हे गोविन्द मिलती मैं तुझको, पर तेरा पता मालूम नहीं
he Govind milti main tujhko par tera pata maloom nahin
हे गोविन्द मिलती मैं तुझको, पर तेरा पता मालूम नहीं
कुछ कहती अपनी और सुनती, पर तेरा पता मालूम नहीं
बेचैन है रोते रहते हैं,आँखों में फिर भी अश्क़ नहीं
हैं शिकवे और गिले कितने, होंठों पर आते लफ़्ज़ नहीं
तेरे सामने बैठ के मैं रोती, पर तेरा पता मालूम नहीं
हे गोविन्द मिलती मैं तुझसे, पर तेरा पता मालूम नहीं
सब सगे सम्बन्धी हैं यूँ तो ,पर इनमें कोई रस ही नहीं
हसरत तेरे दीदार की है ,पर इनमें कोई रस ही नहीं
कई जतन हरी कर देख लिए ,आशा की कली नहीं खिलती
अँधियारा ही अँधियारा है, दिल में कोई ज्योति नहीं जलती
जग छोड़ शरण तेरी आ जाती, पर तेरा पता मालूम नहीं
Vinod Agarwal Bhajan lyrics
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