सपेरे को देखकर संत ने…
https://youtu.be/N5ezU_qTlmI 1 पंडित श्री गया प्रसाद जी महाराज एक बार गोवर्धन में कहीं जा रहे थे, तो कहीं से दो चार सपेरे घूम रहे थे , सपेरों ने नीचे धोती, ऊपर सिर पर स्फा और ऐसे चंदन लगा रखा था, भेष ऐसा था, मानो कोई भक्त वैष्णव हों https://youtu.be/N5ezU_qTlmI&t=0 2 उनको जैसे ही देखा पंडित श्री गया प्रसाद जी महाराज दंडवत करने लगे प्रणाम करने लगे, धरती पर लेट करके, तो संग में महापुरुष थे, उन्होंने कहा कि यह सपेरे हैं, संत नहीं हैं, गया प्रसाद जी ने कहा कि मुझको तो इनमें संत दिखाई दे रहे हैं https://youtu.be/N5ezU_qTlmI&t=41 3 जबकि हमारी स्थिति ऐसी है कि हमको तो श्रेष्ठ संत में भी कोई ना कोई कमी दिख जाती है https://youtu.be/N5ezU_qTlmI&t=87 4 जब तक आपको किसी दूसरे में दोष दिखाई देने बंद ना हो, तो अपने आप को भक्त मत कहलाइए, अपने आप को वैष्णव मत कहलाइए https://youtu.be/N5ezU_qTlmI&t=116 5 ना किसी के दोष पर घृणा करना, ना किसी के गुण पर रीझना (ताकि आपकी उसमें आसक्ती ना हो जाए), बस समत्व (equal, neutral) रहना, मगर शुरुआत गुण देखने से करिए https://youtu.be/N5ezU_qTlmI&t=144 6 जितना भी आप पूजा, पाठ, परिक्रमा, आरती करते हो, सबका फल यह है कि आपका स्वभाव बदले (आपका मन निर्मल हो यानी संसार का मोह छूटे), नहीं तो रावण जैसा कोई शिव उपासक नहीं था https://youtu.be/N5ezU_qTlmI&t=194
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