Sunday, October 3, 2021

Ravinandan Shastri ji Bhajan Sandhya Panipat 16-4-2010 Part 3

 

Ravinandan Shastri ji Bhajan Sandhya Panipat 16-4-2010 Part 3

 

https://www.youtube.com/watch?v=Rx9T_WebFwA

निर्मल मन जन सो मोहे पावा लेकिन कलयुग में किसका होगा निर्मल मन, हो ही नहीं सकता अथवा बहुत ही कठिन है, तो ऐसे में क्या उपाय है सुनिए God says I am obtainable easily by a mind which is pure, but who will have a pure mind in Kalyug, it is not possible or it is very difficult, so listen what is the solution in such a situation https://www.youtube.com/watch?v=Rx9T_WebFwA&t=0 You can also read the TRANSCRIPT (text version) of the same by clicking "..more" & "Show transcript". But the following Blog link has done several notable corrections in the above Transcript provided in the video & hence the following link is easier to read in text flow https://krishnabff.blogspot.com/2021/10/ravinandan-shastri-ji-bhajan-sandhya.html 3.56 यह मत समझना कि हम गृहस्थीं हैं कैसे भजन करें, अरे भाई भजन करेंगे (शुरू में चाहे जबरदस्ती करना पड़े) तो कामनाएं मिट जाएगी, तभी भजन में भी मन लगेगा https://www.youtube.com/watch?v=Rx9T_WebFwA&t=236 4.27 नाम रस मीठो रे, जब यह संत बुद्धि बन गई तो बेड़ा पार, मगर कब नाम मीठा लगेगा जब भक्तों के संग बैठोगे https://www.youtube.com/watch?v=Rx9T_WebFwA&t=267 5.04 यदि भजन आरंभ नहीं किया, चाहे जबरदस्ती, तो 100 जन्म भी लगे रहोगे भजन में, मन नहीं लग सकता क्योंकि संसार के विषय, विकार, कामनाएं मन से हटेंगे नहीं, केवल भजन से ही हटेगीं https://www.youtube.com/watch?v=Rx9T_WebFwA&t=304 7.06 हमें बाहर के दृश्य लुभावने क्यों लगाते हैं https://www.youtube.com/watch?v=Rx9T_WebFwA&t=426 8.37 धर्म अर्थ का मोक्ष निर्माण निर्वाण नहीं चाहिए https://www.youtube.com/watch?v=Rx9T_WebFwA&t=517 10.40 मैं तुम्हें देखे बिना उदास ही रहूं ,कोई दुनिया का नजारा मुझे प्रसन्न नहीं कर पाए, यह मांगिए, भगवान से https://www.youtube.com/watch?v=Rx9T_WebFwA&t=640 28.22 मेरा कान्हा भी तुझसे ही मशहूर है बदकिस्मत है वह जो तुझसे दूर है https://www.youtube.com/watch?v=Rx9T_WebFwA&t=1702 31.19 तेरी मस्ती का यही खजाना मिले, मैं जहां भी रहूं बरसाना मिले https://www.youtube.com/watch?v=Rx9T_WebFwA&t=1879 39:51 और श्यामा जी, जो जो मैंने गुनाह किए, उन गुनाहों की सजा तेरे चरणों में रहना सजा है मेरी     https://www.youtube.com/watch?v=Rx9T_WebFwA&t=2391 45:00 श्री मुकुंद हरि जी महाराज का एक किस्सा जब श्री ठाकुर जी ने स्वयं उनका हाथ पकड़कर भजन लिखवाया https://www.youtube.com/watch?v=Rx9T_WebFwA&t=2700 & भजन : https://www.youtube.com/watch?v=Rx9T_WebFwA&t=2856 55.17 जब जब सखी उदास होती, वो (कृष्ण) हमेशा मुस्कुराते हुए आए हाथ में बंसी, कुंडल कपोलन  (गाल,cheeks) पर झलक रहे हैं, जब उनकी गाल पर उनके कुंडल गिरते हैं, घुँघराली लट गिरती है और वो तिरछे से हाथ से, जब उसको पीछे की ओर करते हैं तो सखी के लिए यही अदा एक जीवन का धन बन जाती है https://www.youtube.com/watch?v=Rx9T_WebFwA&t=3317

          

 

Transcript

0:01

निर्मल मंजन सोम ही पावा मोहे कपट चल भाव

0:11

केवल [संगीत] निर्मल मैन वाले मुझे प्राप्त कर सकते हैं

0:16

चल कपट क्षेत्र वाले ने ये भगवान राम ने कहा था

0:22

श्याम सुंदर कहते हैं सरकार क्या निर्मल मैन होना अच्छी बात नहीं चल

0:28

कपट छिद्र से रहित होना अच्छी बात नहीं बोले बहुत अच्छी बात है लेकिन प्यारे

0:35

सामने कलयुग ए रहा है कहां से लगे निर्मल

0:41

कहां से लगे छल-क्षित्र कपट से रहित मनवा ले लोग

0:46

ऐसे लोगों को भी जो स्वीकार कर लेती है

0:52

हमारी लाडली अति ही भोरी

0:58

[संगीत] जन्म के [संगीत]

1:06

[प्रशंसा] किन्ना कभु

1:11

किशोरी [संगीत]

1:18

कैसे हुई चरण शरण कोई आवे

1:24

[संगीत]

1:30

भले ही दुनिया के दुख लेकर के कोई रो रहा हो किशोरी जी के सामने वो फिर भी यही

1:36

समझती हैं की मेरे लिए रो रहा है

1:43

कैसे हो चरण शरण कोई आवे

1:48

बिगड़ी कृपा करें करो की श्री गोपाल हिट

1:53

हरि स्वामी हरि स्वामी ए भैया शीश नवाब परी परी

2:05

[संगीत] राधा राधा

2:10

[प्रशंसा]

2:19

[हंसी]

2:42

किशोरी किशोरी राधे जय हो

2:48

[प्रशंसा] किशोरी राधे ओ मोहित तू भरोसा है तिहारो

2:57

की किशोरी राधे मोहे तो भरोसा

3:03

हरि किशोरी राधे [प्रशंसा]

3:10

जय हो [प्रशंसा]

3:24

[प्रशंसा] [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत]

3:33

और कवि ने उसकी कृपा पर भरोसा करते हुए बहुत प्यारे शब्द लिखे हुए

3:43

[संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] उनका

3:49

[संगीत]

3:56

विषय भजन नहीं करने देते यह कामनाएं भजन नहीं करने देतीं, यह हट जाएंगी फिर भजन करेंगे गलत निर्णय

4:04

ना ले बैठना प्यारे भजन बढ़ेगा विषय अपने आप समाप्त होंगे भजन बढ़ेगा कामनाएं संसार

4:13

की अपने आप समाप्त होगी भजन का सुख सर्वोपरि (most important) है  यह जिस दिन मन ने मान

4:20

लिया संसार के विषय पर फिर लंपट (lusty) होने की जरूरत पड़ेगी

4:27

नाम रस मीठा रे कोई पीवे संत सूजान ऐसी संत

4:32

बुद्धि जिस दिन बन गई नाम रस मीठा लगने लग गए सबको नहीं लगता

4:40

बाबा नानक ने लिखा प्रभु तेरा नाम मुझे फीका लगता था अच्छा नहीं लगता था लेकिन कब

4:47

मीठा लगने लगा मीठा जब रसिकन की संतों के संग में बैठा

4:55

तेरा नाम मुझे मीठा लगने लगे साध संग प्रभु लगे मीत

5:04

तो विषय खत्म हो जाएंगे विकार खत्म हो जाएंगे फिर भजन करेंगे अरे भैया 100 जन्म

5:10

लगे रहोगे बात बनने वाली नहीं भजन बड़े यह विकार

5:17

अपने आप समाप्त होंगे और कोई चारा नहीं भजन को प्राथमिकता

5:23

पुन: कहां रहे अवकाश विषय को

5:30

5:36

तेरा नाम जब नस नस में रमने लगेगा फुर्सत कहां रह जाएगी इन इंद्रियों को विषयों की

5:43

चाह कर भी, तेरे नाम में जब यह मन व्यस्त रहने लग

5:50

जाएगा तेरे नाम का मधुर स्वाद जब इसको लग जाएगा चस्का लग जाएगा

5:57

फिर क्यों ये इंद्रिय बाहर देखेंगीं [प्रशंसा]

6:05

समझ लेना ज़रा, दुनिया की जितनी भी सुंदरता है

6:12

लुभावनापन, जहां भी आपका मन लोभी हो के देखता है ध्यान रहे वह सब खजाना पहले से आपके अंदर

6:21

मौजूद है विज्ञान कहता है आंखें जो भी सब्जेक्ट

6:26

देखती हैं उसको मन के अंदर वह रिफ्लेक्ट करती है

6:33

आंख सुख नहीं ले सकती सुख कौन लेता है मन ही लेता है आंख केवल शीशा है

6:40

कैमरे ने फोटो खींची कैमरे को कोई मजा आ रहा है क्या फोटो खींचने का मजा तो आप तो

6:46

बाद में आएगा जब आप अपनी फोटो देखोगे आंख जो देख रही है वह आंख का सुख नहीं है

6:54

आंख उसे तस्वीर को उसे दृश्य को लुभावनेपन को भीतर भेजती है

7:00

और भीतर भीतर ने क्यों स्वीकार किया

7:06

भीतर को वह सुंदर क्यों लगा शीशे के ऊपर चांदी की परत थी तब फोटो बनी अगर वो परात

7:17

ना होती तो फोटो बनती ही नहीं इसका मतलब आपको कोई विषय अगर लुभा रहा है तो वो सुख

7:24

पहले से आपके भीतर मौजूद है अतः समुद्र की तरह अंश बाहर देख करके

7:31

क्यों लोभी हो रहा है प्यारे तेरे भीतर तो खजाना बैठा हुआ है पहले से

7:38

कोई विषय बाहर का सुख नहीं दे सकता अगर भीतर सुख नहीं है तो

7:46

बड़ा स्वादिष्ट भोजन हो लेकिन किसी मैन का बच्चा 104 बुखार में पड़ा हो उसको कहे तुम

7:54

कहो रोटी खा बहुत स्वाद है बहुत स्वाद क्या वो स्वाद ले पाएंगे क्योंकि भीतर का

8:02

सुख खत्म हो गया बाहर का सुख अपने आप खत्म मित्र

8:07

चुस्ती है तो बाहर से संतुष्टि कभी कहता है लाडली जुहू आपका नाम रस जब मेरे भीतर

8:15

छा जाएगा तो अवकाश कहां बचेगा फुर्सत कहां बचेगी ये मैन विषयों की ओर जेड

8:22

उन्हें कहां रह [संगीत] अवतार विषय को

8:31

है अब दास विषय को

8:37

चार पदार्थ

8:44

धर्म अर्थ काम मोक्ष

8:51

उसके नाम में भैया इतना रस है की धर्म अर्थ काम मोक्ष छूट जाता है bhartlal ने

8:57

कहा था रामायण में अर्थ एन धर्म ना कम रुचि गुणा चाहो निर्वाण नहीं चाहिए मुझे

9:03

धर्म अर्थ कम मोक्ष क्या चाहिए बोले जन्म जन्म रति राम पद यह वरदान ना आना

9:09

[संगीत] इस रस की पहचान धर्म भी

9:16

छूट के आग ही निज धर्म भारत जी ने कहा था मैं धर्म छोड़कर के भीख मांगने को तैयार

9:21

हूं अरे मेरे प्रभु के प्रेम की कोई भीख दे दो मुझे [संगीत] वही तो भरोसा है

9:29

तिहारो जी किशोरी राधे मोहे तो भरोसा

9:45

[प्रशंसा] [संगीत]

9:56

तुम कृपा लू सरकार हमारी

10:07

[प्रशंसा] [संगीत]

10:12

युवा खाली ना रहे हल्की हल्की ताली के साथ एक प्रार्थना

10:17

जाएंगे ही वृंदावन नगरी

10:27

मुझे रख लो अपने पास

10:34

अभी के दर्शन बिन

10:40

मैं हरदम रहूं उदास

10:48

दोनों अर्थ में अगर उदास हो तब भी का सकते हो नहीं उदास हो तो यही मैंगो शबी के दश

10:56

बिन में हर पाल रहूं उदास दुनिया का कोई नजर

11:02

मुझे खुशी ना दे सके मैं जब भी खुश हूं तुम्हें देख कर

11:08

मुझे जो भी प्रसन्नता मिले वो आपसे मिले क्योंकि आपसे जो मिलेगा वो शाश्वत होगा वो

11:14

सदा रहने वाला होगा युगल सभी के दर्शन बिन

11:20

[संगीत] मैं हर दम रहूं उदास

11:26

हर दम राहु [संगीत]

11:32

चरनन की रजनी

11:43

[संगीत]

11:50

परवाह नहीं किसी और की

11:57

परवाह नहीं किसी और [प्रशंसा] अगर तुम मेरी बन जाओ अगर तुम मेरी बन जाओ

12:09

घर तुम मेरी बन जाओ मेरी

12:15

matdao प्यारी करें तुम मेरी बन जाओ जी

12:24

छोड़ तू सब संसार के झगड़ा [प्रशंसा]

12:31

छोड़ डन सब संसार के झगड़ा

12:37

ऐसी लगन लगाव राधे

12:43

ऐसी लगन लगा वे ऐसी लगन लगाऊं

12:51

दमन तो तेरा पकड़ा है

12:57

श्री राधे दमन को तेरा पकड़ा है मेरी श्यामा कभी

13:07

ठुकराना ना मेरी शकल ठुकरा लाना मेरी समान

13:14

कभी ठुकराना कभी रुकना ना मेरी समा कभी ठुकराना

13:24

कभी ठुकराना किस कारणवश

13:30

मैं भूल जाऊं

13:36

किसी कारणवश में भूल जाऊं

13:41

पर स्वामी ने मुझे बुलाना मुझे बुलाना

13:48

[संगीत] है मुझे भूलना

13:53

मुझे बुलाना है मेरी क्षमा मुझे भूलना

14:00

मुझे बुलाना मैं तेरी हूं तुम मेरे हो मैं तेरी

14:07

हूं तुम मेरे हो यह नाता मेरा स्वीकार

14:13

करोगे डाटा मेरा स्वीकार करो ना ता मेरा

14:19

स्वीकार करो

14:25

आप स्वामी मैं हूं दासी आसमानी है

14:33

की नहीं आप स्वामी की मैं हूं दासी

14:43

अफवाह मिनी मैं हूं दासी [संगीत]

14:49

एक बार मुझे भी प्यार करो एक बार मुझे दे

14:56

दिया करो मुझे

15:02

प्यार करो आपकी

15:18

प्यारी जुम्मे आपकी निज महल दासी कीजिए

15:27

मैं और कुछ नहीं मांगती अब सेवा अपनी

15:32

दीजिए [प्रशंसा]

15:41

सुख दीजिए जो इच्छा हो कीजिए

15:50

जो इच्छा हो कीजिए

15:56

पर दूर एन कर से कीजिए दूर तक

16:02

[संगीत]

16:08

[प्रशंसा] [संगीत]

16:16

हमारी तुम मेरे

16:21

करो सरकार भगवान [संगीत]

16:29

सरकार हमारी

16:35

[संगीत] ओमकारा

16:44

हमारी [संगीत]

16:54

प्यारी करो प्यार करूं

17:01

प्यार करो या [प्रशंसा]

17:09

मेरा [प्रशंसा] रो किशोरी राधे प्यारी

17:20

करो [संगीत]

17:26

या किशोरी राधे मोहे तू भरोसा

17:31

[संगीत]

17:42

[संगीत] किशोरी राधे

17:50

किशोरी राधे किशोरी

18:32

[संगीत]

18:44

[संगीत]

18:58

[संगीत] [प्रशंसा]

19:07

कभी भी पकड़े जाओगे भैया बेईमान कभी भी पकड़ा जाएगा सावधान

19:14

लाडली समान किशोरी समान

19:32

खिलाड़ी समा की शादी

20:10

शाम [संगीत]

20:24

जय जय श्री राम [प्रशंसा]

20:30

जय श्री राम [संगीत] जय [प्रशंसा]

20:37

[संगीत] [प्रशंसा]

20:48

[संगीत]

20:54

तेरे रंग में रंगा

20:59

हर जमाना मिले

21:05

[संगीत]

21:12

तेरे रंग में रंगा हर ज़माना मिले

21:18

[संगीत]

21:24

सबको प्रार्थना है की यह भाव जरूर

21:30

अगर किसी भी तरह बरसाना से किशोरी जी के नाम से आपका रिश्ता है तो कोई जीव खाली ना

21:37

रहेगा जरूर तेरे रंग में रंगा

21:43

जमाना मिले [प्रशंसा]

21:50

मेरे से भाग कहां प्यारी जी के सब छोड़ छड़ करके तेरे चरणों में आकर के बैठ जाओ

21:57

ना जाने ये अभिलाषा कब किस जन्म में पुरी करोगी आप लेकिन अभी इतनी ख्वाहिश तो कर

22:05

सकता हूं की तेरे रंग में रंगा हर ज़माना मिले

22:15

[संगीत] मैं जहां भी रहूं बरसाना मिले मैं जहां भी

22:23

रहूं बरसाना मिले में जहां भी रहूं बरसात

22:30

मिले मैं जहां में रहूं बरसाना मिले तेरे

22:37

रंग में रंग जमाना मिले तेरे रंग में रंग

22:46

तेरे रंग में रंग जमाना मिले तेरे रंग में रंग

23:04

सन ले मैं जहां भी रहूं बरसाना मिला मैं

23:11

जहां भी रहूं बरसाना मिले मैं जहां भी

23:17

रहूं बरसाना मिले [प्रशंसा]

23:29

[संगीत] [प्रशंसा]

23:39

तेरा बरसाना राधे मेरी जान है तेरा बरसाना

23:45

राधे फिर जाने वो तेरा बरसाना राधे मेरी

23:51

जान है तेरा बरसाना है मेरी याद में मेरे

23:59

अरमानों की आन है शान है मेरे [संगीत]

24:07

गांव मेरे अरमानों की याद है शान है

24:14

[प्रशंसा] [संगीत] तेरी गलियों में तेरी गलियों पे जाकर ये

24:23

कुर्बान है तेरी गलियों में क्या कर के कुर्बान तेरी गलियों पे चांदनी कुर्बान है

24:33

तेरी गलियों में जाकर देखो इशारा

24:44

रहमत का इशारा नजर नाम मिले रहमत का इशारा

24:51

नजर मिले जहां भी हो मैं जहां भी मैं जहां

24:59

भी रहूं बरसाना मिले मैं जहां भी रहूं

25:05

बरसाना मिले जहां भी रहूं बरसाना मिले

25:13

[संगीत]

25:19

जमाना मिले तेरा

25:24

[संगीत] जहां भी मैं जहां भी रहूं बरसाना

25:35

मिले मेरा हो बरसाने में

25:44

जय हो [संगीत]

25:59

मैं तेरी मैन के गीत

26:06

गाने आया हूं मैंने

26:17

[संगीत]

26:26

करुणा जगत का सताया हूं मैं करने करना जगत

26:32

का सत

26:38

[संगीत] जगत का सताया हूं मैं गांव जो भी तेरा

26:46

अफसाना मिलेगा जो भी तेरा फ़साना में

26:56

मिलेगा जो भी तेरा फ़साना मिले

27:09

बरसाना मिले मैं जहां भी रहूं बरसाना मिला

27:15

मैं जहां भी रहूं बरसाना मिले

27:24

तेरे रंग में रंग जमाना मिले तेरे रंग में रंग

27:33

तेरे रंग में रंग जमाना तेरे रंग में रंग

27:41

मिले मैं जहां भी हो मैं जहां भी रहूं बरसाना मिले

28:04

[प्रशंसा]

28:22

ये जहां सारा एक तेरा ही नूर है मेरो कान्हा

28:36

भी तुझसे ही मशहूर है मेरा

28:45

कान्हा भी तुझसे ही मशहूर है मेरो कान्हा

28:51

से ही मशहूर है बद किस्मत

29:03

है जो तुमसे दूर है बद किस्मत है !

29:10

दूर है तेरे चरणों की रज में ठिकाना मिले

29:16

तेरे चरणों की रज में ठिकाना मिले तेरे चरणों

29:22

की रज में ठिकाना मिले फिर मैं जहां

29:32

भी हो मैं जहां भी रहूं बरसाना मिले

29:39

मैं रहूं बरसाना मिला मैं जहां भी रहूं बरसात

29:50

में तेरे रंग में रंगा हर जमाना मिले रंग

29:57

में रंग बरसाओ

30:09

[संगीत]

30:31

हान तेरी पायल तेरी पायल वंशी उनकी बजती रहेगी

30:43

वहां तेरी पायल बंसी उनकी बजती रहे

30:52

जोड़ी प्रीतम प्यारे जोड़ी प्रीतम प्यारे

31:01

तेरे रसिकन पर छाई ये मस्ती रहे

31:07

[प्रशंसा] [संगीत]

31:13

मस्ती रहे [संगीत]

31:19

और तेरी मस्ती का यही खजाना मिले

जहां

31:39

भी मैं जहां भी मैं जहां भी रहूं बरसाना

31:46

मिले मैं जहां में रहूं बरसाना मिले जहां

31:52

भी रहूं बरसात

32:02

[प्रशंसा]

32:15

जय हो श्याम

32:33

[संगीत]

32:44

[संगीत] यह विनती सन लीजिए

32:56

श्री वृंदावन वास कृपा कर

33:01

[संगीत]

33:15

नवल किशोरी दी के प्यारी नवल किशोर

33:21

[संगीत]

33:28

मांगना सेवा [प्रशंसा]

33:39

[प्रशंसा] भरपूर स्वामी चरण सखी अपनी जय हो चरण साकी अपनी के

33:51

श्यामा यह

33:59

[संगीत] बिनती सन लीजिए

34:12

[प्रशंसा] जय हो

34:17

[प्रशंसा]

34:24

तेरे रस को की सजाती रहे डोलियां तेरे रस्मों की सजाती रहे मैन

34:34

तेरे रस को की सजाती रहे डोलियां तेरे रस को

34:39

सजाती रहे दुनिया कभी सावन कभी जाएंगे

34:45

गोलियां कभी सावन कभी ना आएंगे हान कभी सावन कभी जाएंगे

34:54

गोलियां सावन का विवाह नाचे कान्हा के संग काना की कोरिया ना

35:04

गाना

35:14

[प्रशंसा] [संगीत]

35:26

तेरे नाम का हर मस्ताना मिले तेरे नाम का

35:32

हर मस्ताना में जहां भी मैं जहां भी

35:40

रहूं बरसा

35:49

ना बरसाना मिले या मीरा हो बरसाना मिलन मैं

35:57

जहां भी रहूं बरसाना मिले जहां भी रहूं

36:03

बरसा मिले [संगीत]

36:11

[प्रशंसा]

36:22

[संगीत] तो सबका ख्वाब सुबह की तस्वीर

36:30

हो जाए [प्रशंसा] तेरी बंकी

36:36

अदा की कुछ ऐसी हो जाए

36:42

तेरी बंकी अदा की कुछ ऐसी तासीर हो जाए की

36:50

जिस शहर पे भी नजर डालो तेरी तस्वीर हो

36:55

जाए कभी बरसे तुम्हारी रहमत

37:04

[संगीत]

37:11

कभी बरसे तुम्हारी रहमत

37:16

पहले से मधुबन में तुम्हें देखूं तड़प

37:22

जाऊं और मेरी आंखें हो जाए तुम्हें देखूं

37:30

तड़प जाऊं मेरी याद हो जाए

37:38

[संगीत] तू सदा तू सदा प्यारी

37:51

तू सदा खुश रहे यह दुआ है मेरी वो सदा खुश

37:57

रहे दुआ है ये दुआ है मेरी तू सदा

38:08

खुश है मेरी बरसाना भले यह सदा है मेरी

38:14

बरसाना बने

38:23

विश्व स्वरों भूमि भारत के कण-कण पे [प्रशंसा]

38:30

ए जी विश्व स्वरों भूमि भारत के कण-कण में भारत को

38:42

ब्रज के परिहार सैन पे स्वर्ग गोविंदा

38:55

वृंदावन वृंदावन

39:12

एक मनमोहन कृष्ण पे हरे कृष्ण को वारो की किशोरी

39:28

मैं कृष्ण हूं मुबारक [संगीत]

39:41

[प्रशंसा]

39:51

और श्यामा जी, जो जो मैंने गुनाह किए उन गुनाहों की सजा

39:59

तेरे चरणों में रहना सजा है मेरी रवि तेरी रज का सदा

40:10

ही दीवाना रहेगा

40:16

[संगीत]

40:23

[संगीत]

40:57

हर जमाना मिले रंग में रतार जमाना मिले

41:04

मैं जहां भी नबी मैं जहां भी रहूं बरसा मिले तो हम भी

41:14

रहूं बरसाना मिले राधे राधे राधे

41:20

राधे राधे राधे राधे

41:25

राधे राधे [प्रशंसा]

41:33

राधे राधे [संगीत] [प्रशंसा]

41:40

जय राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे

41:51

राधे राधे राधे राधे राधे राधे

41:57

राधे राधे राधे

42:04

राधे राधे राधे राधे राधे

42:09

राधे राधे राधे राधे राधे

42:19

[संगीत] राधे राधे राधे

42:26

राधे राधे राधे राधे राधे

42:37

राधे राधे राधे राधे

42:45

राधे राधे [हंसी]

43:20

[हंसी]

43:35

[प्रशंसा]

43:42

राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे

43:56

[प्रशंसा] घबरा क्यों बावरी

44:04

[संगीत] आएंगे

44:11

चित चोर [संगीत]

44:17

नंद नंद [संगीत]

44:27

borasiya नवल किशोर

44:37

रसिया नवल किशोर

44:45

नील मणि कुंज बिहारी

45:00

श्री मुकुंद हरि जी महाराज

45:07

रामकृष्ण हॉस्पिटल वृंदावन में दाखिल द 104 बुखार से कम नहीं हो रहा था

45:15

[संगीत] बहुत दवाई की

45:23

जो भी वृंदावन में मिल साकी हर दवाई बढ़िया से बढ़िया उनको दी गई आराम नहीं आया 103 104 103 104

45:34

सुबह-सुबह डॉक्टर आया कहा स्वामी जी मेरे पास यहां जो दवाइयां थी मैंने सब प्रयोग

45:40

कर ली अब तो दावा दिल्ली से मंगवानी पड़ेगी

45:45

मैं यह दावा लिख दिए जा रहा हूं और आप शीघ्र किसी को भेज करके दिल्ली दवा

45:52

मंगवा लीजिए में शाम को आऊंगा बता दूंगा कैसे कम क्या खाना है

45:58

ठीक है डॉक्टर ने दवाइयां लिखी और पर्ची

46:03

मेज पर रख दी और पता नहीं क्यों गलती से पेन भी उसके

46:10

ऊपर रख दी उसने छूट गई उससे डॉक्टर चला गया

46:22

स्वामी जी के मैन में एक चिंता आई की 104 बुखार उतर नहीं रहा डॉक्टर कहता है

46:28

कोई दावा असर नहीं कर रही इसका क्या अर्थ है [संगीत]

46:36

कहीं समय तो नहीं हो गया मेरा जो उद्देश्य था वह तो भी पूरा नहीं हुआ

46:43

मुझे देखना है उसे मुझे उसकी लीला का भागीदार बन्ना है मुझे भी उसके साथ मटकी

46:50

फोड़ने जाना है [संगीत]

46:56

गया तो वो मेरी अभिलाषा क्या की संजॉय हुई कैसे पूर्ण होगी

47:02

हृदय से एक आवाज़ आई प्रेरणा हुई मानो ठाकुर जी ने स्वयं

47:09

उन्हें हिम्मत दी बाल दिया उठ कर के बैठ गए दरवाजा बंद कर लिया डॉक्टर की राखी हुई

47:16

कलम पर और कागज के पिछले तरफ पूरा पन्ना खाली था

47:22

स्वामी जी ने हृदय की आवाज़ को ठाकुर जी की प्रेरणा को लिखना शुरू कर दिया

47:29

यह भजन मैं कहूंगा स्वामी जी ने नहीं लिखा ये भजन ठाकुर जी ने स्वयं उनका हाथ पकड़

47:36

कर के लिखा घबरा क्यों बावरी

47:46

[प्रशंसा] [संगीत]

47:51

[हंसी] [संगीत] नंद नांदुर

48:00

[संगीत]

48:09

रसिया नवल किशोर

48:16

रसिया नवल किशोर [संगीत]

48:23

नीलमणि कुंज बिहारी

48:30

करुणा सिंधु बेग सुनेंगे

48:37

पैर हमारी फिर देंगे दर्शन डालो

48:49

फिर देंगे दर्शन दाना

48:57

[संगीत] बैठी रन जलाया

49:02

तोहे देंगे दर्शन डैन बैठी रहती पूजा

49:09

[संगीत]

49:18

बावरी क्यों घबरा

49:24

तेरी यादें होंगे [हंसी]

49:32

क्यों घबरा और स्वामी जी की वो कलम हम सबको हौसला दी

49:39

गई क्यों धीरज कोई

49:44

जाती है क्यों धीरज कोई

49:50

जाती है [संगीत]

50:02

आशा रख पगली आएंगे

50:09

अपने आशा रख पगली

50:15

आएंगे आशा रखते हैं

50:28

[संगीत] दुनिया

50:37

[संगीत] [प्रशंसा]

50:42

[हंसी]

50:51

आएं श्याम सुंदर

51:09

makraakhit कुंडल झलक के मथुरा के कुंडल

51:16

छलकत ही तिरछी चित बन से मुस्कुरा

51:23

[प्रशंसा] दो कलियों का

51:29

यौवन शर्मा तेरे गलियों का योग

51:35

शरमाते घूंगराली अलके बिखरा तेरा

51:44

[प्रशंसा] [संगीत]

51:54

[संगीत]

52:11

[संगीत] रसिया आए [संगीत]

52:39

होरी के रसिया आएंगे

52:44

रसिया आएंगे और तैयार रहना एक दिन फिर वो

52:50

तुम्हें आवाज़ देंगे गौरी कुंदन में आज मची होरी

53:02

ए गुंजन में आज मची होरी

53:08

तू कहां बैठी मांग सवारी

53:14

तू कहां पे मांग सवारी [संगीत]

53:23

तो सन ले गैप दूध का रे

53:28

उठ सजनी

53:33

उठ सजनी चल फाग खेल ले उठ सजनी चल फाग खेल

53:41

ले तेरो है पुकारे

53:48

पुकारे नारायण

53:54

तब बात है तेरी

54:01

[संगीत] गोरी गुंजन में आज मची होरी

54:09

तू कहां बैठी मांग सवारी

54:16

के रसिया [संगीत] होरी

54:23

सी आया आएंगे रसिया

54:37

[प्रशंसा]

54:43

[संगीत]

54:57

[संगीत]

55:03

[प्रशंसा] [संगीत]

55:17

जब जब सखी उदास होती, वो (कृष्ण) हमेशा मुस्कुराते हुए आए हाथ में बंसी

55:22

[संगीत] [प्रशंसा] कुंडल कपोलन

55:28

झलक रहे हैं जब उनकी गाल पर उनके कुंडल गिरते हैं, घुँघराली लट गिरती है

55:36

और वो तिरछे से हाथ से जब उसको पीछे की ओर करते हैं तो सखी के लिए यही अदा एक जीवन

55:44

का धन बन जाती है अंदाज़ भरी पहचान लिए

55:51

अंदाज पहचान लिए कुछ सुंदरता का मान लिए

56:14

तेरी नखरों का तूफान लिए, हंस्ते हंस्ते दिल छीनेंगें

56:48

[संगीत] भूली हुई याद दिलाएंगे, आशा रख पगली वो आयेंगे

56:54

कोई याद दिलाया [संगीत]

57:13

[संगीत] [प्रशंसा]

57:26

[प्रशंसा] देखना एक दिन फिर

57:32

मैया होगी लोरी होगी

57:40

सो जा सो जा तुझे मैया सुलाती है

57:48

तुझे लोरी सुनाती है सो

57:55

जा सो जा तुझे मैया

58:02

तुझे लोरी सुनाती है मैया होगी

58:14

लोरी होगी माखन होगा चोरी होगी

58:34

काले (कृष्ण) होंगे गोरी (राधा) होंगी , छीना झपटी जोरी होगी

[संगीत]

58:38

[प्रशंसा] [संगीत]

58:50

[संगीत]

58:58

[प्रशंसा] [संगीत]

59:03

गलियों में माखन बिखरेगा, ग्वाले मौज मनाएंगें

59:14

[संगीत]

59:20

[प्रशंसा]

59:26

[संगीत] [प्रशंसा] [संगीत]

59:40

[संगीत]

Standby link (in case youtube link does not work):

Ravinandan Shastri ji Bhajan Sandhya Panipat 16-4-2010 Part 3.mp4

Saturday, October 2, 2021

गीता की सबसे Important सीख - कैसे करें भगवान की शरणागति? - by Kripalu ji maharaj

  गीता की सबसे Important सीख - कैसे करें भगवान की शरणागति?  https://youtu.be/boov2h0h-_I Some important points are :   1 मन का कर्म ही कर्म है, साथ में इंद्रियां हों या ना हों https://youtu.be/boov2h0h-_I&t=251 2 *एक ही मन के दो स्वरूप हैं, एक है मन और एक है बुद्धि* *There are two forms of the same mind, one is mind and one is intellect*. https://youtu.be/boov2h0h-_I&t=396 3 *आनंद नगर किधर है, यह हमारे शरीर रूपी रथ को नहीं पता* *The chariot in the form of our body does not know where Anand Nagar is*. Anand Nagar = the place where we can find eternal bliss https://youtu.be/boov2h0h-_I&t=850 4 *ये हमारा भ्रम है कि संसार में सुख इसलिए नहीं मिला क्योंकि मेरी बीवी खराब मेरा पति खराब, वास्तव में संसार में सुख है ही नहीं* *This is our illusion that we did not get happiness in the world because my wife is bad, my husband is bad etc., in reality there is no happiness in the world*. https://youtu.be/boov2h0h-_I&t=1008 5 *भगवान की शरण में कैसे जाना है: जैसे संसार की शरण में गए बस वैसे ही, बस इतना ही बुद्धि में बैठ जाए कि संसार हमारा नहीं है, केवल भगवान हमारा है* *How to take refuge in God: Just like you took refuge in the world, just let it settle in your mind that the world is not ours, only God is ours*. https://youtu.be/boov2h0h-_I&t=1020 6 *बीवी पति से आनंद चाहती है, पति बीवी से आनंद चाहता है,  हैं दोनों भिखारी आनंद के, मगर यह नहीं मालूम कि आनंद केवल भगवान के यहां मिलता है* *Wife wants pleasure from husband, the husband wants happiness from the wife, both are beggars of happiness, but they do not know that happiness is found only in God*. https://youtu.be/boov2h0h-_I&t=1208 7 *असल मकसद है शरणागत, भजन का मतलब होता है सेवा, हम असमर्थ, उस समर्थ की कैसी सेवा करेंगे, हम तो शरणागत होते हैं, सेवा भगवान करते हैं* *The real aim is to surrender, the meaning of bhajan is service, how can we, incapable ones, render service to the Capable (God) ; actually we simply surrender ourselves, God does the "service"*. https://youtu.be/boov2h0h-_I&t=1551 8 *यदि हम संसार के शरणागत हैं तो भगवान हमारी परवाह नहीं करते मगर यदि भगवान के शरणागत हैं तो भगवान हमारी रखवाली, योग क्षेम करते हैं, जैसे एक छोटे बच्चे की मां करती है* *If we are surrendered to the world, then God does not care about us, but if we are surrendered to God, then God takes care of us and takes care of us, like a mother does to a small child*. https://youtu.be/boov2h0h-_I&t=1590 योग क्षेम explained at https://vedabase.io/en/library/bg/9/22/ ----------------------

Transcript 0:00 श्याम श्याम 0:03 शरण गहू (जाओ) रे मन 0:11 एक तत्वी (a wise) व्यक्ति  0:13 अपने मन से कहता है 0:17 मन 0:20 राधा कृष्णा की शरण में जा 0:25 भगवान की शरण में जा 0:33 शरण में जाने के लिए मन को कहता है 0:40 आत्मा को नहीं कहता शरीर को नहीं कहता 0:44 इंद्रियों को नहीं कहता मन को कहता है 0:51 श्री कृष्णा की शरण में 1:00 कर्म का करता 1:02 मन माना जाता है 1:20 मन का अटैचमेंट हो 1:25 फिर चाहे कर्म हो चाहे ना हो 1:31 कर्म ही है 1:34 यानी मन प्लस इंद्रिय 1:38 यह भी कर्म है और केवल मन का attachment 1:43 हो ये भी कर्म 1:47 है इसको हम पुण्य पाप कहते हैं जिसे अच्छा बुरा कहते हैं, यदि केवल मन से हो इंद्रियों से नहीं या मन और इन्द्रियों दोनों से हो 1:59 तो उसका भी वही फल जैसे हमने किसी के 2:04 खिलाफ सोचा बदमाश 2:08 उसे भी का दिया तुम बदमाश हो 2:14 गधे हो, यानी केवल मन से सोचा कहा नहीं या कह भी दिया, ये दोनों पाप कर्म बराबर हैं भगवान की दृष्टि में 2:24 इतने मर्डर कर डाला अर्जुन ने, हनुमान जी ने  2:28 हजारों लाखों ब्रह्म हत्या ब्राह्मण की कर 2:32 डाला 2:34 लेकिन वह इंद्रियों का कर्म है उसमें मन का 2:37 attachment नहीं था, मन का attachment तो राम में था 2:43 इसलिए इंद्रियों के कर्म को नहीं लिखा गया ना 2:48 उसका कोई फल दिया गया 2:54 मन का कर्म ही 2:56 ईश्वर के यहां कर्म माना जाता है और संसार 3:00 में क्योंकि 3:02 मनुष्य अल्पज्ञ है इसलिए इंद्रियों के 3:06 कर्म को कर्म माना जाता है 3:11 लोग जो मुंह से बोल दे जो हाथ से पैर से जो 3:16 क्रिया कर दे, उसी को संसार में कर्म मान लेते हैं क्योंकि अल्पज्ञ हैं 3:21 उसके मन की मंशा क्या है, ये नहीं मालूम, मगर जैसे April Fool में या ससुराल की गाली चुभती नहीं क्योंकि मन की मंशा खराब नहीं है 3:50 अगर उन्हीं गलियों में से एक गली 3:55 कोई दूसरा आदमी दे दे 3:58 तो चिंतन कर कर कर के हम पागल हो जाते हैं 4:02 खून सुखा लेते हैं हेल्थ खराब कर लेते हैं 4:06 आत्मा की शक्ति बर्बाद कर लेते हैं 4:09 शत्रुता करके 4:12 मन का कर्म ही कर्म है साथ में 4:15 इंद्रिय हो या ना हो 4:20 खाली आप भगवान का चिंतन करो मन से और 4:23 प्यार करो मन से एक बार राम मत कहो 4:26 कृष्ण मत कहो भागवत प्राप्ति हो जाएगी अब 4:30 अनंत बार राम राम श्याम श्याम करो और मन 4:35 का attachment संसार में हो तो मरने के 4:37 बाद संसार मिलेगा 4:40 यही गीता है पुरी गीता एक लाइन में भगवान 4:45 ने कह दिया, सदा सर्वदा मेरा 5:03 मन से स्मरण कर 5:07 और हाथ पैर आदि इंद्रियों से युद्ध कर 5:14 तो पाप नहीं लगेगा 5:16 मार डालने का 5:18 डर गया अर्जुन 5:21 इंद्रियों से हम मर्डर करेंगे इतने लाखों 5:24 करोड़ के इसमें हमारे बड़े पूज्य 5:28 रिश्तेदार भी हैं, इसमें मुझे पाप तो लगेगा 5:31 भगवान ने कहा पापा नहीं लगेगा, क्योंकि तेरा मन तो मुझमें लगा है, पाप और पुण्य तो मंशा (यानी जो मन ने सोचा) से होते हैं 6:18 इसलिए मन को समझाना चाहिए की श्यामा श्याम के शरण में जाओ 6:29 मन दो प्रकार का होता है एक का नाम मन 6:33 एक का नाम बुद्धि 6:36 एक ही मन के दो स्वरूप हैं 6:39 पहले हम चिंतन करते हैं संकल्प विकल्प 6:43 कहते हैं उसको 6:45 फिर उसके बाद decision होता है निश्चय (जो बुद्धि करती है) 6:51 तो जो संकल्प करता है 7:03 पुरुष है 7:06 यह पुरुष है की स्त्री है यह मन करता है 7:15 फिर बुद्धि निश्चय करती है अरे इसकी तो दाढ़ी है इसलिए  यह पुरुष है 7:20 मन और बुद्धि 7:24 एक ही मन के दो रूप में 7:35 अर्जुन ने पहले अध्याय में कहा कि मैं आपकी शरणागत हूँ 7:44 हमको बताओ 7:47 यानी मन का attachment है श्रीकृष्ण में 7:51 लेकिन बुद्धि क्या कहती है अर्जुन की इनको 7:56 मारेंगे तो पाप होगा इनकी स्त्रियां विधवा 7:58 होगी मैं ऐसा पाप नहीं करना चाहता नहीं 8:01 करूंगा हथियार छोड़के बैठ गया check 8:06 तो भगवान ने कहा देख तुम मुझको मन भी दे दे 8:15 बुद्धि भी दे दे तब शरणागति होगी complete 8:19 अगर अपनी बुद्धि लगाएगा, तो मन उसी के अनुसार चलेगा 8:24 तो फिर लक्ष्य कैसे प्राप्त होगा जैसे 8:30 हम इंग्लिश पढ़ने जा रहे 8:34 और 8:35 मास्टर ने कहा, लिखो knife, हमने लिख दिया nife    8:44 पहले k होता है 8:56 क्यों क्यों करता है इस language का यही 8:59 नियम है इसमें तमाम साइलेंट होते हैं वह 9:02 सब जानना पड़ेगा 9:03 लिखो बोलो मत 9:07 इस भाषा का नियम है 9:16 चलाया है परंपरा से फॉलो करो बुद्धि ना 9:21 लगाओ 9:22 डॉक्टर ने कहा देखो दो बूंद दवा एक चम्मच 9:26 पानी में दाल के पी लेना 9:30 तो बुखार उतार जाएगा 9:53 हम बुद्धि को प्रथम आगे रखते हैं 9:56 वही अच्छा करे वही बुरा करे उसी का 9:59 Decision 10:01 एक लड़का जा रहा है स्कूल 5 बरस का, गर्म गर्म जलेबी देखा 10:09 मन कर गया 10:11 खाने को मुंह में पानी ए गया 10:20 लेकिन 10:22 जब में पैसा नहीं 10:41 चलो 10:43 आगे बढ़ो स्कूल चलो, आपका मन पचासों बार अच्छे बुरे विकल्प जनता है मगर बुद्धि रोक देती है 11:30 साहब ने डांटा नौकर को बदतमीज गधा बेवकूफ 11:34 देर में आया 11:36 10:30 बजे 11:38 उसका मन कर रहा है तू भी कह दे कि तुम भी 11:41 आते हो 12 बजे 11:45 सर्विस से निकाल दिए जाओगे 12:21 इसलिए 12:27 तो बुद्धि main है तो भगवान ने कहा अर्जुन, मन और बुद्धि दोनों मुझे दे दे, तब शरणागति 12:36 Complete होगी 12:41 देखो एक philosophy समझ लो 12:45 एक रथ है उसमें घोड़ें हैं 12:57 और घोड़ों के मुंह से एक लगाम रस्सी है, एक ड्राइवर है हांकने वाला और एक मुसाफिर बैठा है 13:15 गरीब लोग चलते हैं रिक्शे में टांगे में 13:20 ऐसे ही ये शरीर एक रथ है, हमारी इन्द्रियां घोड़े हैं 13:50 और वह घोड़ा के मुंह से जो रस्सी है लगाम 13:53 वो मन है 13:56 और जो ड्राइवर है वो बुद्धि है 14:00 और जो मुसाफिर है वो आत्मा है 14:05 आत्मा कहती है तांगा हमारे घर ले चलो 14:10 सारथी पूछता है कहां है तुम्हारा घर 14:15 आनंद नगर में 14:17 प्रेम नगर में 14:20 कहां है आनंद नगर यह हमको नहीं मालूम 14:27 सब लोग इधर जा रहे हैं संसार की ओर, इधर ही होगा 14:34 दो दिशा है एक भगवान 14:44 की और दूसरी संसार की ओर, सभी लोग तो संसार की ओर ही तो जा रहे हैं, केवल दो चार जा रहे हैं भगवान की ओर इसलिए आनंद नगर संसार की तरफ ही होगा 14:48 चलो 14:52 हमारा शरीर रूपी रथ घूम रहा है 84 लाख योनियों में अनंत कोटी 14:56 ब्रह्मांड में अनादि काल से 14:59 अनंत जन्म बीत गए 15:03 जहां-जहां बुद्धि ले जाकर तांगा खड़ा करती 15:06 है वहीं आत्मा कह देती है यहाँ नहीं है 15:09 हमारा आनंद नगर 15:12 जब भगवान का द्वारा मिल जाएगा 15:16 अनंत आनंद वाला तब आत्मा कह देगी बस बस 15:20 तांगा रॉक दो ये आ गया हमारा घर 15:26 तो main  बुद्धि है ड्राइवर 15:30 कोई एक्सीडेंट accident होगा तो ड्राइवर पिटेगा 15:35 रस्सी नहीं पिटेगी 15:41 क्योंकि वही चलाता है तो बुद्धि main है इसी 15:46 बुद्धि ने हमको अनादि काल से अब तक बर्बाद 15:49 किया क्योंकि बुद्धि ने कहा संसार में सुख 15:51 है 15:53 अच्छा लोगों से पूछ ले क्यों जी आप तो 15:56 करोड़पति है आपको सुख मिला 15:59 अजी नहीं, बड़ी टेंशन है, परेशान हैं, अरब पति से पूछा वो बोला नहीं मैं तो गोली खा के सोता हूँ रोज़ 16:10 जब अरबपति लोग ऐसा कह रही है की सुख नहीं है, तो फिर हम लखपति बनने को परेशान 16:14 क्यों हैं 16:16 दो रोटी मिल रही है हां वो तो ठीक 16:19 है 16:21 दो रोटी का इंतजाम है हां है तो साधना 16:25 करो क्यों संसार में मर रहे हो 16:28 आप ठीक कहते हैं महाराज जी लेकिन ऐसा 16:31 है कि करेंगे 16:36 आयेंगे वृंदावन, बस ऐसे ही बहाना कर देता है क्योंकि मन संसार को शरणागत है 16:48 बुद्धि बार-बार यही कहती है संसार में सुख 16:51 है हमको नहीं मिला हमारी माँ खराब हमारा 16:54 बाप खराब हमारी बीवी खराब हमारा बेटा खराब 16:57 है हमारा पति खराब 17:00 वो बात अलग है लेकिन संसार मैं सुख है (ये बुद्धि भ्रम में कहती है), तभी तो सभी भागे जा रहे हैं संसार की तरफ 17:15 इसलिए मन को 17:19 हिदायत करता है,  हे मन जगत की शरण में नहीं जा और अगर जा चुका है 17:25 तो अबाउट टर्न about turn (U turn) कर ले, 17:34 भगवान की शरण में हो जा 17:37 मगर भगवान की शरण मैं कैसे हुआ जाता है 17:40 पूछती है बुद्धि भगवान की शरण में कैसे जाया 17:44 जाता है, जैसे ही संसार की शरण में गया है 17:47 वैसे ही भगवान की शरण में जाना है बस 17:51 कुछ नया नहीं लिखा है वेद शास्त्र में 17:54 चैलेंज है हमारा 17:59 जैसे हमारी ये इंद्रियां संसार के पाने 18:03 के लिए व्याकुल हैं ऐसे ही श्यामा श्याम के 18:07 पाने के लिए व्याकुल हो जाएं बस हो गया 18:14 और कोई बात नहीं 18:15 खाली बुद्धि में बैठ जाए यह (संसार) हमारा नहीं है 18:19 वो (कृष्ण) हमारा है 18:20 18 साल 20 साल की उम्र तक लड़की ने बाप के 18:24 घर को घर माना और बाप के एक-एक समान में 18:28 अटैचमेंट था उसका 18:30 शादी होते ही पति के घर जाते ही, वैराग्य हो गया 18:37 मायके से, ससुराल के हर समान में अटैचमेंट 18:41 हो गया रात को चोरी हो गई रो रही है क्या 18:44 हुआ अरे मेरे घर का सब टीवी वगैरा उठा ले 18:47 गया चोर तो तेरा घर तो वो है 20 साल से वो 18:51 घर रहा तू आज आई है रात भर में यह घर हो 18:53 गया अजी आप नहीं समझते हैं वो तो मायका है 18:57 हमारे भैया का समान सब, मेरा तो ये है 19:02 ये किसी ने पड़ाया ? 19:04 किसी ने सिखाया ? 19:07 इसका अभ्यास किया? केवल बुद्धि में 19:12 निश्चय हो गया बस हो गया बात बन गई 19:16 अंधेरे में रस्सी पड़ी है, सोचा सांप है, किसी ने टोर्च मारा अरे रस्सी है, भय निकल गया   19:33 सपने में रो रहे हैं चिल्ला रहे पड़ोसी कहता है 19:36 खोपड़ा खाए क्या बात हो गई कौन मार रहा है, जगाया 19:47 तुम कह रहे थे हमको मार 19:51 रहा है बचाओ बचाओ, तुम तो रजाई के अंदर सो रहे हो 19:56 जाग गए बस सब भय खत्म मार का दर्द भी खत्म 20:03 इसी प्रकार अगर बुद्धि में यह बैठ जाए यह 20:08 हमारा नहीं है संसार,  अनन्त बार माँ बाप बेटा बना चुके कहाँ है वो सब, 20:17 किसने साथ दिया 20:18 सब अपना अपना स्वार्थ चाहते हैं 20:25 तुम्हारा स्वार्थ जो आनंद प्राप्ति है वो 20:28 कौन देगा जहां होगा वहीं से तो मिलेगा वो 20:33 है भगवान और महापुरुष उसके पास आनंद है 20:36 वहां तो जाते नहीं हो और जा रहे हो भिखारियों 20:40 के पास जो खुद आनंद मांग रहे हैं 20:44 बेटा आप से आनंद चाहता है बाप बेटे से आनंद 20:47 चाहता है बीवी पति से आनंद चाहती है पति 20:50 बीवी से आनंद चाहता है, है सभी भिखारी, कहाँ से दें आनंद 21:00 तो ये बुद्धि में बिठाना है इसलिए मन से का रहा है की श्यामा श्याम की 21:04 शरण में जा लेकिन 21:07 शरण में जाने के भी कई तरीके होते हैं 21:12 आप लोग भी कभी-कभी शरण में जाते हैं जब 21:15 कोई घर दुख होता है कोई घोर बीमार  होता है 21:18 मर जाएगा डॉक्टर जवाब दे देते हैं तो 21:22 एक नास्तिक भी कहता है भगवान बचाओ मेरे 21:25 बेटे को 21:28 वो भी शरण में जा रहा है लेकिन मूर्ख है 21:33 भगवान बेटे को नहीं बचा सकते 21:36 महापुरुष नहीं बचा सकता प्रारब्ध भोगना 21:39 पड़ेगा 21:40 जिसको जब जाना है जाएगा 21:44 और अगर बचा भी ले कोई को कब तक 21:48 कब तक बचाएगा 21:51 फिर मरेगा तो फिर कहेगा बचाओ 21:54 तो कब तक बचाएगा किसी ने ऐसा बचाया आज तक की कभी मरे ही ना, तो ये शरणागत होने के बाद संसार मांगना ये गलत है 22:11 वो संसार के शरणागत है जो संसार मांगता है, नंबर दो संसार 22:16 से मोक्ष मांगते हैं 22:20 भगवान हमको भव सागर से 22:25 पार कर दो मोक्ष दे दो 22:29 बड़े-बड़े ज्ञानी 22:31 पंडित 22:33 जानकार मोक्ष मांगते हैँ, वे भी मूर्ख हैँ   22:39 इनको भी मांगना नहीं आता, तो फिर क्या भागना चाहिए, कुछ नहीं मांगो यही मांगो 22:49 प्रहलाद का example 22:59 भटक 23:04 मैं ये वर माँगता हूँ कि मांगने की वासना ही पैदा ना हो, चाहे प्राण जा रहे हों, जाने दो प्राण 23:39 भुक्ति (संसार का वैभव) और मुक्ति ये दोनों मांगना नहीं है 23:43 बस कुछ नहीं मांगो अरे वो क्या मांगते हो 23:46 वह तो सर्व शक्तिमान है अपने आप देगा तुम 23:50 तो प्रेम करो बस 23:54 अपनी इच्छा ना रखो उसकी इच्छा में इच्छा 23:58 जोड़ दो 24:02 ये शरणागति असली 24:05 बाकी सब नकली 24:08 क्या संसार दे दिया भगवान ने किसको 24:13 क्या दे दिया 24:15 ध्रुव को राज्य दे दिया 24:18 शास्त्रों में लिखा है कब तक 10,000 वर्ष तक 24:25 उसके बाद क्या हुआ मर गया चला गया, अरे संसार ही एक दिन प्रलय में खत्म हो जाएगा तो क्या करोगे संसार में रहकर 24:44 आप बीमार हुए और आपने मन्नत मानी वैष्णो 24:48 देवी यह खोपड़ा देवता सब तमाम भरे हैं 24:51 हमारे देश में और अच्छे हो गए, हाँ ये बड़ी सिद्ध देवी हैं 25:01 और फिर बीमार हो गए फिर मन्नत मानी, अब और बीमार हो गए बेटा मर गया, फिर कह दिया अरे ये सब बेकार है, नास्तिक हो जाते हैं २५:२१ इसलिए संसारी कामना या मोक्ष उसकी इच्छा ना रख के, निष्काम भाव से गुरु और भगवान को 25:39 जो मन बुद्धि का अर्पण करता है और उनके 25:43 मिलन की व्याकुलता पैदा करता है बस 25:47 वही शरणागत है उसी का योग क्षेम भगवान वाहन 25:50 करते हैं 25:51 उसी का ठेका लेते हैं, जीव केवल शरणागत होता है भजन नहीं कर सकता जीव 26:10 भजन जो बोलते हैं हम लोग ऐसे ही बोल देते 26:14 हैं भजन शब्द का अर्थ है सेवा 26:20 असमर्थ (हम जीव) सामर्थ (भगवान) की क्या सेवा करेगा, शरण में हम जायेंगे, सेवा भगवान करेंगे 26.:30  जैसे छोटा बच्चा पैदा होता है तो माँ की शरण में हो जाता है और माँ सेवा करती है, और बच्चा ज्यों ज्यों बड़ा होता है शरण से हट जाता है तो माँ भी सेवा करना बंद कर देती है, और बच्चे को अपने कर्म पे छोड़ देती है 27:05 अब नहीं मां परवाह करती ऐसे ही अगर हम 27:10 संसार के शरणागत है तो भगवान हमारी परवाह 27:13 नहीं कर रहे हैं अगर हम उनके शरणागत हो 27:17 जाएं तो हमारी परवाह शुरू कर देंगे वह अगर 27:20 हम complete surrender कर दें पूर्ण शरणागत 27:23 तो वो पूर्ण हमारी रखवाली करेंगे उनकी 27:27 ठेका हो जाएगा हमारी छुट्टी 27:31 फिर महापुरुष कुछ नहीं करता उसके द्वारा 27:34 जो कर्म होता है वो भगवान करते हैं इसलिए 27:36 हनुमान जी के द्वारा जितने मारे गए अर्जुन 27:39 के द्वारा जितने मारेंगे उसके जिम्मेदार 27:42 भगवान, वो हृदय में बैठकर govern करते हैं 27:46 अभी तो माया govern कर रही है 27:48 जब माया से परे हो गया वह भागवत प्राप्ति कर 27:52 लिया तो उसके कर्म भगवान के कर्म हैं हम 27:55 रामायण को क्यों मानते हैं, वो तुलसीदास की वाणी थोड़े ही है तुलसीदास के हृदय में बैठे 28:01 राम लिख रहे हैं इसलिए मानते हैं भागवत 28:05 वेदव्यास के हृदय में बैठे हुए श्री 28:07 कृष्ण लिख रहे हैं इसलिए हम मानते हैं 28:09 अगर उनका लिखा हुआ मानें तो हजारों गलती 28:12 निकालें उसमें 28:16 इसलिए बुद्धि मन से कह रहा है तू श्यामा श्याम की 28:20 शरण गहू (जाओ) ये अर्थ है इसका 28:25 राधे 28:28 [संगीत] Standby link (in case youtube link does not work):  गीता की सबसे Important सीख - कैसे करें भगवान् की शरणागति Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj.mp4