तो जाते नहीं हो और जा रहे हो भिखारियों 20:40 के पास जो खुद आनंद मांग रहे हैं 20:44 बेटा आप से आनंद चाहता है बाप बेटे से आनंद 20:47 चाहता है बीवी पति से आनंद चाहती है पति 20:50 बीवी से आनंद चाहता है, है सभी भिखारी, कहाँ से दें आनंद 21:00 तो ये बुद्धि में बिठाना है इसलिए मन से का रहा है की श्यामा श्याम की 21:04 शरण में जा लेकिन 21:07 शरण में जाने के भी कई तरीके होते हैं 21:12 आप लोग भी कभी-कभी शरण में जाते हैं जब 21:15 कोई घर दुख होता है कोई घोर बीमार  होता है 21:18 मर जाएगा डॉक्टर जवाब दे देते हैं तो 21:22 एक नास्तिक भी कहता है भगवान बचाओ मेरे 21:25 बेटे को 21:28 वो भी शरण में जा रहा है लेकिन मूर्ख है 21:33 भगवान बेटे को नहीं बचा सकते 21:36 महापुरुष नहीं बचा सकता प्रारब्ध भोगना 21:39 पड़ेगा 21:40 जिसको जब जाना है जाएगा 21:44 और अगर बचा भी ले कोई को कब तक 21:48 कब तक बचाएगा 21:51 फिर मरेगा तो फिर कहेगा बचाओ 21:54 तो कब तक बचाएगा किसी ने ऐसा बचाया आज तक की कभी मरे ही ना, तो ये शरणागत होने के बाद संसार मांगना ये गलत है 22:11 वो संसार के शरणागत है जो संसार मांगता है, नंबर दो संसार 22:16 से मोक्ष मांगते हैं 22:20 भगवान हमको भव सागर से 22:25 पार कर दो मोक्ष दे दो 22:29 बड़े-बड़े ज्ञानी 22:31 पंडित 22:33 जानकार मोक्ष मांगते हैँ, वे भी मूर्ख हैँ   22:39 इनको भी मांगना नहीं आता, तो फिर क्या भागना चाहिए, कुछ नहीं मांगो यही मांगो 22:49 प्रहलाद का example 22:59 भटक 23:04 मैं ये वर माँगता हूँ कि मांगने की वासना ही पैदा ना हो, चाहे प्राण जा रहे हों, जाने दो प्राण 23:39 भुक्ति (संसार का वैभव) और मुक्ति ये दोनों मांगना नहीं है 23:43 बस कुछ नहीं मांगो अरे वो क्या मांगते हो 23:46 वह तो सर्व शक्तिमान है अपने आप देगा तुम 23:50 तो प्रेम करो बस 23:54 अपनी इच्छा ना रखो उसकी इच्छा में इच्छा 23:58 जोड़ दो 24:02 ये शरणागति असली 24:05 बाकी सब नकली 24:08 क्या संसार दे दिया भगवान ने किसको 24:13 क्या दे दिया 24:15 ध्रुव को राज्य दे दिया 24:18 शास्त्रों में लिखा है कब तक 10,000 वर्ष तक 24:25 उसके बाद क्या हुआ मर गया चला गया, अरे संसार ही एक दिन प्रलय में खत्म हो जाएगा तो क्या करोगे संसार में रहकर 24:44 आप बीमार हुए और आपने मन्नत मानी वैष्णो 24:48 देवी यह खोपड़ा देवता सब तमाम भरे हैं 24:51 हमारे देश में और अच्छे हो गए, हाँ ये बड़ी सिद्ध देवी हैं 25:01 और फिर बीमार हो गए फिर मन्नत मानी, अब और बीमार हो गए बेटा मर गया, फिर कह दिया अरे ये सब बेकार है, नास्तिक हो जाते हैं २५:२१ इसलिए संसारी कामना या मोक्ष उसकी इच्छा ना रख के, निष्काम भाव से गुरु और भगवान को 25:39 जो मन बुद्धि का अर्पण करता है और उनके 25:43 मिलन की व्याकुलता पैदा करता है बस 25:47 वही शरणागत है उसी का योग क्षेम भगवान वाहन 25:50 करते हैं 25:51 उसी का ठेका लेते हैं, जीव केवल शरणागत होता है भजन नहीं कर सकता जीव 26:10 भजन जो बोलते हैं हम लोग ऐसे ही बोल देते 26:14 हैं भजन शब्द का अर्थ है सेवा 26:20 असमर्थ (हम जीव) सामर्थ (भगवान) की क्या सेवा करेगा, शरण में हम जायेंगे, सेवा भगवान करेंगे 26.:30  जैसे छोटा बच्चा पैदा होता है तो माँ की शरण में हो जाता है और माँ सेवा करती है, और बच्चा ज्यों ज्यों बड़ा होता है शरण से हट जाता है तो माँ भी सेवा करना बंद कर देती है, और बच्चे को अपने कर्म पे छोड़ देती है 27:05 अब नहीं मां परवाह करती ऐसे ही अगर हम 27:10 संसार के शरणागत है तो भगवान हमारी परवाह 27:13 नहीं कर रहे हैं अगर हम उनके शरणागत हो 27:17 जाएं तो हमारी परवाह शुरू कर देंगे वह अगर 27:20 हम complete surrender कर दें पूर्ण शरणागत 27:23 तो वो पूर्ण हमारी रखवाली करेंगे उनकी 27:27 ठेका हो जाएगा हमारी छुट्टी 27:31 फिर महापुरुष कुछ नहीं करता उसके द्वारा 27:34 जो कर्म होता है वो भगवान करते हैं इसलिए 27:36 हनुमान जी के द्वारा जितने मारे गए अर्जुन 27:39 के द्वारा जितने मारेंगे उसके जिम्मेदार 27:42 भगवान, वो हृदय में बैठकर govern करते हैं 27:46 अभी तो माया govern कर रही है 27:48 जब माया से परे हो गया वह भागवत प्राप्ति कर 27:52 लिया तो उसके कर्म भगवान के कर्म हैं हम 27:55 रामायण को क्यों मानते हैं, वो तुलसीदास की वाणी थोड़े ही है तुलसीदास के हृदय में बैठे 28:01 राम लिख रहे हैं इसलिए मानते हैं भागवत 28:05 वेदव्यास के हृदय में बैठे हुए श्री 28:07 कृष्ण लिख रहे हैं इसलिए हम मानते हैं 28:09 अगर उनका लिखा हुआ मानें तो हजारों गलती 28:12 निकालें उसमें 28:16 इसलिए बुद्धि मन से कह रहा है तू श्यामा श्याम की 28:20 शरण गहू (जाओ) ये अर्थ है इसका 28:25 राधे 28:28 [संगीत] Standby link (in case youtube link does not work):  गीता की सबसे Important सीख - कैसे करें भगवान् की शरणागति Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj.mp4

Friday, October 1, 2021

भागवत पर ऐतिहासिक प्रवचन - Bhagwat Explained By Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj

भागवत पर ऐतिहासिक प्रवचन -  भागवत को समझाया गया है

Historical discourse on Bhagwat - Bhagwat Explained

https://www.youtube.com/watch?v=FMXnhQMFcu8

Transcript

0:00

मेरे सामने प्रस्ताव रखा है एक महाशय ने

0:07

आज तो आप भागवत ही सुनाइए

0:14

वैसे मुझे ऐसा अभ्यास नहीं है एक ही ग्रंथ पर बोलूं

0:22

मैं तो वेद से लेकर रामायण तक सभी ग्रंथो के

0:27

प्रमाण देते हुए किसी विषय को प्रस्तुत करता हूं

0:33

फिर भी मैं प्रयत्न करूंगा और

0:40

यह भी सत्य है की भागवत सरीखा (जैसा, similar)

0:48

कोई भक्ति का ग्रंथ है ही नहीं

0:54

बना ही नहीं

1:00

इस भागवत के विषय में भागवत

1:10

[संगीत]

1:16

पांचवां वेद है

1:23

पहले स्कंद के तीसरी अध्याय का 40 वां 1.3.40 श्लोक

1:31

सर्व दे देते हंसनम सारंग सारंग समुद्रतम

1:39

पहले स्कंद के तीसरी अध्याय का 42वां श्लोक 1.3.42

1:45

सब शास्त्र हैं

1:52

भागवत में ही लिखा है और गरुड़ पुराण में लिखा है

2:02

ब्रह्म सूत्र [संगीत]

2:11

का अर्थ है

2:18

देखिए

2:27

भगवान ने अपनी शक्ति से

2:32

ब्रह्मा के हृदय में (vedas) वेद  भागवत प्रकट किया

2:39

ब्रह्मा के

2:46

नारद ने वेद व्यास के हृदय में प्रकट किया

2:58

भागवत का निर्माण किया और सुनो

3:05

वेद व्यास ने पहले वेद के चार भाग किये, 1.4.19 शलोक

3:16

वेद में कम

3:24

आलेश्वर

3:30

इसके बाद ब्रह्म सूत्र बनाए

3:37

वेदांत फिर गीता

3:44

फिर महाभारत फिर 18 पुराण में भी भागवत थी संक्षिप्त

3:57

चार लाख का पुराण एक लाख का महाभारत

4:05

555 सूत्रों का ब्रह्म सूत्र

4:10

700 श्लोकों की गीता यह सब बनाने के बाद भी

4:22

वेद व्यास अशांत थे डिप्रेशन (depression) जिसे आप लोग कहते हैं

4:45

वेद व्यास भगवान के अवतार हैं

5:07

और इतने ग्रंथ बना डाले

5:18

तीन वर्ष में और फिर भी अशांत क्यों

5:28

ग्रंथ बनाने से और लेक्चर देने से और लेक्चर सुनने से कुछ नहीं हुआ करता

5:57

नारद जी ने कहा वेदव्यास तुमने भगवान श्री कृष्णा के यश

6:02

गान नहीं किया उनकी लीला कथा का डिटेल में वर्णन नहीं किया

6:09

वरना-आश्रम धर्म का वर्णन बड़ा लंबा चौड़ा महाभारत में किया

6:18

इसीलिए तुम को टेंशन tension है

6:24

तो ऐसा करो की पहले भक्ति करो

6:29

भगवान का दर्शन करो फिर भागवत लिखो

6:53

भगवान की भक्ति की भगवान श्री कृष्णा के दर्शन किया

7:07

तू बहुत ही important है इतना इंपॉर्टेंट है की भक्ति के विषय में मेरा चैलेंज है

7:18

कोई ग्रंथ नहीं उपनिषद वेद भी नहीं

7:30

आप लोग सुनकर

7:56

लेकिन हम तो दूर से नमस्कार करते हैं

8:08

वेद सनातन है लेकिन

8:18

उस उपनिषद के पढ़ने से

8:24

हमारे हृदय में श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम नहीं उभरता

8:31

रोमांच अश्रु ये सात्विक भाव के उदवेग नहीं होते

8:43

ब्रह्म क्या है जीव क्या है माया क्या है लंबा चौड़ा लेक्चर है तत्व

8:51

ज्ञान जिसे कहते हैं लेकिन भगवान की लीलाओं

8:56

का गान नहीं है

9:17

जिसमें भगवान की लीला कथा ना हो तो ब्रह्मा भी बोलें या लिखें तो हमें नहीं सुनना, पड़ना

11 11 20 शलोक, 12.12.48 शलोक

10:17

भागवत सरीखा (जैसा) कोई भक्ति ग्रंथ नहीं है चलिए अब भागवत के द्वारा हम भक्ति का

10:25

निरूपण करने जा रहे हैं भागवत के प्रारंभ में

10:34

ही पहले स्कंद में ही

10:41

परमहंस बैठे हुए थे और सुखदेव

10:49

परीक्षित भी थे तो सूत जी से

10:58

प्रश्न किया

11:07

[संगीत]

11:18

कलियुग के मंद भाग्य

11:43

मनुष्यों के हिसाब से आप ऐसा कोई मार्ग बताइए

11:50

जिससे जीव का लक्ष्य प्राप्त हो जाए

12:04

शास्त्र वेद तो इतने अधिक है की उनको जितना पढ़ो उतने भ्रम पैदा होगा

12:17

निर्णय नहीं होगा क्योंकि कई विरोधी बातें एक-एक ग्रंथ में

12:23

भी की है इसीलिए शास्त्र वेद के प्रत्येक ग्रंथ में

12:30

कहा गया है महापुरुष के द्वारा तत्वज्ञान प्राप्त करो स्वयं पढ़ने के

12:39

द्वारा स्वयं समझना के द्वारा अगर चाहो हम

12:45

ज्ञान प्राप्त कर लेंगे तो और उलझ जाओगे, शंकाएं भर जाएंगी, confused हो जाओगे

13:17

तो महाराज ऐसा कोई सरल मार्ग बताइए

13:33

जिससे आत्मा का आनंद मिले, मन का नहीं मन का आनंद तो आप लोगों को रोज मिलता है

13:43

बिना पैसे के

13:49

कौन सा आनंद है जब आप लोग गहरी नींद में सोते हैं

13:56

सपना भी नहीं देखते उसे समय

14:02

आपको जो आनंद मिलता है वह मन का आनंद है

14:07

मन लीन हो जाता है आनंद में

14:13

लेकिन आत्मा को नहीं मिलता

14:23

वह अगर मिल जाए तो उसकी दो विशेषताएं हैं कभी छिनेगा नहीं (will never lose)

14:36

और नंबर दो प्रतिक्षण बढ़ता जाएगा

14:43

और यह जो आनन्द मिलता है गहरी नींद में

14:52

ये तो जागे तो गया, बेटा बीमार है बीवी भाग गई इत्यादि

14:58

शेर down हो गया है

15:08

आनंद कहा गया गहरी नींद वाला

15:39

आत्मा का सुख चाहते, तो श्री कृष्ण की भक्ति करो, ahaituki यानी कुछ कामना ना हो, और निरंतर हो

16:17

ऐसा नहीं की 5 मिनट भक्ति कर लिया उसके बाद संसार की भक्ति कर रहे दिन भर

16:23

निरंतर भक्ति हो और कोई कामना ना हो भक्ति

16:29

के साथ

16:32

आप भगवान की आरती गाते हो सुख संपत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का

16:44

ये किसी बेवकूफ ने आरती बनायी है

16:56

संसार की कामना अगर है तो इसका मतलब कि अभी आप यह भी नहीं

17:04

समझे की भगवान की आवश्यकता क्या है फिर

17:09

जब संसार के ही सामान पाकर आपको सुख मिल

17:16

जाएगा तो फिर भगवान का नाम भी नहीं लेना चाहिए

17:22

अरे भाई हमको मिठाई चाहिए ना तो मिठाई की दुकान तो चलो जूते की दुकान पर खड़े होकर

17:30

के मिठाई मांगोगे तो लोग कहेंगे ना

17:35

मेंटल (mental) है

17:54

कामना के विषय में मैं आपको बताऊं एक भागवत से ही बताऊंगा और ग्रंथ नहीं उठा रहा

18:00

हूं मैं जब

18:10

भगवान ने और प्रहलाद को गोद में ले लिया

18:37

गुस्से में बुद्धि नॉर्मल (normal) नहीं रहती है हम लोगों

18:47

का अनुभव है कि क्रोध से बुद्धि

18:53

नष्ट हो जाति है सबकी, गुस्से में बाप को भी गाली दे दी

19:07

लेकिन गुस्से में भूल गया था की गलती कर रहा हूं

19:19

प्रहलाद ने कहा कि नरसिंह भगवान कह रहे हैं कि मुझसे वरदान मांगो मैं कोई भिखारी हूं अरे मैं तो दास हूं दास का काम है सेवा

19:27

करना मांगना नहीं मांगना तो स्वामी का काम है ए

19:35

पानी ला दे चश्मा ला देना

20:41

मैं आपका दास हूं मैं मांगता नहीं

20:46

अरे बड़ा ज्ञान छांट रहा है कल का छोकरा

20:52

अरे सब मांगते हैं, इसलिए मांगों

21:05

7.10.06 शलोक

21:12

महाराज जो मांगे वो दास नहीं और आपको भी

21:17

हमसे कुछ नहीं चाहिए, आपको और मुझे दोनों को कुछ भी नहीं चाहिए मांगा मांगी प्रेम के बीच में कैसे आ गई

21:46

भगवान ने फिर प्रह्लाद को कहा मांगो, मेरा आदेश है

21:55

अब तो आज्ञा हो गई आज्ञा का पालन तो करना पड़ेगा

22:16

तो प्रह्लाद ने नरसिंह भगवान से मांगा कि मैं आपसे कुछ नहीं मांगू, मेरी मांगने की बुद्धि ही कभी पैदा न हो, इससे नरसिंह भगवान की बोलती बंद हो गयीं, 7.10.7 शलोक

 

सत्य धर्म जितने भी गुण हैं मांगने की प्रवृत्ति होने पर महाराज इसलिए

23:20

मैं कुछ नहीं मांगता तो

23:27

सूत जी महाराज ने परमहंसों से कहा की भक्ति में कुछ मांगना

23:35

नहीं होता कामना ना हो और निरंतर हो

23:44

फिर आगे इसी एक पहले स्कंद में

23:51

परीक्षित पूछ रहे हैं सुखदेव परमहंस

24.06

मुझे केवल सात दिनों में ही मर जाना है श्राप की वजह से

24:17

बताइए क्या करूं, संक्षेप में, लंबा लेक्चर मत दीजिये

24:29

पहले स्कंद के 19वे अध्याय का 38वां श्लोक, 1.19.38 शलोक

24:37

सुखदेव परमहंस में उत्तर दिया

24:44

भगवान ईश्वर

24:52

2.1.5 शलोक 

24:57

तीन काम करो 1 मेरी बात सुनकर मानो, श्रवण

25:07

भक्ति और 2 भगवान का नाम गुण कीर्तन करो दूसरी भक्ति और मन से निरंतर स्मरण करो

25:17

तीसरी भक्ति

25:35

[संगीत]

25:40

ब्रह्मा ने चारों वेदों को तीन बार मथा

25:47

ब्रह्मा ने और

25:55

मथ कर एक निश्चय निकाला श्रीकृष्ण की भक्ति करो और कुछ ना पढ़ो ना

26:04

सुनो ना करो

26:34

श्री कृष्णा में भक्ति हो बस इससे अधिक और कोई मार्ग नहीं है बस एक

26:43

ही मार्ग

26:50

और आगे चलो ब्रह्मा के पुत्र मनु

26:57

मनु के पुत्र प्रियाव्रत, प्रियाव्रत के

27:03

पुत्र अग्निीध्र, अग्निीध्र के पुत्र नाभी, नाभी के पुत्र ऋषभ, ऋषभ

27:16

के 100 पुत्र, ये ऋषभ भगवान के अवतार हैं, 100 पुत्र में से 81 कर्मकांडी हो गए aur नौं  (9) द्वीपों के नौं (9) राजा हो गए, और एक भरत, भारत के राजा हो गए, ये भारतवर्ष का नाम भरत से पढ़ा है

27:41

पहले इसका नाम था, अजनाभ वर्ष

27:57

और नौ पुत्र हुए नौ योगीश्वर, सदा एक ही उम्र के रहने वाले परमहंस, सारे ब्रह्मांड में कहीं भी जाएं बिना सवारी के

28:02

[संगीत]

28:08

बैठे हैं ब्रह्मलोक चलो जी और

28:15

ब्रह्म लोक पहुंच गए

28:20

निमी महाराज यज्ञ कर रहे थे और ये नौ योगेश्वर वहाँ पहुँच गए, इन नौं  के नाम थे कबी, ...

29.08

 निम्मी महाराज ने प्रश्न किया की, अति कल्याण और आनंद की प्राप्ति कैसे होगी

29:16

उत्तर दिया कबी ने,  पहले योगी सरकार का नाम था कवि

29:27

उन्होंने कहा ...

29:46

भगवान की भक्ति के सिवा और मैं कोई मार्ग नहीं मानता

29:57

केवल भक्ति मार्ग है

30:03

11 में स्कंद के दूसरे अध्याय का 33वां लोक 11.2.33 शलोक 

30:16

ऐसा मार्ग है भक्ति, 11.2.35 शलोक   

30:31

आंख मूंदकर भागो ना गिरोगे न फिसलोगे  पीछे

30:36

तुम्हारे श्याम सुंदर चल रहे हैं संभालने वाले

30:56

निमि महाराज को शंका हुई कि ये माया वाली बिमारी हमें लगी क्यों इसका उत्तर दिया, बहुत सुन्दर पूरी भागवत में 11.2.37 शलोक, कि जीव अनादिकाल से भगवान से विमुख है

31:51

ऐसे आपके हृदय में ऐसे हैं भगवान बैठे आपके

31:58

पीछे हैं जीव ने अपनी पीठ भगवान की तरफ कर रखी है, अब आप आगे देख रहे हैं माया की ओर

32:06

[संगीत]

32:12

इसलिए माया ने अधिकार कर लिया

32:21

अब क्या करें, अब विमुख की बजाय सन्मुख हो जाओ, इसी को शरणागति   (surrender) कहते हैं

32.39

उद्धव से भगवान श्रीकृष्ण ने कहा था

33:07

11 12 14 15 भागवत

33:16

सब पढ़ना सुनना कर्म धर्म ज्ञान योग सब छोड़ दो, केवल मेरी भक्ति करो 

33:25

[संगीत]

33:38

मेरे बराबर गुरु की भी भक्ति करो ये दो

33:43

शर्तें गुरु और मेरी दोनों की भक्ति करो तो तुम

33:53

भगवान के सन्मुख  हो जाओगे तो फिर माया भाग जाएगी

33:59

तुमको अपना लक्ष्य मिल जाएगा

34:05

एक मात्र भक्ति ही तुम्हारा सिद्धांत है

34:20

वेद शास्त्रों में बहुत चीजें लिखी हैं धर्म कर्म ज्ञान योग भी कहा गया है

34:29

भागवत कहती है वासुदेव परो धर्म

34:42

1.2.29, एक दो 29,  वासुदेव परम ज्ञानम

34:52

सब ज्ञान योग कर्म धर्म भगवान के निमित्त

34:57

होता है भगवान ने स्वयं कहा है

35:17

कि मेरे सिवाय कोई नहीं जानता कि धर्म क्या है ज्ञान क्या है भक्ति क्या है

35:42

11.21.42-43 शलोक, जो मेरे निमित्त हो बस वही धर्म जो मेरे

35:48

निमित्त हो वही ज्ञान जो मेरे निमित्त हो

35:53

वही भक्ति और जो मुझको छोड़ के हो

36:01

उससे ना माया जाएगी और ना मैं मिलूंगा

36:07

जीव चक्कर खाएगा 84 लाख में

36:13

कोई भी हो अब अंतिम सुनो

36:21

सबसे बड़े प्रश्न करने वाले ज्ञानी उद्धव

36:27

और सबसे बड़े उत्तर देने वाले भगवान श्री कृष्णा

36:35

कितना बढ़िया प्रश्न किया है भागवत में कोई उसका जवाब नहीं है दुनिया में किसी

36:43

ग्रंथ में

37:00

उद्धव प्रश्न कर रहे हैं भगवान से महाराज आपसे अधिक कौन ज्ञान रखता है

37:07

इसलिए मैं आपसे एक प्रश्न कर रहा हूं क्या

37:13

यह हमारे भारतवर्ष में तमाम रास्ते क्यों बन गए

37:19

एक बाबा जी आए वो कहते हैं जप करो दूसरे बाबा जी आए वो कहते हैं नाक पकड़ के और

37:25

प्राणायाम करो तीसरे बाबा जी आए उन्होंने कहा चारों धाम की मार्चिंग करो चौथ बाबा जी

37:32

आए मैं क्या करूं पागल हो जाऊं [संगीत]

37:38

किसकी सुनूं  किसकी सही बात है किसकी गलत है और ग्रंथों में भी ऐसे ही लिखा है

37:46

सभी बातें लिखी है

37:59

क्यों इतने रास्ते बन गए (आप भगवान तक पहुँचने के लिये) और अगर बन गए तो कौन सही है और क्यों

38:04

कितना बढ़िया प्रश्न है

38:12

11.14.1 शलोक, भगवान ने कहा

38:30

महाप्रलय में मेरी वेद वाणी मुझमें लीन हो गई थी कुछ नहीं था केवल मैं था

38:45

जब सृष्टि मैंने की तो अपनी वेद वाणी को ब्रह्मा के हृदय में

38:52

प्रकट किया  और वेदों का अर्थ भी समझाया ब्रह्मा को (यानी ब्रह्मा भी वेदों का अर्थ अपने आप से नहीं समझ पाए)

39:22

लोग पुस्तक पढ़कर के ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं अपने आप

39:29

और सब पंडित बन जाते हैं आजकल देखो तो बाजार लगा है

39:36

कुछ नहीं आता जाता नाम नहीं मालूम क्या बनाए है वेदांत

39:43

अपना यहाँ वहां कुछ किस्से कहानी पढ़ के और

39:50

वक्ता हो गए तो भगवान कहते हैं मेरी वेद वाणी में

40:00

मैंने केवल भक्ति बताई थी ब्रह्मा को

40:10

फिर क्या हुआ उसके बाद यह हुआ 1.14.3 श्लोक

40:23

मेरी वेद वाणी को ब्रह्मा के बाद लोगों ने पढ़ा देवताओं ने राक्षसों ने मनुष्यों ने

40:33

तो उनकी प्रकृति अलग-अलग थी, कोई सतोगुणी (देवता), कोई रजो गुणी (मनुष्य), कोई तमोगुणी (राक्षस), सबने वेद पढ़ा और अपने अपने हिसाब से अपना अपना मतलब निकाल लिया

40:56

जैसे मानलो मैं ऐसे बैठे बैठे ऐसे कर दूँ

41:03

या ऐसे कर दूँ आप लोग कहेंगे ऐसे कुछ

41:09

बुलाते होंगे किसी को, ऐसे करके कुछ ऐसा करते होंगे

41:27

बिलासपुर में आके हमारे पास पंडित भिड़ गए यह कोई जादू वाला श्लोक है रोज बोलते हैं

41:35

इसी के करण सरस्वती जाती है आपके पास जो

41:42

इतने शास्त्र वेद बोलने लग गये आप

42:05

तो संसार में लोग किसी चीज का विचित्र अर्थ लगाते हैं कानपुर में लेक्चर

42:13

हो रहा था मेरा 1 लाख आदमी था और तीन-तीन घंटा हम बोलते थे

42:19

तो बीच में एक allopathy की गोली होती है वो मुंह में डाल लेते थे तो लोगों ने

42:28

कहा ये गली कोइ सिद्ध गोली है

42:34

हमारे पास लिख के भेजा किसी एक ने यह क्या गोली खाते हैं आप बीच में

42:42

मैंने गोली दिखाया, जब साधारण बात के कितने अलग अलग से मतलब निकाले जाते हैं तो वेदवाणी तो अलौकिक है, अपने अपने मतलब से अर्थ निकाल लेते हैँ

43:20

11.14.6, 11.14.7 श्लोक

43:41

कुछ पाखंडियों ने रास्ता निकाल लिया अपने मतलब से

44:0

कृष्ण ने उद्धव से कहा सब देवता मनुष्य राक्षस मेरी माया से मोहित हो रहे हैं, सबने अपने स्वार्थ के हिसाब से अपने अपने अलग अलग रास्ते बना लिए मेरी वेद वाणी के, 11.14.9 श्लोक

[संगीत]

44:31

सत्यम सत्यम

44:47

11.14.10, 11 कोई धर्म कर्म को, कोई नाम कमाओ कोई तप कोई

44:55

अहिंसा कोई कुछ अनेक अनेक रास्ते लोगों ने बना लिए

45:05

सुनो

45:11

जितने भी धर्म कर्म योग तप हैं इन सब का फल नश्वर है, ज्यादा से ज्यादा स्वर्ग तक जाएगा बस फिर 84,00,000 योनियों में घूमेगा, ना माया निवृत्ति होगी ना आनंद प्राप्ति होगी, 11.14.11 श्लोक

45:21

[संगीत]

45:39

फिर क्या करें 11.14.21 श्लोक, केवल भक्ति से ही मुझे प्राप्त किया जा सकता है और कोई मार्ग नहीं

46:07

और उसमें शर्त है कुछ थोड़ी सी, नंबर एक कामनाओं को छोड़ दो

46:16

नंबर दो अनन्या भक्ति हो

46:22

कपिल भगवान के अवतार ने देवहूती अपनी मां को उपदेश दिया था

46:35

भक्ति अनन्या होनी चाहिए, यानी भगवान श्रीकृष्ण उनका नाम रूप गुण धाम लीला उनके संत,

46:55

बस इतने में मन का अटैचमेंट (लगाव) हो और कहीं ना हो, चाहे कोई  मनुष्य देवता देवी राक्षस हो

47:03

उसको अनन्या कहते हैं

47:12

और निरंतर हो मैंने इसके लिए एक दोहा बनाया है आप लोगों

47:19

को भी मालूम है

47:29

हरि गुरु भज नित्य

47:37

हरि और गुरु की भक्ति करनी होगी और नित्य गोविंद राधे

47:47

और भाव निष्काम (कामना रहित और अनन्य) बना दे  

47:56

[संगीत]

48:06

तभी अंत करण शुद्ध होगा

48:14

संक्षेप में रामायण सुन लीजिये

48:56

बिना भक्ति के कोई नहीं तर सकता, योगी हो, ऋषि हो, मुनी हो तपस्वी हो ज्ञानी हो कोई हो

49:04

मिले ना रघुपति बिन अनुरागा, किए जोग (योग) जप ज्ञान बिरागा

49:20

राम ही केवल प्रेम प्यारा, जान लेहू जो जानन हारा

49:34

धर्म परायण

49:39

स्विकूलताराम चरण [संगीत]

49:50

[संगीत]

50:19

भगवान की प्रेमभक्ति के सिवाय कोई रास्ता नहीं है

50:46

राम कृपा कैसे होगी

50:58

भगवान के शरणागत होना पड़ेगा

51:10

इस प्रकार भक्ति करने से हमारा अतः करण शुद्ध होगा फिर गुरु अपना कार्य करेगा

51:31

आपके अंतःकरण को, इंद्रियों को दिव्या बनाएगा दिव्या प्रेम देगा भागवत प्रताप कराएगा

51.40

एक प्रमुख बात और समझ लीजिए, ये सब बात आपने बहुत बार सुनी भी हैं समझी भी हैं पिछले कई जन्मों में

51:59

लेकिन आप लोग कमाने के साथ-साथ उसकी रक्षा करने पर

52:04

ध्यान नहीं देते गंवा देते हैँ जैसे भगवान और महापुरुष के प्रति दुर्भावना, ये नाम अपराध कहलाता है

52:21

भगवान ने ऐसा क्यों किया सीता का त्याग क्यों किया, रास क्यों किया

52:29 

अपने आप को जानता नहीं कहां जा रहा है गधा भगवान के पास, जहाँ ब्रह्मा शंकर फेल (fail) हो गए

52:49

मीरा सूर कबीर जैसे संत मिले, उनके जमाने में भी हम थे

52:56

लेकिन ये ऐसा क्यों करते हैं ऐसे क्यों खड़े होते हैं ऐसा कपड़ा क्यों पहनते हैं ऐसे क्यों

53:02

बोलते हैँ, केवल हम ही एक काबिल है हमने सभी संतों को reject कर दिया, मगर जब संत चले गए तो उनकी पूजा करते हैं

53:19

यह देह विमान मिथ्याभिमान

53:26

आपस में हम लोग एक दूसरे की बुराई करने में बड़ी रुचि लेते हैं वो ऐसा है, वो वैसी है

53:37

तुमको अपना लाभ कामना है देखो एक आदमी

53:43

अपनी लड़की की शादी के लिए साड़ी खरीदने जाता है बाजार में

53:49

रास्ते में तमाम दुकाने हैं तरकारी की दुकान भी है चप्पल जूते की भी

53:57

तमाम देखता जाता है, हाँ ये लो आ गयी साड़ी की दुकान

54:09

वो लड़ाई थोड़े ही करता है कि चप्पल की दुकान क्यों खोल रखा है हमको साड़ी चाहिए, हमको बाकी सब से क्या लेना देना है हमें बड़े सौभाग्य से मनुष्य जीवन मिला है

54:29

अपना काम बना ले एक बेटा सीरियस बीमार है वो डॉक्टर के घर

54:37

जाता है रास्ते में कोई मिले उसका रिश्तेदार ही क्यों ना हो अरे

54:46

श्रीवास्तव जी हमको बहुत जरूरी काम है

54:52

अभी हम आपसे बात नहीं करेंगे शाम को आना हमारे पास

54:57

लड़का हमारा सीरियस है हमको डॉक्टर से बात करना है

55:03

ऐसे ही पता नहीं कब मानव देह छिन जाए जल्दी

55:08

करो भगवान संबंधी और संत संबंधी ही बात सुनो आपस में

55:17

जब बैठो और कोई बात शुरू हो उठ के चले जाओ

55:45

अरे भगवान की कोई बात सुनाओ उससे हमारा अंतरण शुद्ध हो

55:51

प्रतिज्ञा कर लो सब लोग जब आपस में मिलो तो भगवान की चर्चा हो

55:59

और ना करें वो तो चले जाओ, अपने आप समझ लेगा कि ये बाबा जी हो गया ठीक है

56:07

ठीक है हम हो गए बाबा जी तो इस प्रकार कुसंग से भी बचिए जो कमाइए

56:15

[संगीत] उसको लाक (lock) करके रखिए, नाम अपराध की लापरवाही ना कीजिए, नहीं तो सब कमाई खो जाएगी

56:26

मैंने आपको बताया है कि कैसे जीव परमानंद को प्राप्त कर सकता है

56:45

इतना परिश्रम करके केवल भागवत सुनाया है

56:55

[प्रशंसा] राधे

Standby link (in case youtube link does not work):

भागवत पर ऐतिहासिक प्रवचन - Bhagwat Explained By Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj.mp4