Wednesday, May 19, 2021

Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj Pravachan Part 2 - Full Transcript Text



Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj Pravachan Part 2

                                                https://youtu.be/8GV5DcldL7k


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Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj Pravachan Part 2.mp4

0.59 श्रोतव्यं (Listening), मंतव्य (contemplation), निधिध्यासन (practice of the invaluable wisdom (निधि)) are 3 stairs for spiritual progress 

1.39 4 गुण श्री कृष्ण में है जो किसी अवतार में भी नहीं है लीला माधुरी, प्रेम माधुरी, वेणु माधुरी, रूप माधुरी

4.28 अर्जुन ने श्रीकृष्ण से पूछा, हे  भगवान श्रीकृष्ण ये कल्याण का मार्ग बहुत confusion वाला है, कोई कहता है जप करो, तप करो, पूजा करो, पाठ करो, कर्म करो, उपवास करो  

भगवान ने कहा सब लोग मेरी माया से मोहित है :सतो, रजो और तमो गुण में, जो जिस गुण में स्थित हैं उसी के अनुसार अपना अपना वेदों का मतलब निकालते है, इसलिए अनेकों मार्ग प्रचलित हो गए हैं मुझ तक पहुँचने के लिए मगर जब तक जीव मुझ में मन लगा के पूरी तरह से मेरी शरणागत नहीं हो जाता, प्रेममय भाव से, तब तक जीव का कल्याण नहीं हो सकता

10.30 भगवान ने कहा कोई दुख से निवारण चाहता है और कोई आनंद प्राप्ति चाहता है 

11.30 भोले लोग कहते है की हमारा दुख चला जाए मगर समझदार लोग आनंद प्राप्ति चाहते हैं 

11.55 दुख निवृत्ति तो रोज़ मिलती है हमें नींद में 

12.20 आनंद प्राप्ति होने के बाद दुख नहीं आ सकता, इस लिए दुख निवृत्ति छोटा और साधारण लक्ष्य है, मगर आनंद प्राप्ती मुख्य लक्ष्य होना चाहिए

12.35 ये दो लक्ष्य दुख निवृत्ति और आनंद प्राप्ति किसी और मार्ग  - कर्म, योग, ज्ञान - से  प्राप्त नहीं किए जा सकते


13.45 + 14.50 + 15.52 केवल कामनाओं को छोड़कर, भक्ति मार्ग से ही, माया छूटेगी (दुख निवृत्ति) और आनंद प्राप्ति होगी


16.04 + 17.23 ये मेरी माया हैं इसे कोई नहीं हटा सकता, ब्रह्मा शंकर भी नहीं


17.25 मेरी माया को कोई पार नहीं कर सकता जब तक मैं इशारा ना करूँ और मैं इशारा तब तक नहीं करता जब तक जीव मेरी अनन्य शरण में नहीं आता

18.45 गीता के आखिर में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कहा कि तू मेरा प्रिय है इसलिए मैं बहुत ही गोपनीय बात बताता हूँ

19.05 Just surrender to me 


Tuesday, May 18, 2021

Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj Pravachan Part 1 - Full Transcript Text


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Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj Pravachan Part 1.mp4

4.0 भागवत (Srimad Bhagwat), गीता, रामायण सुनने और सुनाने वाला अधिकारी होना चाहिए और अधिकारी कहलाने वाले की श्रद्धा हो, संत कैसे हो जो doubt clear कर सके और तीसरा राम, कृष्ण में प्रेम

5.30 गीता किसे नहीं सुनाना,  शर्ते : जो भक्त ना हो उसे गीता नहीं सुनाना, और वो गीता पड़े भी ना, जो तपस्वी (believes in performing austerities) ना हो उसे भी ना सुनाना, जो जिज्ञासु ना हो उसे भी नहीं सुनाना

6.40 Srimad Bhagwat ब्रह्म के समान है , ब्रह्म के 2 अर्थ : 1. भगवान 2. वेद

7.25 Srimad Bhagwat सार है सभी पुराणों और वेदों का

7.30 वेद व्यास जी (जो कि खुद भगवान के अवतार हैं) (wrote all these : महाभारत (1 लाख शलोक), पुराण  (4 लाख शलोक), Srimad Bhagwat (18,000 श्लोक)

8.25 मगर इतने ग्रंथ लिखने के बाद भी अशांत हैं, अज्ञान में डूब रहे हैं

9.15 नारद जी ने वेदव्यास को कहा कि आपने कृष्ण लीला तो लिखी नहीं

11.0  नारदजी ने कहा कि पहले तुम श्री कृष्ण के दर्शन करो उसके बाद लिखना

12.0 पाराशर के पुत्र हैं, वेदव्यास और भगवान के अवतार हैं खुद वेदव्यास

15.0 वेद को कोई समझ नहीं सकता : ब्रह्मा, सरस्वती, विष्णु, शंकर, बृहस्पति कोई भी नहीं, जब भगवान ने ब्रह्मा जी को दिव्य ज्ञान दिया तब उन्हें वेद समझ में आए
वह वेद भगवान के मुख से निकले, मस्तिष्क दिमाग से नहीं,  

15.10 पहले पुराण प्रकट हुए ब्रह्मा जी के मुख से

16 20 जो वेद नहीं समझेगा वह भगवान को प्राप्त नहीं कर सकता, अजीब मुसीबत है वेद किसी के समझ में आते नहीं ; मगर एक दुविधा का निवारण किया है वेद में ही,  जो गुरु के मुख से वेद सुनेगा, जिसको ज्ञान है वेद का, वह वेद को समझ पाएगा

18.0 श्रीमद् भागवत (Srimad Bhagwat) ब्रह्म सूत्र का सार है, ब्रह्म सूत्र यानी वेदांत, वेदांत यानी 6 शास्त्रों में से प्रमुख

Monday, May 17, 2021

आवत बने कान्ह, गोप बालकन संग, नेचू की खुर रेणु, क्षुरित अलकावली - सूरदास पद #Blog0085



आवत बने कान्ह गोप बालकन संग, नेचू की खुर रेणु क्षुरित अलकावली

जब कान्हा गौ चराकर संध्या काल को वापिस आते थे तो                   

उनकी रुप छटा देखते ही बनती थी:                   

“आवत बने कान्हा गोप बालकन संघ,                   

धेनु की (or नेचु की) खुर रेणु                   

क्षरित अलकावली, भोह मन मथ चाप,                   

वक्र लोचन बाण, शीश शोभित                 

मत्त मोर चंदा बली”


गौ -cows, आवत =while coming (from forest), बालकन=cowherd boys , 

धेनु /नेचु =a cow, खुर-hooves,  रेणु=dust,  क्षरित =disarranged / disheveled hair, अलकावली – front hair, भोह=eyebrow, मथ=forehead,  चाप=hidden,  वक्र=slanting, लोचन=eyes, बाण = arrows, शीश=head, शोभित = decorated, मत्त = intoxicated, मोर =peacock, चंदा=moon, बली=ready to sacrifice everything   

               

WHEN AT BRIJ (VRINDAVAN), GOD USED TO COME BACK AFTER COW-GRAZING ALONG WITH COWHERD BOYS, HIS FACE WAS AN ALLURING SIGHT                  


WHAT WITH COWS’ HOOVES’ DIRT RAISED UP, HIS HAIR ALL MESSED UP & FALLING ON HIS EYEBROWS & FOREHEAD                  


HIS SLANTING EYES, AS IF SHOOTING LOVING ARROWS & ADORNED HEAD INTOXICATING ALL ON SEEING HIM INCLUDING PEACOCKS & SHAMING EVEN MOON AT DUSK 


short accolade (praise of Lord):

https://youtube.com/shorts/wGD1hrVz4xc


Related:     

https://www.radhadamodarmandir.com/magazine/Apr-2021/424


Full accolade:

https://www.youtube.com/watch?v=MaoZB4nhl_A&list=PLxCg3knm90vmBysa-E4j92tV_aOQemeDL&index=80             at time slots:

0:00 आवत बनै कान्ह गोप बालक संग नेचुकी खुर रेनु क्षरित छुरित अलकावली। (नेचु = a cow) भौंह मनमथ चाप वक्र लोचन बान सीस सोभित मत्त मोर चन्द्रावली 0:58 उदित उडुराज सुन्दर सिरोमणि बदन (उदित =rise of, उडुराज =moon, सिरोमणि = topmost)

निरख फूली नवल युवति कुमुदावली (नवल =young, कुमुदावली = like multiple lotuses)

अरून सकुचत अधर बिंब फल उपहसत (अरून = red, बिंब =image)

कछुक परगट होत कुंद दसनावली (दसनावली (teeth))

1:54 स्वर्ण कुंडल, तिलक भाल बेसरि नाक (भाल =forehead, बेसरि =a nasal gem)

कंठ कौस्तुभ मनि सुभग त्रिवलावली (कंठ = neck, कौस्तुभ मनि = precious gem worn by Lord, त्रिवलावली = external ornaments worn by Lord)

2:22 रत्न हाटक खचित उरसि पद कनक पात (हाटक & कनक = a golden, खचित = embedded, उरसि = neck)

बीच राजत सुभग झलक मुक्तावली (सुभग झलक मुक्तावली = a fortunate sight (of Lord) which grants liberation) बलय कंगन बाजूबंद आजान भुज (आजान = Lord, भुज =arm)

3:02 मुद्रिका करतल बिराजत नखावली (मुद्रिका =ring, कर= hands, नखावली= nails)

कुणित कर मुरलिका अखिल मोहित बिस्व (With His flute held in His hands, entire world is captivated & also Gopis all together गोपिका जन मनसि गंथित प्रेमावली (गंथित = all together)

3:42 कटि छुद्र घंटिका कनक हीरा मई (कटि =waist, छुद्र घंटिका =घुँघरू,कनक हीरा मई = precious diamond studded)

नाभि अंबुज बलित भृंग रोमावली (नाभि = navel, अंबुज =lotus, रोमावली = hair from neck to navel) धाई कवहुँक चलत भक्त हित जानि प्रिय 4:21 गंड मंडल रचित स्त्रम जल कनावली

(गंड =cheeks, स्त्रम=माला, कनावली =bunch of small pearls (मोती)


4:34 पीत कौसेय पट धार सुन्दर अंग (पीत=yellow, कौसेय = silken) बजत नूपुर गीत भरत शब्दावली (नूपुर=घुँघरू)

5:00 हृदय कृस्नदास बलि गिरिधरन लाल की (I sacrifice myself for Lord) चरन नख चंद्रिका हरत तिमिरावली

(light (चंद्रिका) of nails (नख) of feet (चरन) remove (हरत) all darkness (तिमिर)


6:09 श्री कृष्ण शरणम ममाः

8:02 जय जय श्री वृन्दावन अगोचर नित विहार दरसेन

8:17 सलोनी पायो निकुंजन ऐन (सलोनी = lovely, निकुंजन=play area of Lord, ऐन=place)

हरिवंशचन्द्र अमृत बरसी (अमृत=nectar of immortality, बरसी = rains)

सकल जन्तु तापन हरणम (sucks out all problems of all beings) जय जय हरिवंश जगत मंगल पर श्री हरिवंश चरण शरणम जय जय हरिवंश चरण शरणम

Sunday, May 16, 2021

FAITH - If you have 100% faith, that HE IS and He always does everything for your good only (सदा मंगलकारी), then no need of pray (faith itself is "pray") #Blog0084


FAITH

If you have 100% faith, that HE IS & He always does everything for your good only (सदा मंगलकारी), then no need of pray (faith itself is "pray") as you are in constant awareness of Him, i.e., your conscience is already immersed in Him, i.e., you are already Krishna conscious, i.e., you are already surrendered to Him - then He takes the oars of your life's boat & guides you to His abode वैकुंठ of eternal bliss

BUT

if there is no 100% faith, then He leaves it to your own destiny, i.e., कर्म का फल भोगते जाओ depending on your mental attitude & 3 material gunas - सतो, रजो, रमो गुण

&

"पुनरपी जन्मम, पूनरपी मरणम, जननी जठरे श्यनम" (repeated birth & death cycle in 84,00,000 योनी (types of species in His creation)
पुनरपी = repeatedly, जन्मम = birth, मरणम= death, जननी = a mother, जठरे = stomach/ womb, श्यनम = lie down (for 9 months for humans / different period for other animals)

Most human beings are like an aeroplane, doing very hard work but only encircling the earth all the time ; thus mathematically & scientifically, the overall sum being zero as the net distance covered is zero after full circle.

There is no real progress in spite of day & night hard work as the plane is conditioned by the earth's gravity. Real progress of a human is when he tries to come out of birth death cycle by pure devotion to God.

Faith is either 100% or None - there is nothing called 70% or 90% faith, i.e., either you're fully surrendered to Him or not surrendered.

जब तक द्रोपती पांडवों के सहारे थी तो लाज बचाने नहीं आये
जब केवल कृष्णा को आधार मानकर पुकारा तो कृष्णा आये

प्रेम के अश्रु (tears of love) को लांघ जाने की सामर्थ भगवान में नहीं है
God does not have the capacity to ignore /bypass tears of love.

"चींटी के पग नूपुर बाजे, तो भी साहिब सुनता है"
Even if an anklet (घुँघरू, नूपुर) worn on an ant makes a sound, He listens even to that.

किसी के सुषुप्त (sleeping) मन में कोई भाव उठता हो,      कोई और जाने ना जाने,
आप भी शायद पहचाने ना पहचाने, लेकिन प्रभु लिख लेते हैं अपने उस कागज़ पर              
In someone, even if sleeping, when a desire is raised, God knows earlier than the subject person.  

नानक कहते
"*अनबोलत मेरी वृथा जानी, अपना नाम जपाया*
ठाकुर तुम शरणाई आया"                
He knows my troubles even without my saying (as He sits in heart of each)

https://youtu.be/bl4zTps-_f4&t=1085
&
https://youtu.be/TyYcI3v-vK8&t=539
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https://youtu.be/5du93zKlup8&t=1611

Saturday, May 15, 2021

जहां ले चलोगे वहीं मैं चलूंगा vinod Agarwal ji

जहां ले चलोगे वहीं मैं चलूंगा


जहां ले चलोगे वहीं मैं चलूंगा

जहां नाथ रख लोगे, वहीं मैं रहूँगा


यह जीवन समर्पित चरण में तुम्हारे

तुम्ही मेरे सर्वस तुम्ही प्राण प्यारे

तुम्हे छोड़ कर नाथ किससे कहूँगा

जहाँ ले चलोगे वहीं मैं चलूँगा


ना कोई उलाहना, ना कोई अर्जी

करलो करालो जो है तेरी मर्जी

कहना भी होगा तो तुम्ही से कहूँगा

जहाँ ले चलोगे वहीं मैं चलूँग


दयानाथ दयनीय मेरी अवस्था

तेरे हाथ अब मेरी सारी व्यवस्था

जो भी कहोगे तुम, वही मैं करूँगा

जहाँ ले चलोगे वहीं मैं चलूँगा


vinod Agarwal ji

https://youtu.be/P_mHQ-MlczE?t=43

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Jahaan Le Chaloge जहाँ ले चलोगे (BHAJAN) By - Shri Vinodji Agrawal - (Kannauj U.P.).mp4

&

https://youtu.be/XmT8XI1Kh9w?t=11


Chitra Vichitra ji

https://youtu.be/Y0ZTIqDOABc?t=207

 

Devkinandan Thakur Ji

https://www.youtube.com/watch?v=Yi3msDuMqtg

 

Nikunj Kamra ji

https://youtu.be/DIGq89KoBmc?t=21

 

Devi Chitralekhaji

https://www.youtube.com/watch?v=wlbAEVcwkUU

 

Gaurangi Gauri Ji

https://www.youtube.com/watch?v=GFhnNepEZKU

 

Indresh ji

https://youtu.be/d5ZHWUh_oBM&t=0

 

Rajan ji

https://www.youtube.com/watch?v=F7eqhwuSc6w

 

Prakash Gandhi ji

https://youtu.be/iuM3n--kUu8?t=12

 

Prembhushan ji

https://youtu.be/QG092alDxUc?t=41