Tuesday, October 12, 2021

आपकी सारी समस्याओं का समाधान 100% 100% solution to all your problems - Dr. Vrindavan Chandra Das

आपकी सारी समस्याओं का  समाधान 100%

100% solution to all your problems

https://youtu.be/leQKNQK0JJ4

1 कोई उद्देश्य किसका होता है गाड़ी का या गाड़ी के ड्राइवर का,  owner का , गाड़ी का काम है owner के उद्देश्य को पूरा करना (ऐसे ही हमारा हमारी आत्मा का लक्ष्य है भगवान प्राप्ति और जो गाड़ी रूपी शरीर है उसका उद्देश्य है आत्मा की मदद करना, मगर हम लोग केवल शरीर के उद्देश्य को ही आत्म का उद्देश्य मान लेते हैं जो कि सरासर गलत है और इसीलिए हम माया के जाल में फंसे हुए हैं 84,00,000 योनियों में) Whose purpose is to be met ? of the car or the driver of the car, the job of the car is to fulfill the purpose of the owner (Similarly, the goal of our soul is to attain God and the purpose of the body in the form of a car is to help the soul. , but we consider only the purpose of the body as the purpose of the self, which is completely wrong and that is why we are trapped in the web of Maya in 84,00,000 births.) https://youtu.be/leQKNQK0JJ4&t=36 2  मैं शरीर नही आत्मा हूं, ये गीता के आध्यात्मिक ज्ञान की पहली सीढ़ी है I am not a body but a soul, this is the first step to spiritual knowledge of Gita. https://youtu.be/leQKNQK0JJ4&t=55   3 हम किसी ना किसी से अवश्य ही जुड़े हैं बीवी से, पति से, बच्चों से नौकरी से, धन से, मगर भगवान से जुड़े नहीं जो कि वास्तविक “योग” है, क्योंकि यदि भगवान से जुड़ जाते, तो मनुष्य जीवन का लक्ष्य (यानी भगवत प्राप्ति)मिल जाता We are definitely connected to something or the other - wife, husband, children, job, money, but we are not connected to God, which is the real "Yoga" (which means Union, जुड़ना), because if we were connected to God, then the goal of human life (i.e. God's attainment) is attained https://youtu.be/leQKNQK0JJ4&t=159 4  यह सारी आध्यात्मिक विद्या है आपको याद दिलाने के लिए कि मेरी आत्मा का लक्ष्य है भगवान कृष्ण के साथ संबंध, जो मैं भूल गया हूं, उसको वापस स्थापित करना All this spiritual knowledge is to remind you that the goal of my soul is to establish a relationship with Lord Krishna, to restore what I have forgotten. https://youtu.be/leQKNQK0JJ4&t=190 5  आप भगवान की सेवा करते हो और सेवा का एक ही मतलब है, जिसकी सेवा कर रहे हो उसकी आज्ञा का पालन करना , मगर मुझे पहले जानना पड़ेगा कि भगवान मुझसे क्या चाहते हैं, इसलिए गीता का ज्ञान होना अति आवश्यक है You serve God and service has only one meaning, to obey the orders of the one you are serving, but first I have to know what service God wants from me, hence knowledge of Gita is very important. https://youtu.be/leQKNQK0JJ4&t=244 6 हम भी बड़े selfish हैं परंतु अगर अध्यात्म में selfish हो जाओगे तो सबका भला हो जाएगा, भगवान ने गीता में कहा है जो मेरा प्रचार करता है, या प्रचार में सहायता करता है, वो मुझे सबसे प्रिय है और हम सब किसका प्रिय बनना चाहते हैं भगवान का प्रिय, बाकी सभी का प्रिय बनोगे तो क्या फायदा होगा, जब वो चला (मर) जाएगा, तुम फिर लटक गए यानी कहीं के नहीं रहोगे We are also very selfish, but if you become selfish in spirituality then everyone will be benefited, God has said in Gita, the one who propagates awareness about Me, or helps in preaching knowledge about Me, is most dear to Me and whom do we all want to be dear to - we all want to become God's beloved ; what will be the benefit if you become everyone else's beloved in this world, when he/she goes away (dies), you will be left hanging again i.e. you will have no one left as your own in this world. https://youtu.be/leQKNQK0JJ4&t=330 7 भगवान की सेवा पकड़ लो, हनुमान जी और शिव जी किसकी सेवा पकड़ के बैठे हैं, "राम काज करिबे को आतुर", आपको मनुष्य का जीवन मिला है जो की एक लॉटरी है, लॉटरी को अब एनकैश करो, व्यर्थ मत गवांओ  Hold onto the service of God, whose service are Hanuman ji and Shiv ji holding onto, Ram (same as Krishna) of course ; now that you have got human life which is a lottery, encash the lottery now, do not waste it. https://youtu.be/leQKNQK0JJ4&t=358

Transcript from video: 

0:00

आपने स्टार्टिंग में क्वेन दिया था जीवन

0:03

का उद्देश्य क्या है तो आपके हिसाब से

0:06

मेरे हिसाब से नहीं अगर मैं अपने हिसाब से

0:08

बोलू तो आप बोलना चुप हो जाओ हां ध्यान

0:12

रखना शास्त्रों के हिसाब से क्या है क्या

0:16

आप जब लॉयर के पास जाते हो कोई केस के

0:18

अंदर तो क्या बोलते हो लॉयर से लॉ के

0:20

अनुसार क्या है या बोलते हो आपके हिसाब से

0:23

क्या है बेटा उनके हिसाब से मत ले लेना आप

0:25

लोग पता लगा अंदर हो

0:28

जाओगे क्योंकि उनका हिसाब थोड़ी चलता है

0:31

कांस्टिट्यूशन के तो इसको शॉर्ट में बता

0:33

रहा हूं आपको क्योंकि इसके लिए आपको 13

0:36

घंटे सुनना पड़ेगा पर्पस किसका पर्पस

0:39

गाड़ी का होता है या उसके ओनर का होता है

0:42

जो ड्राइविंग कर रहा

0:44

है

0:46

बताइए दोनों का परंतु मेन किसका होता है

0:51

ओनर का कार का काम है ओनर के उद्देश्य को

0:55

पूरा करना तो भगवत गीता जैसे कि आपको अगर

0:59

अंग्रेजी सीखनी है तो ए बी सीडी से शुरू

1:02

करना पड़ेगा और मैथमेटिक्स सीखनी है गणित

1:04

सीखनी है तो वन टूथ से शुरू करना पड़ेगा

1:06

एक दो तीन चार से इसी तरीके से

1:08

स्पिरिचुअलिटी आध्या की आध्यात्म की

1:11

शुरुआत होती है कि मैं कौन हूं और भगवत

1:15

गीता का पहला स्टेप है मैं शरीर नहीं

1:17

आत्मा हूं क्या है मैं तो परपस किसका होगा

1:22

आत्मा का और शरीर का कार्य है कि आत्मा के

1:25

पर्पस को पूर्ण करे तो ये तो पहली चीज हुई

1:29

क्या आत्मा के पर्पस को समझो अब आत्मा का

1:31

पर्पस क्या है आप एक्चुअली आत्मा का पर्पस

1:34

भूल के ना शरीर को अपने आप को समझने लग गए

1:36

हो तो आप क्या करते हो आप योग करते हो

1:38

क्या करते हो प्रभु जी आप जीवन में गाड़ी

1:41

जोड़ते हो बंगला जोड़ते हो शादी करते हो

1:44

रिश्तेदार जोड़ते हो मित्र जोड़ते हो घर

1:46

जोड़ते हो दुनिया भर की चीजें जोड़ते हो

1:48

किसलिए कि आपको खुशी मिले परंतु यह सारी

1:52

खुशियां जो है य टेंपररी है क्या है परंतु

1:55

आप जो आत्मा है वो सनातन है इसलिए आपके मन

1:58

में हर टाइम क्या कैसे रिश्ते चाहते हो आप

2:01

लंबे या छोटे लंबे घर कैसा बनाना चाहते हो

2:05

जो लंबा चले गाड़ी कैसी चाहते हो जो लंबी

2:08

चले हर चीज आप चाहते हो लंबी परतु

2:10

एक्चुअली अगर आप दिल से पूछोगे तो आप ऐसी

2:12

चीज चाहते हो जो कभी खत्म ना हो तो इसी

2:17

तरीके से

2:18

आत्मा आज ढकी हुई है ढकी का मतलब अपनी

2:21

पहचान को

2:22

थोड़ी भूल

2:25

गए तो किसका पर्पस हुआ पहले तो यह चीज है

2:28

पर्पस है आत्मा का शरीर नहीं है शरीर का

2:31

काम है आत्मा का पर्पस जभी भगवान ने शरीर

2:33

को यंत्र कहा है यंत्र का काम है मेरा

2:35

पर्पस पूरा करें तो व यंत्र हैय शरीर

2:39

दूसरा अब आता है किससे जुडू आप जीवन भर

2:43

चीजों से जुड़ रहे हो जुड़ रहे हो ना

2:45

प्रभु जी पैदा हुए थे तो जुड़े

2:48 

थे एजुकेशन से नौकरी से बिजनेस से फिर

2:53

लोगों से जुड़े पत्नी पति बच्चे मामा चाचा

2:56

ताऊ बने यह सब दुनिया भर का जोड़ रहे हो

3:00

जोड़ रहे हो परंतु जिससे जुड़ना चाहिए

3:03

उससे जुड़ा ही नहीं भगवान से जुड़े नहीं

3:06

भगवान से जुड़े नहीं क्योंकि उनसे अगर

3:10

जुड़ जाते तो वह जो योग है वह कभी

3:15

खत्म नहीं होता था है और रहेगा बाकी तो

3:20

आएंगे और जाएंगे कोई रुकने वाला नहीं है

3:25

कितना रोकने की कोशिश कर लो तो प्रभु जी

3:28

यह शरीर इसलिए है कि यह सनातन योग सनातन

3:32

धर्म को आप

3:45

स्टेबलिंग है वह नया नहीं है वोह था है और

3:50

रहेगा हम भूल गए हैं तो यह सारी विद्या है

3:53

आपको याद दिलाने के लिए क्या आप अपना जो

3:55

संबंध है तो पर्पस क्या हुआ आत्मा का

3:59

पर्पस हुआ कि मेरा भगवान कृष्ण के साथ जो

4:01

संबंध मैं भूल गया हूं उसको वापस स्थापित

4:04 

करना और उसको कैसे करोगे प्रेम भगवान के

4:08

साथ वापस प्रेम करके आसक्ति करके क्या

4:11

करके और आसक्ति का सेम सबसे बड़ा सरल

4:14

तरीका है जो बच्चा जो भी व्यक्ति जिसकी

4:17

सेवा करता है सबसे ज्यादा उससे अटैच भी

4:19

सबसे ज्यादा हो जाता है इसी तरीके से आप

4:23

भगवान की सेवा करते हो और सेवा का एक ही

4:25

मतलब है जिसकी सेवा कर रहे हो उसकी आज्ञा

4:28

का

4:30

पालन करना सेवा मन गंत नहीं होती पिताजी

4:33

बोलने बेटा दूध पिला दे आप कह रहे हो पानी

4:36

पी केर खुश रह ले यह सेवा थोड़ी है जैसे

4:41

मजाक में मेरा छोटा भाई कह दिया करता था

4:43

मेरी नानी को पैर दबा रहा था तो एक दिन

4:45

नानी ने कहा गला दर्द हो रहा है दबा दूं

4:47

क्या क्योंकि पैर दर्द हो रहा था तो दबा

4:50

रहे थे व मजाक करता था कि गला दर्द हुआ तो

4:52

क्या करूं तो गला दबाने की जगह थोड़ी है

4:56

तो इसी तरह से परपस क्या है हमारा जो

4:58

संबंध हम

5:00

भूल गए हैं उस संबंध को वापस स्थापित करना

5:02

उसके लिए हरे कृष्णा महामंत्र बहुत हेल्प

5:04

करता है फिर यह नॉलेज जो है यह आपको हेल्प

5:08

करती है कि जो आपके बीच में रुकावटें आती

5:10

है उसको दूर कैसे

5:12

करना क्योंकि ध्यान रखिएगा भगवत गीता में

5:16

आपको पता लगता है कि भगवान हमसे क्या

5:18

चाहते हैं बड़ा सिंपल है मेरे को आपकी

5:22

सेवा करनी है तो मुझे जानना पड़ेगा कि आप

5:25

मुझसे क्या चाहते हैं अगर मैं वह कार्य

5:27

करूंगा तो आपका प्रिय वैसे ही हो जाऊंगा

5:30

और हम भी हम भी बड़े सेल्फिश है सबको

5:31

सेल्फिश होना चाहिए परंतु सेल्फिश हो अगर

5:34

अध्यात्म में सेल्फिश हो जाओगे तो सबका

5:36

भला हो जाएगा भगवान ने गीता में कहा है जो

5:38

मेरा प्रचार करता है या प्रचार में सहायता

5:39

करता है वो मुझे सबसे प्रिय है और हम सब

5:42

के सब किसका प्रिय बनना चाहते हैं भगवान

5:44

का प्रिय बाकी का बनोगे तो क्या फायदा

5:46

होगा जब व चला जाएगा तुम फिर लटक गए 

5:49

फिर वहीं के वही बड़ी मुश्किल से तो एक

5:52

व्यक्ति की सेवा करी पॉलिटिक्स पॉलिटिक्स

5:54

पॉलिटिक्स बनना चाहता था पता लगा वो मर

5:56

गया उसके बाद आप फिर जीरो के जीरो फिर

5:58!

दूसरे के चक्कर में लग जाओ अरे भगवान की

6:01

सेवा पकड़ लो हनुमान जी किसकी सेवा पकड़

6:03

के बैठे हैं अरे राम काज करबे को आतुर राम

6:08

के काज करने को आतुर और आप जाकर शनिवार को

6:11

मंगलवार को हनुमान जी राम काज को छोड़ो

6:14

मेरी काज करने को आतुर हो जाओ अरे हनुमान

6:18

जी घुमा घुमा के मारेंगे बोले यार मैं राम

6:21

का दास हूं कि तेरा दास हूं सोचो जरा

6:24

विचार करो पता हम लोग ना हम लोग का बड़ घर

6:26

हो चुका है जी गाते क्या है करते क्या है

6:31

शिव जी के पास जाते हैं लड़कियां जाती हैं

6:34

माताएं जाती है कि शादी करा दो शिव जी

6:36

कहते हैं मेरे जैसा मिल जाएगा पति

6:39

लेगी एक नहीं

6:41

लेगी बताओ आप मुझे जी अरे कहां जा रहे हो

6:45

किसके लिए जा रहे हो जानो तो सबके अपने

6:48

अपने पोर्टफोलियो है क्या है और सब दास है

6:52

कृष्ण दास गुजरात में तो यह बोलने की

6:54

ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती बाकी जगहो तो

6:57

नॉर्थ में जा तो बुरी हालत है

7:00

यहां तो तब भी लोग कृष्ण भगवान को जानते

7:03

हैं मानते हैं आप लोग लकी हो परंतु उस

7:06

लॉटरी को अब एनकैश करो वेस्ट मत

7:12

करो समझ में आया आपके ठीक है प्रभु

7:19

[संगीत]

7:21

जी

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Monday, October 11, 2021

शराब पीने वालों के साथ नर्क में क्या होता है What happens in hell to those who drink alcohol - Garud Puran

शराब पीने वालों के साथ नर्क में क्या होता है

*What happens in hell to those who drink alcohol* 

https://youtu.be/LgCJwg90Wns

Important points:

1 मदिरापान को सबसे बड़े पापों की श्रेणी में रखा गया है https://youtu.be/LgCJwg90Wns&t=0 2 जहां भी मदिरा पहुंचती है वहां वो आदमी  को शैतान बना देती है https://youtu.be/LgCJwg90Wns&t=86 3 जब मदिरा शरीर के अंदर प्रवेश करती  हैं तो वो व्यक्ति के अंदर से विचार संस्कार विवेक और सद्भाव को बाहर का रास्ता दिखा देती है जिससे  व्यक्ति की अच्छा सोने और समझना की शक्ति खत्म  हो जाति है https://youtu.be/LgCJwg90Wns&t=161 4 शराब पहले आपके मस्तिष्क को प्रभावित करती है और  आपकी सोने समझना की शक्ति प्रभावित हो जाति है   https://youtu.be/LgCJwg90Wns&t=194 5 रावण ने अपनी बहन सूर्पनखा को ज्ञान दिया था की ऐसा  इंसान जो मदिरापान करता है वो जीवन भर दुखी ही रहता  है क्योंकि शराब के सेवन से व्यक्ति की लज्जा चली  जाती है वो गलत कर्म करने पर भी कभी लज्जित महसूस  नहीं करता https://youtu.be/LgCJwg90Wns&t=272 6 शराब  पीने वाले इंसान पर भगवान कभी प्रसन्न नहीं होते  और उन्हें जीवन में हमेशा परेशानियां का सामना करना  पड़ता है https://youtu.be/LgCJwg90Wns&t=329 7 शराब पीने और पिलाने वाले इंसान को विलेपक  नाम के नरक में यातनाएं दी जाति है नारद पुराण के  अलावा गरुड़ पुराण में भी इस बात का उल्लेख मिलता है की जो मनुष्य शराब का सेवन करता है उन्हें अगले  जन्म में कुत्ते की यानी में जन्म मिलता है https://youtu.be/LgCJwg90Wns&t=337 Vilephak Alcohol consumers are sent to Hell called Vilepak, which always burns with fierce fire. https://www.ganeshaspeaks.com/spirituality/hinduism/purana/garud-puran/ 8 मदिरापान करने वालों  से मित्रता ना करें क्योंकि जैसी संगत वैसी ही रंगत  होने में ज्यादा देर नहीं लगती https://youtu.be/LgCJwg90Wns&t=301 Transcript from video:  0:00 दोस्तों आंकड़े बताते हैं की आज धरती का हर एक दूसरा  व्यक्ति ना सिर्फ मदिरा पिता है, बल्कि इसे पीने में   0:07 बड़ा ही गर्व महसूस करता है लेकिन दोस्तों क्या आप  जानते हैं की हिंदू धर्म में मदिरापान को सबसे बड़े   0:15 पापोन की श्रेणी में रखा गया है मदिरा पान को सबसे  बड़े कुकर्मों और दुर्व्यास नमी जीना जाता है हिंदू   0:23 धर्म शास्त्रों में शराब को लेकर क्या लिखा गया है  और शराबी व्यक्ति को नरक में क्या-क्या यात्राएं दी   0:30 जाति हैं आज के इस वीडियो में हम इसी पर बात करेंगे  इसके साथ ही शराब पीने को लेकर इस्लाम धर्म सिख धर्म   0:39 इसी धर्म और जैन धर्म में क्या कहा गया है वह भी इस  वीडियो में बताएंगे नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका   0:47 हमारे चैनल वैदिक ज्ञान संगम में आपसे अनुरोध है की  चैनल को सब्सक्राइब कर लेने और कमेंट बॉक्स में जय   0:55 श्री नारायण लिखकर परमात्मा को अपना आभार व्यक्त  करें हमारे हिंदू धर्म ग में आपको कई तरह के पाप   1:03 और उन्हें करने पर मिलने वाली सजन का वर्णन मिल  जाएगा इसी तरह भागवत गीता में पांच तरह के महापाप   1:11 बताए गए हैं और दोस्तों आपको जानकर हैरानी होगी की  इन पांचो महापापों में सबसे बड़ा पाप मदिरापान को   1:19 ही बताया गया है मदिरापान के अलावा भागवत गीता में  ब्रह्मा हत्या चोरी गुरु स्त्री से संबंध और विश्वास   1:26 धात करने को भी महापाप की श्रेणी में रखा गया है  दोस्तों जहां भी मदिरा पहुंचती है वहां वो आदमी   1:34 को शैतान बना देती है तभी तो शराब के नसे में चर  व्यक्ति दूसरों से एन सिर्फ लड़ता झगड़ता है बल्कि   1:42  शर्मनाक शब्दों का भी इस्तेमाल करने से बस नहीं  आता इसके अलावा हमारे वेदों में भी मदिरापान को   1:50 बहुत ही बड़ा बाधक माना गया है इसलिए वेद में  शराब पीने वालों को शैतान की संज्ञा दी गई है   1:57 ऐसा शैतान जो दूसरों से लड़ता है और गलत व्यवहार  करता है ऋग्वेद में शराब की घर निंदा करते हुए कहा   2:05 गया है रितु पिता स युद्ध आंसू एन सुरैया इसका अर्थ  है सरापन करने वाले या नशीले पदार्थ को पीने वाले   2:15 अक्सर युद्ध मारपीट या उत्पाद मचाया करते हैं इसलिए  ऋग्वेद में भी मदिरापान वर्जित बताया गया है लेकिन   2:24 ऋग्वेद में ही यह भी लिखा है की देवता सोमरस का पान  करते हैं आजकल के अज्ञानी जान इसी सोमरस को मदिरापान   2:33 से जोड़कर देखते हैं जबकि सोमरस एक रासायनिक भीम से  बनाया हुआ विशेष द्रव्य बताया गया है दरअसल दोस्तों   2:41 होता क्या है की जब मदिरा शरीर के अंदर प्रवेश करती  हैं तो वो व्यक्ति के अंदर से विचार संस्कार विवेक   2:49 और सद्भाव को बाहर का रास्ता दिखा देती है जिससे  व्यक्ति की अच्छा सोने और समझना की शक्ति खत्म   2:56 हो जाति है विज्ञान इस विषय पर कहता है की जब आप  शराब पीते हैं तो आपको शराब भजम नहीं होती यह आपके   3:06 रक्त प्रवाह में तेजी से अवशोषित कर ली जाति है और  बहुत जल्दी आपके शरीर के हर हिस्से में पहुंच जाती हैं   3:14 शराब पहले आपके मस्तिष्क को प्रभावित करती है और  आपकी सोने समझना की शक्ति प्रभावित हो जाति है   3:21 दोस्तों पहले बार शुक्राचार्य ने शराब बंदी करवाई थी  मद्यपान को लेकर हिंदू धर्म ग में एक कथा का उल्लेख   3:31 मिलता है जिसमें असुर गुरु शुक्राचार्य ने असुरों के  लिए मदिरापान बैंड कर दिया था इस कथा के अनुसार अमृत   3:39 संजीवनी विद्या सीखने के लिए देव गुरु बृहस्पति  के पुत्र कक्षा दैत्य गुरु शुक्र के पास गए यह   3:46 बात असुरों को बिल्कुल पसंद नहीं आई और उन्होंने  कच्छ को करने का हर संभव प्रयास किया लेकिन कच्छ   3:53 का शुक्राचार्य के संरक्षण में होने के करण असुर  कुछ नहीं कर का रहे थे एक दिन मदिरापान किया हुए   4:00 असुरगढ़ कच को भस्म कर धोखे से शुक्राचार्य को भी  मदिरापान कर देते हैं मदिरा के प्रभाव से कुछ समय   4:08 तक शुक्राचार्य भी संजीवनी विद्या का प्रयोग करके  जीवन दान नहीं दे का रहे थे थे तब उन्हें एहसास   4:15 हुआ की शराब व्यक्ति का शत्रु है और उन्होंने तत्काल  असुरों के लिए शराब पीना बैंड करवा दिया लेकिन असुर   4:23 जाति शराब पीना कभी छोड़ नहीं पी धीरे-धीरे समाज के  अन्य वर्ग में भी शराब को गलत माना दोस्तों एक बार   4:32 रावण ने अपनी बहन सूर्पनखा को ज्ञान दिया था की ऐसा  इंसान जो मदिरापान करता है वो जीवन भर दुखी ही राहत   4:40 है क्योंकि शराब के सेवन से व्यक्ति की लज्जा चली  जाती है वो गलत कर्म करने पर भी कभी लज्जित महसूस   4:47  नहीं करता इसके अलावा दोस्तों नारद पुराण में भी  शराब पीने को गलत बताया गया है नारद पुराण के अनुसार   4:56 मदिरा के तीन प्रकार बताए गए हैं पहले है गौरी  अर्थात गुड से बनाई गई शराब दूसरा है टेस्टी अर्थात   5:05 चावल आदि के आते से तैयार की गई शराब तीसरा है माधवी  अर्थात फूल अंगूर आदि के रस से तैयार की गई शराब   5:14 स्त्री हो या पुरुष हर इंसान को इन सभी तरह के  शराबी से दूर रहना चाहिए किसी भी तरह के शराब के   5:21 सेवन से इंसान महापाप का भाग बन जाता है इस पाप की  सजा व्यक्ति को इस मृत्यु लोक में भोगनी ही पड़ती है   5:29 और मृत्यु के बाद नरक में भी भोगनी पड़ती है शराब  पीने वाले इंसान पर भगवान कभी प्रसन्न नहीं होते   5:37 और उन्हें जीवन में हमेशा परेशानियां का सामना करना  पड़ता है शराब पीने और पिलाने वाले इंसान को विलयपात   5:46 नाम के नरक में यातनाएं दी जाति है नारद पुराण के  अलावा गरुड़ पुराण में भी इस बात का उल्लेख मिलता   5:53 है की जो मनुष्य शराब का सेवन करता है उन्हें अगले  जन्म में कुत्ते की यानी में जन्म मिलता है गरुड़   6:01 पुराण में आगे बताया गया है की मदिरापान करने वालों  से मित्रता ना करें क्योंकि जैसी संगत वैसी ही रंगत   6:08 होने में ज्यादा देर नहीं लगती दोस्तों अब संक्षेप  में आई जानते हैं अन्य धर्म में मदिरापान को लेकर   6:16! क्या कहा गया है दोस्तों इस्लाम में शराब हराम  है इस्लाम के शुरू के दूर में शराब पीना आम था   6:24 जब मोहम्मद साहब मदीना आए तो मदीना के लोगों में  भी शराब का रिवाज आम था लेकिन उन्होंने अल्लाह   6:31 के हम से लोगों को शराब पीने से रॉक लोगों ने इस  हम का स्वागत किया और जिसके घर में जितनी भी शराब   6:39 थी सब ने सड़क पर भा दी जैन धर्म में शराब पीने को  बहुत गलत कार्य माना गया है और कहा गया है की शराब   6:48 पीने वाला व्यक्ति चरका तक कष्ट भोक्ता है शराब एक  उत्तेजक पदार्थ है जो मस्तिष्क में करूर भाग पैदा   6:56 करता है भगवान महावीर ने 7 व्यसनों की चर्चा करते  हुए इन्हें त्याज्य बताया है ये साथ को व्यसन है   7:04 परिस्तरी गण जुआ खेलने शराब पीना पिलाना शिकार करना  कठोर वचन कहना कठोर दंड और चोरी सिख धर्म में किसी   7:13 प्रकार के नसे को वर्जित माना गया है तथा उसके  सेवन करने की सख्त माना ही है गुरु गोविंद सिंह   7:21 जी ने वैशाखी वाले दिन कर प्राण करवाएं थे जिसमें  नशेका सेवन नहीं करना भी था सिख धर्म में शराब पीने   7:29 की सख्त माना ही है इसी धर्म में एक तरफ जहां बाइबिल  डाक मदिरा के फायदे के बड़े में बताती है वहीं दूसरी   7:37 तरफ वह हादसे ज्यादा शराब पीने या पिया कड़ापन को  गलत बताती हैं दोस्तों उम्मीद करता हूं की आपको समझ   7:45 आया होगा की शराब पीना कितना गलत है अगर ये बातें  आपको समझ आई [संगीत] और ऐसे ही वीडियो को देखने के   7:58 लिए हमारे चैनल वैदिक ज्ञान संगम को सब्सक्राइब करें  सर्वे शुभम भक्तों आई मिलते हैं अगली वीडियो में

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Sunday, October 10, 2021

श्रीकृष्ण ने क्यों कहा कि अन्य किसी के मार्ग का अनुसरण भयावह होता है, Why did Shri Krishna say that following someone else's path is dangerous ? -Dr. Vrindavan Chandra Das

श्रीकृष्ण ने क्यों कहा कि अन्य किसी के मार्ग का अनुसरण भयावह होता है।

 

https://www.youtube.com/watch?v=UMj-L0oWY1E

1  It is far better to discharge one’s prescribed duties, even though faultily, than another’s duties perfectly. Destruction in the course of performing one’s own duty is better than engaging in another’s duties, for to follow another’s path is dangerous.

अपने निर्धारित कर्तव्यों का पालन करना, भले ही त्रुटिपूर्ण हो, दूसरे के कर्तव्यों का पूर्णता से पालन करने से कहीं बेहतर है। अपना कर्तव्य निभाते हुए नष्ट होना दूसरे के कर्तव्य निभाने से बेहतर है, क्योंकि दूसरे के रास्ते पर चलना खतरनाक है। https://vedabase.io/en/library/bg/3/35/ https://www.youtube.com/watch?v=UMj-L0oWY1E&t=0 2 An example quoted why you should do work only as per your aptitude ,i.e  your inborn tendency एक उदाहरण कि आपको केवल अपनी प्राकृतक प्रवर्त्ति के अनुसार ही कार्य क्यों करना चाहिए, यह आपकी जन्मजात प्रवृत्ति है https://www.youtube.com/watch?v=UMj-L0oWY1E&t=60 3 कलयुग के लिए भगवान का संकीर्तन एक यज्ञ बताया गया है,  यज्ञ का मतलब होता है वह कार्य जो श्री कृष्ण भगवान / विष्णु की प्रसन्नता के लिए किया जाता है, खाली अग्नि जलाना, हवन करना, यह यज्ञ नहीं है In kaliyuga, sankirtan of Lord is said to be a yagya. What does Yagya mean - The work which is done for the glory of Shri Krishna Lord/Vishnu, whereas simply burning of empty fire & performing havan is not yagya. https://www.youtube.com/watch?v=UMj-L0oWY1E&t=114 4 Work done as a sacrifice for Viṣṇu has to be performed; otherwise work causes bondage in this material world. Therefore, O son of Kuntī, perform your prescribed duties for His satisfaction, and in that way you will always remain free from bondage.

विष्णु के लिए निष्काम भाव से किया गया कार्य करना होगा; अन्यथा काम इस भौतिक संसार में बंधन का कारण बनता है। इसलिए, हे कुंती के पुत्र, भगवान की संतुष्टि के लिए अपने निर्धारित कर्तव्यों का पालन करें, और इस तरह आप हमेशा बंधन से मुक्त रहेंगे। https://vedabase.io/en/library/bg/3/9/ https://www.youtube.com/watch?v=UMj-L0oWY1E&t=142 5 देखिए स्कूल क्यों जाते हैं आप टेस्ट बुक्स तो मार्केट में भी उपलब्ध हैं, किताबों से रटा जा सकता है, स्कूल जाते हो तो टीचर क्या करता है, वो किताब के ज्ञान को समझाता है इसलिए टीचर होना गुरु होना शिक्षक होना हर subject के लिए अनिवार्य है

Look, why do you go to school, text books are also available in the market, you can memorize them, if you go to school, but the teacher explains the knowledge of the book, that is why a teacher, a guru, is mandatory for the subject

https://www.youtube.com/watch?v=UMj-L0oWY1E&t=204


Transcript as per the video:


0:00

मेरा एक छोटा सा प्रश्न है
0:02
आपसे गीता के थर्ड चैप्टर में 35 नंबर का
0:07
श्लोक है अच्छी प्रकार आचरण में लाए हुए
0:11
दूसरे के धर्म से गुण रहित भी अपना धर्म
0:16
अति उत्तम है अपने धर्म में तो मरना भी
0:20
कल्याण कारक है और दूसरे का धर्म भय को
0:24
देने वाला है हां बिल्कुल यह कैसे है
0:28
बैठिए प्लीज इसको मैं पढ़ देता हूं
0:32
आपको मेरे को जब भी चांस मिलता है तो अपने
0:35
गुरु की वाणी को मैं यथारूप रखता हूं अपने
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नियत कर्मों को दोषपूर्ण ढंग से संपन्न
0:41
करना भी अन्य के कर्मों को भली भाति करने
0:44
से श्रेष कर है स्वः कर्मों को करते हुए
0:49
मरना पराय कर्मों में प्रवृत होने की
0:51
अपेक्षा श्रेष्ठ कर है क्योंकि अन्य किसी
0:55
के मार्ग का अनुसरण भयावह होता है


1:00
व्यक्ति की प्रवृत्ति है वैश्य की अर्थात
1:04
धंधा करने की अगर वह धंधा करता है तो
1:10
प्रॉफिट चार्ज करता है और प्रॉफिट चार्ज
1:13
करते हुए वह कस्टमर नहीं देखता कि वह पैसा
1:17
कम है या ज्यादा
1:19
है उस केस के अंदर जिनके पास पैसा कम है
1:23
उनसे भी वो वही प्रॉफिट चार्ज करता है तो
1:25
यह दोष हो गया परंतु इस दोष का उसको फल
1:30
प्राप्त नहीं होता परंतु धंधे की
1:34
प्रवृत्ति है और वह पुलिस में चला जाता है
1:38
वहां जाकर क्या करेगा धंधा करेगा क्योंकि
1:42
प्रवृत्ति क्या है धंधे की और उस धंधे को
1:45
कहते हैं घूस
1:47
ब्राइब that is wrong
1:51
ये एक छोटा सा उदाहरण दिया है मैंने

1:54

ब्राह्मण यज्ञ कराता है अग्नि यज्ञ ध्यान
1:58
रखिएगा यह जो यज्ञ को आप लोग सिर्फ यह
2:01
समझते हैं कि जो होम है वह एक प्रकार का
2:04
यज्ञ है यज्ञ अनेक प्रकार के हैं और कलयुग
2:07
के लिए कीर्तन संकीर्तन यज्ञ बताया गया है
2:10
यज्ञ का मतलब होता है वह कार्य जो भगवान
2:13
विष्णु की प्रसन्नता के लिए किया जाता है
2:15
उसको यज्ञ कहते हैं वेदों के अंदर साफ आया
2:18
है यज्ञ वही विष्णु कि यज्ञ ही विष्णु है


2:22

और गीता के 3 (third) वें अध्याय को जैसे प्रभु जी
2:24
ने कोट किया है उसके नौवे श्लोक के अंदर
2:25
आया है यज्ञ अर्थात कर्मण्य अन्यत्र लोको
2:30
अयम कर्म बंधना यज्ञ के लिए कर्म करो
2:33
अर्थात विष्णु के लिए कर्म करो अगर ऐसा
2:35
नहीं करोगे तो भौतिक जगत के जन्म मृत्यु
2:38
के चक्कर में फंस जाओगे अब ब्राह्मण जो है
2:40
जब ये होम यज्ञ कराता है तो उसमें प्रभु
2:43
जी कई जीव जाणु मरते हैं कई जीव जाणु मरते
2:48
हैं वो उसका दोष है परंतु उसके दोष का फल
2:51
उसको प्राप्त नहीं होता ये इस श्लोक का
2:55
मैंने आपको सरल में शॉर्ट में दैट इज वई work according to your aptitude
2:58
वर्क अकॉर्डिंग टू र एप्टिट्यूड
3:02
आपके और दूसरा अब एक नियत कर्म और है क्या
3:05
है जब आप नहाते हैं तो उसमें भी तो कई
3:08
मरते हैं हैं जी मरते नहीं मरते जो साबुन
3:13
निकलेगा उसमें भी कई मर जाएंगे परंतु नियत
3:16
कर्म तो करना है उसमें आपको उसका बुरा फल
3:20
प्राप्त नहीं होगा यह एक्चुअली श्लोक का

3:24
अर्थ है शॉर्ट में डिटेल जाना है तो आप यू
3:28
कैन गो ऑन टू लोका आई स्पोकन ऑन दि लोका
3:30
फॉर मेन वनव एंड हाफ आवर्स गेट मोर डिटेल
3:34
नॉलेज बट आई विल रिक्वेस्ट फर्स्ट गो थ्रू
3:37
दिस 13 hours उसमें आपका क्या है ए बी सीडी
3:39
और स्पिरिचुअल नॉलेज कंप्लीट हो जाएगी फिर
3:42!
आपको भगवत गीता समझने में देखिए स्कूल
3:44
क्यों जाते हैं आप टेस्ट बुक्स तो मार्केट
3:48
में भी अवेलेबल है किताबों से रटा जाता है
3:52
टीचर समझाता है स्कूल जाते हो तो टीचर
3:55
क्या करता है किताब तो बाहर भी है वो
3:57
किताब के ज्ञान को समझाता है इसलिए टीचर
4:00
होना गुरु होना शिक्षक होना हर सब्जेक्ट
4:03
के लिए अनिवार्य है बाय रीडिंग बुक्स यू
4:07
कांट बिकम अ डॉक्टर कैन यू
4:10
नो वह आपको एक्सप्लेन करते हैं इंट्री
4:13
केसस बताते
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हैं
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इसलिए तो यह 13 घंटे सुनिए एक बार फिर
4:20
आपको भगवत गीता समझना आसान हो जाएगा आपके
4:22
लिए इट विल बिकम ऐसे समझ जाओगे
4:28
आप


Standby link (in case youtube link does not work)

श्रीकृष्ण ने क्यों कहा कि अन्य किसी के मार्ग का अनुसरण भयावह होता है। Dr. Vrindavan Chandra Das.mp4