श्रीकृष्ण ने गीता में कहा सब मतलबी है, ये समझ लोगों तो बच जाओगे by Swami Mukundanand
https://www.youtube.com/watch?v=TlPcuZAXFRg Full Text 1 यह वेद का ज्ञान है वृहदारण्यक उपनिषद Brihadaranyaka Upanishad में कहा गया “verse” इतना बड़ा महत्वपूर्ण ज्ञान और याज्ञवल्क्य ऋषि अपनी पत्नी मैत्री को दे रहे हैं, संन्यास लेते समय, वे कहते हैं कि इस संसार में कोई स्त्री अपने पति के सुख के लिए उससे प्रेम नहीं करती है, मगर अपने सुख के लिए करती है, कोई भी पति, पत्नी के सुख के लिए उससे प्रेम नहीं करता, अपने सुख के लिए करता है, कोई भी बेटा बाप के सुख के लिए बाप से प्रेम नहीं करता, अपने सुख के लिए बाप से प्रेम करता है, कोई भी बाप बेटे के सुख के लिए बेटे से प्रेम नहीं करता, अपने सुख के लिए बेटे से प्रेम करता है, अब आप कहेंगे ऐसा है ? वेद कह रहा है “verse” https//www.youtube.com/watch?v=TlPcuZAXFRg&t=79 2 आप संसार में किसी भी स्त्री से पूछें कि देखो एक दिन तो दोनों मरेंगे, पति भी स्त्री भी, आपकी क्या इच्छा है कि पहले आप जाएं संसार से या पहले पति जाए ? तो स्त्री कहेगी, देखिए जी, वह सौभाग्यवती स्त्री का यह लक्षण होता है कि वह पति से पहले मर गए, अब आप पुरुष हैं, पूछें आपकी क्या इच्छा है ? पुरुष कहेगा सौभाग्य वान वहीं पुरुष होता है, जो पत्नी से पहले चला जाए यह सौभाग्य की बात नहीं है यह स्वार्थ की बात है https//www.youtube.com/watch?v=TlPcuZAXFRg&t=182 3 पत्नी इसलिए चाहती है कि पति से पहले मरे, क्योंकि अगर पति पहले चले जाएंगे तो उनसे जो संरक्षण, सुख, सुरक्षा, सामान मिल रहा था वह बंद हो जाएगा, तो मैं पहले चले जाऊं, मेरे बाद उनको कितना भी कष्ट हो, इससे मतलब नहीं है अगर वह पती का सुख चाहती, तो कहती हे भगवान, मैँ इन के बाद मरूं, ताकि अंतिम क्षण तक इनकी सेवा कर सकूं, क्योंकि आजकल बच्चे तो पूछेंगे भी नहीं, बच्चे तो कह देंगे पिताजी रिटायर हो गए, जब Government ने रिटायर कर दिया, Government ने मान लिया कि अब पिताजी का दिमाग normal नहीं रहा तो बेटा क्यों न माने ? अमेरिका में तो साल में एक दिन बस card भेज दो, Happy Father’s Day, Happy Mother’s Day, कर्तव्य पूरा तो यह सब स्वार्थ की बात होती है, जितना स्वार्थ उतना प्रेम automatically हो जाता है स्वार्थ कम होता है, प्रेम भी कम हो जाता है https//www.youtube.com/watch?v=TlPcuZAXFRg&t=228 4 देखिए मान लो कि एक स्त्री, मजाक में, एक पुरुष का नाम लिखे और कहे चिट्ठी में हम तो तुम से प्रेम करते हैं, मेरे पति क्या हैं ? ऐसे ही हैं और वह चिट्ठी अपने पति की table पर रख दे, अब उसके पति देव आए ऑफिस से, चिट्ठी देखी, ठंडी सांस ली, पत्नी ने कहा पति देव चाय पी लीजिए, गुर्राते क्यों हैं, चाय पी लीजिए, मैं सब समझ गया, क्या समझ गए ? मुझे पहले ही doubt था, तुम्हारे ऊपर मेरी आंखों के सामने से get out सारे का सारा प्रेम खत्म हो गया, Temperature इतना बढ़ गया, इतना गुस्सा आ गया इतने में मां आई, बेटा क्यों इतना नाराज हो रहा है ? मम्मी देखो मुझे क्या मिला है मम्मी कहती है अरे तू तो बुद्धू बन गया, तुझे याद नहीं कि आज अप्रैल की पहली तारीख है, ये April fool कर रही थी, पति कहते हैं वही तो मैं सोच रहा था, मेरी पत्नी ऐसे कैसी हो सकती है ? फिर से प्रेम हो गया, अब देखिए प्रेम कैसे अप-डाउन अप-डाउन गया ना ? स्वार्थ के अनुसार यह सारा संसार, स्वार्थ सिद्धि का रंगमंच है https//www.youtube.com/watch?v=TlPcuZAXFRg&t=303 5 अब संसार में तो आप देखते हैं, एक दुकानदार तो आप expect करते हैं भई स्वार्थी है, वह अपनी दुकान को सजाता है, सफेद चादर लगाता है, ट्यूबलाइट लगाता है, और दिल्ली मुंबई कोलकाता चेन्नई सूरत से सब जगह से समान लाकर रखता है, और फिर सुबह बजे खड़ा हो जाता है, आप वहां से गुजर रहे हैं, आइए आइए आइए, इतना सम्मान कर रहा है जितना अपने दामाद का भी नहीं करता है, आप ने कहा ना जान ना पहचान इतना सम्मान ये कोई महापुरुष है ? दुकानदार जी, यह मार्केट में चप्पल की दुकान कौन सी है ? देख नहीं सकते हो मेरी कपड़े की दुकान है, वैराग्य हो गया, आपकी तो कपड़े की दुकान है, मुझे चप्पल चाहिए पहली बार आया हूं जरा गाइड कर दो टाइम नहीं है, आगे जाओ, आप फिर से प्रेम उत्पन्न करना चाहते हैं, अच्छा कपड़ा मुझे भी तो चाहिए था, 25 मीटर Terrycot, आपके यहाँ मिलेगा ? हाँ जीं फिर से प्रेम हो गया अब अंदर गए उसने एक थान वहां पर रखी, दूसरी थान तथा तीसरी थान, 25 थान वहां पर रख दिए, आपने कहा बस-बस क्या कर रहे हो, भई मुझे तो एक चाहिए, आप देख लीजिए, नहीं पसंद आएगा हम तय करके रख देंगे, हम आपके सेवक हैं कैसे सेवक हैं जब रेट की बात आई तब out हुआ, अच्छा इसका क्या रेट है यह तो Rs 265 per Metre, मैं 150 से अधिक नहीं दूंगा अजी साहब आप क्या बात करते हैं बोनी का समय है, मैं आपको Rs 225 per metre में दे दूंगा, नहीं बिलकुल मैं 175 से आगे नहीं जाऊंगा, अजी साहब हम आपके लिए mill rate लगा रहे हैं, 210 नहीं, मैं 180 आगे से नहीं जाऊंगा, अब देखा हिसाब नहीं बैठा ठीक है आगे जाओ, फिर से वैराग्य हो गया, यह दुकानदार का प्रेम तो अप-डाऊन अप-डाउन जा रहा है स्वार्थ के अनुसार https//www.youtube.com/watch?v=TlPcuZAXFRg&t=405 6 ऐसे ही संसार में, स्त्री पति, मां बाप, बेटा बेटी का प्रेम भी अप-डाऊन अप-डाउन जाता है, स्वार्थ के अनुसार, क्यों ? यह किसी के वश की बात नहीं है, हम सब आनंद ब्रह्म के अंश हैं, भगवान आनंद सिंधु (सागर) हैं, हम उनके अंश हैं इसलिए हम लोग भी आनंद चाहते हैं, वह आनंद अभी तक हमको मिला नहीं, तो आनंद के लिए हम प्रयत्नशील हैं, और अगर हम कहीं प्रेम करते हैं दूसरे के आनंद के लिए नहीं, मगर अपने ही आनंद के लिए करते हैं https//www.youtube.com/watch?v=TlPcuZAXFRg&t=541 7 “Verse” वेद व्यास कहते हैं कि अगर कोई विवाह करता है पुरूष, क्या वह पत्नी के सुख के लिए करता है ? अजी साहब, अपने सुख के लिए करता है, कोई स्त्री, पुरुष के सुख के लिए विवाह करती है? अजी साहब अपने सुख के लिए करती है, सब जीव अपने सुख के लिए प्रयत्न कर रहें हैं और ये करते जाएंगे, जब तक भगवान का आनंद नहीं मिलेगा, तो समझ जाओ यह संसार स्वार्थ सिद्धि का रंगमंच है, और कोई आप के सुख के लिए आप से प्रेम नहीं कर रहा है, जब यह निश्चय होगा ना तो ही वैराग्य होगा (और तभी आप भगवान की भक्ति कर पाओगे) https//www.youtube.com/watch?v=TlPcuZAXFRg&t=590 8 इसका मतलब यह नहीं कि आप मुंह पर उनको बोल दें, स्त्री जा के पति से कहे मैं समझ गई जी, आप तो स्वार्थी हैं, पति कहे मैं भी समझ गया, तुम बिल्कुल स्वार्थी हो, फिर तो महाभारत शुरू हो जाएगी, फिर स्वामी जी को दोष मत देना, हम कह रहे हैं कि भीतर से समझे रहिए कि यहां आपका कोई संबंधी नहीं, आपके संबंधी भगवान है, जो श्री कृष्ण यहां पर कह रहे हैं “verse” वह ऐसे संबंधी हैं कि उनसे हमारा नित्यस्य नाता है, नित्य, अनादि काल से हमारे अंदर बैठे हुए हैं, एक बॉल भर का भी अंतर नहीं, हमारी आत्मा में ही परमात्मा का निवास है https//www.youtube.com/watch?v=TlPcuZAXFRg&t=651 Transcript 1:19 यह वेद का ज्ञान है वृहदारण्यक उपनिषद Brihadaranyaka Upanishad 1:23 में कहा गया 1:26 “verse” 2:07 इतना बड़ा महत्वपूर्ण ज्ञान 2:11 और याज्ञवल्क्य ऋषि अपनी पत्नी मैत्री को 2:15 दे रहे हैं संन्यास लेते समय 2:18 वे कहते हैं इस संसार में कोई 2:22 स्त्री अपने पति के सुख के लिए उससे प्रेम 2:26 नहीं करती है अपने सुख के लिए करती है, कोई भी 2:30 पति, पत्नी के सुख के लिए उससे प्रेम नहीं 2:33 करता अपने सुख के लिए करता है, कोई भी बेटा 2:37 बाप के सुख के लिए बाप से प्रेम नहीं करता, 2:40 अपने सुख के लिए बाप से प्रेम करता है, कोई भी 2:43 बाप बेटे के सुख के लिए बेटे से प्रेम 2:46 नहीं करता, अपने सुख के लिए बेटे से प्रेम 2:48 करता है, 2:51 अब आप कहेंगे ऐसा है ? वेद कह रहा है 2:55 “verse” 3:02 आप संसार में किसी भी 3:07 स्त्री से पूछें 3:09 तो आप क्या चाहते देखो एक दिन तो दोनों 3:14 मरेंगे पति भी स्त्री भी आपकी क्या इच्छा है 3:17 पहले आप जाएं संसार से या पहले पति जाए ? तो 3:23 स्त्री कहेगी देखिए जी वह सौभाग्यवती 3:27 स्त्री का यह लक्षण होता है वह पति से 3:30 पहले मर गए 3:32 अब आप पुरुष हैं पूछें आपकी क्या इच्छा है ? 3:35 पुरुष कहेगा सौभाग्य वान वहीं पुरुष होता है जो 3:39 पत्नी से पहले चला जाए 3:43 यह सौभाग्य की बात नहीं है यह स्वार्थ 3:47 की बात है 3:48 कि वह इसलिए चाहती है पति से पहले मरे 3:53 क्योंकि अगर पति पहले चले जाएंगे उनसे 3:56 जो संरक्षण सुख सुरक्षा सामान मिल रहा था 4:01 वह बंद हो जाएगा 4:03 तो मैं पहले चले जाऊं मेरे बाद उनको कितना 4:08 भी कष्ट हो, इससे मतलब नहीं है 4:10 अगर वह पती का सुख चाहती तो कहती हे 4:14 भगवान मैँ इन के बाद मरूं ताकि अंतिम क्षण 4:18 तक इनकी सेवा कर सकूं क्योंकि आजकल बच्चे 4:22 तो पूछेंगे भी नहीं 4:24 बच्चे तो कह देंगे पिताजी रिटायर हो गए 4:29 जब Government ने रिटायर कर दिया Government ने 4:33 मान लिया कि अब पिताजी का दिमाग नॉर्मल 4:35 नहीं रहा तो बेटा क्यों न माने 4:38 अमेरिका में तो साल में एक दिन बस कार्ड 4:42 भेज दो हैप्पी फादर्स डे हैप्पी मदर्स डे 4:44 कर्तव्य पूरा 4:46 तो यह सब स्वार्थ की बात होती है 4:52 जितना स्वार्थ उतना प्रेम ऑटोमेटिक हो 4:56 जाता है स्वार्थ कम होता है, प्रेम भी कम हो जाता है 5:03 देखिए मान लो कि एक स्त्री 5:09 मजाक में एक पुरुष का नाम लिखे और 5:13 कहे चिट्ठी में हम तो तुम से प्रेम करते 5:17 हैं मेरे पति क्या हैं ऐसे ही हैं और वह 5:21 चिट्ठी अपने पति की टेबल पर रख दे 5:26 अब उसके पति देव आए ऑफिस से 5:30 चिट्ठी देखी 5:35 ठंडी सांस ली पत्नी ने कहा पति देव चाय 5:38 पी लीजिए 5:41 गुर्राते क्यों हैं चाय पी लीजिए, मैं सब समझ 5:44 गया 5:46 क्या समझ गए ? मुझे पहले doubt था तुम्हारे ऊपर 5:51 मेरी आंखों के सामने से get out 5:55 सारे का सारा प्रेम खत्म हो गया 6:01 Temperature इतना बढ़ गया इतना गुस्सा आ गया 6:05 इतने में 6:07 मां आई बेटा क्यों इतना नाराज हो रहा है, मम्मी देखो मुझे क्या मिला है 6:10 मम्मी कहती है 6:12 अरे तू तो बुद्धू बन गया तुझे याद नहीं कि अप्रैल की पहली 6:18 तारीख है, ये April fool कर रही थी 6:22 पति कहते हैं वही तो मैं सोच रहा था मेरी 6:25 पत्नी ऐसे कैसी हो सकती है 6:29 फिर से प्रेम हो गया अब देखिए प्रेम 6:32 कैसे अप-डाउन अप-डाउन गया ना ? 6:36 स्वार्थ के अनुसार यह सारा संसार 6:41 स्वार्थ सिद्धि का रंगमंच है 6:45 अब संसार में तो आप देखते हैं एक दुकानदार तो 6:51 आप expect करते हैं भई स्वार्थी है 6:54 वह अपनी दुकान को सजाता है सफेद चादर 6:57 लगाता है ट्यूबलाइट लगाता है और दिल्ली 7:01 मुंबई कोलकाता चेन्नई सब जगह से समान लाकर 7:04 रखता है सूरत से 7:07 और फिर सुबह 10:00 खड़ा हो जाता है 7:10 आप वहां से गुजर रहे हैं आइए आइए आइए 7:15 इतना सम्मान कर रहा है जितना अपने 7:17 दामाद का भी नहीं करता है 7:20 आप ने कहा ना जान ना पहचान इतना सम्मान 7:24 ये कोई महापुरुष है ? दुकानदार जी यह 7:27 मार्केट में चप्पल की दुकान कौन सी है ? 7:30 देख नहीं सकते हो मेरी 7:33 कपड़े की दुकान है, वैराग्य हो गया, 7:37 आपकी तो कपड़े की दुकान है, मुझे चप्पल 7:40 चाहिए पहली बार आया हूं जरा गाइड कर दो 7:42 टाइम नहीं है आगे जाओ 7:46 आप फिर से प्रेम उत्पन्न करना चाहते 7:48 हैं अच्छा कपड़ा मुझे भी तो चाहिए था 25 7:52 मीटर Terrycot, आपके यहाँ मिलेगा ? हाँ जीं 7:56 फिर से प्रेम हो गया 8:00 अब अंदर गए उसने एक थान वहां पर रखी 8:03 दूसरी थान तथा तीसरी थान 25 थान वहां पर रख 8:06 दिए आपने कहा बस-बस क्या कर रहे हो भई 8:09 मुझे तो एक चाहिए, आप देख लीजिए, नहीं 8:14 पसंद आएगा हम तय करके रख देंगे हम आपके सेवक 8:17 हैं 8:19 कैसे सेवक हैं जब रेट की बात आई तब out हुआ 8:22 अच्छा इसका क्या रेट है यह तो Rs 265 per 8:27 metre 8:29 मैं 150 से अधिक नहीं दूंगा 8:33 अजी साहब आप क्या बात करते हैं बोनी का 8:36 समय है मैं आपको Rs 225 per metre में दे दूंगा नहीं 8:39 बिलकुल मैं 175 से आगे नहीं जाऊंगा 8:42 अजी साहब हम आपके लिए मिल रेट लगा रहे हैं 8:44 210 नहीं, मैं 180 आगे से नहीं जाऊंगा अब देखा 8:49 हिसाब नहीं बैठा ठीक है आगे जाओ फिर से 8:52 वैराग्य हो गया 8:54 यह दुकानदार का प्रेम तो अप-डाऊन 8:57 अप-डाउन जा रहा है स्वार्थ के अनुसार 9:01 ऐसे ही संसार में स्त्री पति मां बाप बेटा बेटी 9:06 का प्रेम भी अप-डाऊन अप-डाउन जाता है 9:10 स्वार्थ के अनुसार 9:12 क्यों ? यह किसी के वश की बात नहीं है 9:16 हम सब आनंद ब्रह्म के अंश हैं 9:21 भगवान आनंद सिंधु हैं हम उनके अंश हैं इसलिए हम 9:25 लोग भी आनंद चाहते हैं 9:29 वह आनंद अभी तक हमको मिला नहीं 9:33 तो आनंद के लिए हम प्रयत्नशील हैं 9:39 और अगर हम कहीं प्रेम करते हैं दूसरे 9:44 के आनंद के लिए नहीं अपने ही आनंद के लिए 9:48 करते हैं 9:50 “Verse” 10:02 यह वेद व्यास कहते हैं कि अगर कोई विवाह करता 10:08 है पुरूष, क्या वह पत्नी के सुख के लिए 10:11 करता ? अजी साहब अपने सुख के लिए करता है कोई 10:16 स्त्री पुरुष के सुख के लिए विवाह करती है? अजी साहब अपने सुख के लिए करती है 10:21 सब जीव अपने सुख के लिए प्रयत्न कर रहें हैं और ये करते जाएंगे 10:27 जब तक भगवान का आनंद नहीं मिलेगा तो समझ जाओ यह 10:34 संसार स्वार्थ सिद्धि का रंगमंच है 10:39 और कोई आप के सुख के लिए आप से प्रेम नहीं 10:43 कर रहा है जब यह निश्चय होगा ना 10:47 तो वैराग्य होगा 10:51 इसका मतलब यह नहीं कि आप मुंह पर उनको 10:54 बोल दें स्त्री जा के पति से कहे मैं समझ 10:57 गई जी आप तो स्वार्थी हैं 11:00 पति कहे मैं भी समझ गया तुम बिल्कुल 11:02 स्वार्थी हो फिर तो महाभारत शुरू हो जाएगी 11:05 फिर स्वामी जी को दोष मत देना हम कह रहे 11:09 हैं कि भीतर से समझे रहिए कि यहां आपका कोई 11:13 संबंधी नहीं 11:15 आपके संबंधी भगवान है जो श्री कृष्ण यहां 11:20 पर कह रहे हैं “verse” 11:24 वह ऐसे संबंधी हैं 11:28 कि नित्यस्य नाता है उनके साथ, नित्य 11:34 अनादि काल से हमारे अंदर बैठे हुए हैं, एक बॉल भर का 11:39 भी अंतर नहीं, हमारी आत्मा में 11:43 परमात्मा का निवास है
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