Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj | Pravachan | Part 12
https://www.youtube.com/watch?v=ILfP-J-VH5M
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Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj Pravachan Part 12.mp4
6.46 तीन तत्व है जो अनादिकाल से सनातन है: 1. क्षर ब्रह्म (माया, जड़ प्रकृति), 2. अक्षर ब्रह्म (जीव आत्मा), 3. प्रेरक (शासक, नियामक ब्रह्म) - परमात्मा
8.22 उस परमात्मा में ध्यान करने से मन का मोह दूर हो जाता है और माया की निवृत्ति हो जाती है
9.18 हे मनुष्य, तुम्हें केवल ये तीन तत्वों का ज्ञान लेना है और कुछ जानना नहीं, जो जान रहे हो उसे भी भुला दो
9.33 तीन तत्व को ये भी बोलते हैं : एक भोक्ता (जीव आत्मा), एक भोग्य (माया) और एक प्रेरक (परमात्मा)
9.58 वेदों में ये भी कहा गया है की केवल एक ही तत्व है तीन नहीं, ये कहना भी सही है क्योंकि माया और जीव आत्मा दोनों ही परमात्मा की शक्तियां हैं
10.55 श्रीकृष्ण की दो शक्तियां हैं एक परा (श्रेष्ठ, Best, जीव आत्मा) और एक अपरा (निकृष्ट, Inferior, जड़), इन दोनों शक्तियों का शक्तिमान भगवान हैं, शक्ति और शक्तिमान में भेद नहीं होता इसलिए एक तत्व कह सकते हैं
11.32 और वेदों का ये कहना कि जीवात्मा और परमात्मा दो अलग अलग हैं, ये भी सही है
11.48 माया, जीवात्मा, परमात्मा तीनों अज (अजन्मा हैं, unborn), अनादी (beginning-less) हैं, ये भी सही है
12.02 अब उस प्रेरक ब्रह्म, परमात्मा भगवान श्री कृष्ण को कैसे प्राप्त किया जाए
12.50 प्रश्न : मनुष्य का क्या कर्तव्य है किसका स्मरण करे दोनों, किसका भजन करे, क्या सुने, क्या सोचे
13.47 उत्तर: 1. भगवान का श्रोतव्य, श्रवण (सुनना) अर्थात उनकी लीला, गुण, धाम, रूप, नाम का श्रवण 2. भगवान का कीर्तन भजन 3. स्मरण
14.07 मनुष्य के केवल यही तीन कर्तव्य है चौथा कुछ नहीं, वैसे भक्ति तो 30 प्रकार की है
14.22 & 15.28: सुख देव जी ने परीक्षित को कहा : इनमें से केवल तीन प्रकार की भक्ति आप करो यानि श्रवण, कीर्तन, स्मरण, क्योंकि आपको जल्दी ही भागवत प्राप्ति करनी है आपको 7 दिन में ही मरना है
14.37 श्रोतव्य (सुनना) महापुरुष के द्वारा सुनो, किसी ऐसे वैसे से मत सुनना, नहीं तो व्यर्थ सुनने से मन में शंकाएं पैदा हो जाएगी आप नास्तिक बन जाओगे
15.47 भगवान का स्मरण प्रमुख है
18.16 यदि कृष्ण भक्ति नहीं करेंगे तो पतन हो जाएगा