Friday, May 21, 2021

Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj Pravachan Part 4 - Full Transcript Text


Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj Pravachan Part 4

https://youtu.be/I2QDf1n_Va8 

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4.58 3 तत्व हैं क्षर (माया), अक्षर (जीव) और इनका शासक भगवान, जो नियामक (Who frames the rules) है, प्रेरक (motivator) हैं   6.12 जीव भगवान का ध्यान करें मन लगाए और भगवान को हृदय में धारण करें तो माया की निवृत्ति (overcome) हो जाएगी 6.45 भगवान रसो वैस: हैं, और ऊसे प्राप्त करके ही जीवन प्रसन्न हो सकता है आनंदित हो सकता है 8.0 सब जीव उसी आनंद से प्रकट हुएं, सब जीव उनके पुत्र हैं
9.15, 10.15 भगवान को पाने का एक ही तरीका है उठो जागो और गुरु के पास जाओ, उन से समझो कि भगवान क्या है 10.55 महापुरुष की शरण में जाओ और surrender करो, जिज्ञासु मन से सब प्रश्न पूछो कि जीवन क्या है, मृत्यु क्या है, आत्मा क्या है 11.45 ऐसे महापुरुष के पास जाओ जिसको शब्द ब्रह्म (Theory) और परब्रह्म (Practical) दोनों प्राप्त हो चुके हों 12.22 गुरु बिना भव निधि तर ही ना कोई जो बिरंचि (Lord Brahma) शंकर सम होई - without guru, none including Lord Brahma & Lord Shankar - can cross worldly material cycle 12.45, 13.30, 14 25 बड़े भाग्य मानुष तन पाया, 2 शर्त हैं - एक तो अपना भाग्य (यानि pious deeds), दूसरा भगवान की कृपा से ही मनुष्य तन मिला  13.43 बिन हरि कृपा मिले नहीं संता 13.59 अब मोहे भाव भरोस हनुमंता बिन हरि कृपा मिलें नहीं संता 14.40 श्रद्धा हो जाए यदि हमारी गुरु के वचन मेंं   16.05 भागवत कृपा हो तो लालसा हो, प्यास हो,भगवान को पाने की, जिज्ञासा हो    16.27 एक तो अपना भाग्य (यानि pious deeds) , दूसरा भगवान की कृपा, तीसरा श्रद्धा हो जाए यदि हमारी गुरु के वचन मेंं, भगवान में  16.40 भगवान का ये एहसान है कृपा है की जो हमारे अच्छे कर्म है और हमने श्रद्धा भी रखी है इसका फल केवल भगवान ही देते और दे सकते हैं  केवल अच्छे कर्म हो और श्रद्धा हो मगर भगवान की कृपा ना हो तो फल नहीं मिलेंगा 17.35  गुरु ही बताता है कि भगवान कौन है और उसकी प्राप्ति कैसे होगी 17.46  गुरु का मिलना हो भी जाए तो गड़बड़ कहाँ होती है की श्रद्धा नहीं होती और अनंत जन्मों से ऐसा ही चलता आया है 18.15  हम अनादि काल से संसार में चक्कर लगा रहे हैं जन्म मृत्यु का, अनेकों बार हमने भगवान के अवतार देखें, मगर हमने कभी भी श्रद्धापूर्ण भाव से उन्हें नहीं माना 

Thursday, May 20, 2021

Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj Pravachan Part 3 - Full Transcript Text



Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj Pravachan Part 3

https://youtu.be/ZYzw_j0jdrI

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0.30 Krishna says to Arjuna: "Abandon all varieties of religion and just surrender unto Me. I shall deliver you from all sinful reactions. Do not fear."  

Gita Shloka 18.66 https://vedabase.io/en/library/bg/18/66/

0.50 जो मेरी शरण में आ गया उसके लिए सब कानून खत्म

3.40 बिना रामकृपा के, माया नहीं जाएगी

5.0 जब रोग का पता चलेगा, तभी तो इलाज करेंगे

5.20 तुलसीदास जी कहते हैं कि दवाइयां तो बहुत हैं साधन करने की  जैसे तप, जप, नियम, उपवास, कर्म योग, ज्ञान इत्यादि मगर केवल इन दवाइयों से इस भाव सागर से पार जाना संभव नहीं है और हरि नहीं मिलेंगे -केवल भक्ति मार्ग से ही हरि मिल सकते हैं

7.05 सद्गुरु चरणों में अनंत बार मिले, हमने सिर भी हिलाया उनके सामने कि हां समझ में आया, पर फिर वही बात आपने की कि "सुनो सबकी, करो अपने मन की",  वही करते रहे जो मन ने कहा - इसलिए कभी मृत्यु चक्र से निकल ही नहीं पाए, गुरु के शब्दों पर विश्वास नहीं है

9.25 अगर एक महापुरुष या संत या गुरु आपके जीवन में आ जाए और हमें उनके शब्दों पर विश्वास हो, तो भगवत प्राप्ति दूर नहीं है, इसमें कोई संशय नहीं है

9.55 जो वास्तविक कृष्ण भक्ति करता है, कहते हैं उसे "आंख मूंदकर दौड़ना चाहिए" वह तब भी कहीं गिरेगा नहीं,  फिसलेगा नहीं, क्यों नहीं गिरोगे क्योंकि वे रक्षा करते हैं, पीछे पीछे चलते हैं

10.35 भगवान स्वयं कहते हैं "मेरे भक्त का पतन नहीं होता"

11.20 वेद कहता है बस भगवान को रो कर पुकारो, कुछ मत कहो, कुछ मत सुनो, बिना किसी कामना के बस एक उनके दर्शन और प्रेम की कामना, इससे आपका अंतःकरण शुद्ध हो जाएगा और भगवान की कृपा आप पर बरस पड़ेगी


Wednesday, May 19, 2021

Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj Pravachan Part 2 - Full Transcript Text



Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj Pravachan Part 2

                                                https://youtu.be/8GV5DcldL7k


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0.59 श्रोतव्यं (Listening), मंतव्य (contemplation), निधिध्यासन (practice of the invaluable wisdom (निधि)) are 3 stairs for spiritual progress 

1.39 4 गुण श्री कृष्ण में है जो किसी अवतार में भी नहीं है लीला माधुरी, प्रेम माधुरी, वेणु माधुरी, रूप माधुरी

4.28 अर्जुन ने श्रीकृष्ण से पूछा, हे  भगवान श्रीकृष्ण ये कल्याण का मार्ग बहुत confusion वाला है, कोई कहता है जप करो, तप करो, पूजा करो, पाठ करो, कर्म करो, उपवास करो  

भगवान ने कहा सब लोग मेरी माया से मोहित है :सतो, रजो और तमो गुण में, जो जिस गुण में स्थित हैं उसी के अनुसार अपना अपना वेदों का मतलब निकालते है, इसलिए अनेकों मार्ग प्रचलित हो गए हैं मुझ तक पहुँचने के लिए मगर जब तक जीव मुझ में मन लगा के पूरी तरह से मेरी शरणागत नहीं हो जाता, प्रेममय भाव से, तब तक जीव का कल्याण नहीं हो सकता

10.30 भगवान ने कहा कोई दुख से निवारण चाहता है और कोई आनंद प्राप्ति चाहता है 

11.30 भोले लोग कहते है की हमारा दुख चला जाए मगर समझदार लोग आनंद प्राप्ति चाहते हैं 

11.55 दुख निवृत्ति तो रोज़ मिलती है हमें नींद में 

12.20 आनंद प्राप्ति होने के बाद दुख नहीं आ सकता, इस लिए दुख निवृत्ति छोटा और साधारण लक्ष्य है, मगर आनंद प्राप्ती मुख्य लक्ष्य होना चाहिए

12.35 ये दो लक्ष्य दुख निवृत्ति और आनंद प्राप्ति किसी और मार्ग  - कर्म, योग, ज्ञान - से  प्राप्त नहीं किए जा सकते


13.45 + 14.50 + 15.52 केवल कामनाओं को छोड़कर, भक्ति मार्ग से ही, माया छूटेगी (दुख निवृत्ति) और आनंद प्राप्ति होगी


16.04 + 17.23 ये मेरी माया हैं इसे कोई नहीं हटा सकता, ब्रह्मा शंकर भी नहीं


17.25 मेरी माया को कोई पार नहीं कर सकता जब तक मैं इशारा ना करूँ और मैं इशारा तब तक नहीं करता जब तक जीव मेरी अनन्य शरण में नहीं आता

18.45 गीता के आखिर में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कहा कि तू मेरा प्रिय है इसलिए मैं बहुत ही गोपनीय बात बताता हूँ

19.05 Just surrender to me 


Tuesday, May 18, 2021

Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj Pravachan Part 1 - Full Transcript Text


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Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj Pravachan Part 1.mp4

4.0 भागवत (Srimad Bhagwat), गीता, रामायण सुनने और सुनाने वाला अधिकारी होना चाहिए और अधिकारी कहलाने वाले की श्रद्धा हो, संत कैसे हो जो doubt clear कर सके और तीसरा राम, कृष्ण में प्रेम

5.30 गीता किसे नहीं सुनाना,  शर्ते : जो भक्त ना हो उसे गीता नहीं सुनाना, और वो गीता पड़े भी ना, जो तपस्वी (believes in performing austerities) ना हो उसे भी ना सुनाना, जो जिज्ञासु ना हो उसे भी नहीं सुनाना

6.40 Srimad Bhagwat ब्रह्म के समान है , ब्रह्म के 2 अर्थ : 1. भगवान 2. वेद

7.25 Srimad Bhagwat सार है सभी पुराणों और वेदों का

7.30 वेद व्यास जी (जो कि खुद भगवान के अवतार हैं) (wrote all these : महाभारत (1 लाख शलोक), पुराण  (4 लाख शलोक), Srimad Bhagwat (18,000 श्लोक)

8.25 मगर इतने ग्रंथ लिखने के बाद भी अशांत हैं, अज्ञान में डूब रहे हैं

9.15 नारद जी ने वेदव्यास को कहा कि आपने कृष्ण लीला तो लिखी नहीं

11.0  नारदजी ने कहा कि पहले तुम श्री कृष्ण के दर्शन करो उसके बाद लिखना

12.0 पाराशर के पुत्र हैं, वेदव्यास और भगवान के अवतार हैं खुद वेदव्यास

15.0 वेद को कोई समझ नहीं सकता : ब्रह्मा, सरस्वती, विष्णु, शंकर, बृहस्पति कोई भी नहीं, जब भगवान ने ब्रह्मा जी को दिव्य ज्ञान दिया तब उन्हें वेद समझ में आए
वह वेद भगवान के मुख से निकले, मस्तिष्क दिमाग से नहीं,  

15.10 पहले पुराण प्रकट हुए ब्रह्मा जी के मुख से

16 20 जो वेद नहीं समझेगा वह भगवान को प्राप्त नहीं कर सकता, अजीब मुसीबत है वेद किसी के समझ में आते नहीं ; मगर एक दुविधा का निवारण किया है वेद में ही,  जो गुरु के मुख से वेद सुनेगा, जिसको ज्ञान है वेद का, वह वेद को समझ पाएगा

18.0 श्रीमद् भागवत (Srimad Bhagwat) ब्रह्म सूत्र का सार है, ब्रह्म सूत्र यानी वेदांत, वेदांत यानी 6 शास्त्रों में से प्रमुख

Monday, May 17, 2021

आवत बने कान्ह, गोप बालकन संग, नेचू की खुर रेणु, क्षुरित अलकावली - सूरदास पद #Blog0085



आवत बने कान्ह गोप बालकन संग, नेचू की खुर रेणु क्षुरित अलकावली

जब कान्हा गौ चराकर संध्या काल को वापिस आते थे तो                   

उनकी रुप छटा देखते ही बनती थी:                   

“आवत बने कान्हा गोप बालकन संघ,                   

धेनु की (or नेचु की) खुर रेणु                   

क्षरित अलकावली, भोह मन मथ चाप,                   

वक्र लोचन बाण, शीश शोभित                 

मत्त मोर चंदा बली”


गौ -cows, आवत =while coming (from forest), बालकन=cowherd boys , 

धेनु /नेचु =a cow, खुर-hooves,  रेणु=dust,  क्षरित =disarranged / disheveled hair, अलकावली – front hair, भोह=eyebrow, मथ=forehead,  चाप=hidden,  वक्र=slanting, लोचन=eyes, बाण = arrows, शीश=head, शोभित = decorated, मत्त = intoxicated, मोर =peacock, चंदा=moon, बली=ready to sacrifice everything   

               

WHEN AT BRIJ (VRINDAVAN), GOD USED TO COME BACK AFTER COW-GRAZING ALONG WITH COWHERD BOYS, HIS FACE WAS AN ALLURING SIGHT                  


WHAT WITH COWS’ HOOVES’ DIRT RAISED UP, HIS HAIR ALL MESSED UP & FALLING ON HIS EYEBROWS & FOREHEAD                  


HIS SLANTING EYES, AS IF SHOOTING LOVING ARROWS & ADORNED HEAD INTOXICATING ALL ON SEEING HIM INCLUDING PEACOCKS & SHAMING EVEN MOON AT DUSK 


short accolade (praise of Lord):

https://youtube.com/shorts/wGD1hrVz4xc


Related:     

https://www.radhadamodarmandir.com/magazine/Apr-2021/424


Full accolade:

https://www.youtube.com/watch?v=MaoZB4nhl_A&list=PLxCg3knm90vmBysa-E4j92tV_aOQemeDL&index=80             at time slots:

0:00 आवत बनै कान्ह गोप बालक संग नेचुकी खुर रेनु क्षरित छुरित अलकावली। (नेचु = a cow) भौंह मनमथ चाप वक्र लोचन बान सीस सोभित मत्त मोर चन्द्रावली 0:58 उदित उडुराज सुन्दर सिरोमणि बदन (उदित =rise of, उडुराज =moon, सिरोमणि = topmost)

निरख फूली नवल युवति कुमुदावली (नवल =young, कुमुदावली = like multiple lotuses)

अरून सकुचत अधर बिंब फल उपहसत (अरून = red, बिंब =image)

कछुक परगट होत कुंद दसनावली (दसनावली (teeth))

1:54 स्वर्ण कुंडल, तिलक भाल बेसरि नाक (भाल =forehead, बेसरि =a nasal gem)

कंठ कौस्तुभ मनि सुभग त्रिवलावली (कंठ = neck, कौस्तुभ मनि = precious gem worn by Lord, त्रिवलावली = external ornaments worn by Lord)

2:22 रत्न हाटक खचित उरसि पद कनक पात (हाटक & कनक = a golden, खचित = embedded, उरसि = neck)

बीच राजत सुभग झलक मुक्तावली (सुभग झलक मुक्तावली = a fortunate sight (of Lord) which grants liberation) बलय कंगन बाजूबंद आजान भुज (आजान = Lord, भुज =arm)

3:02 मुद्रिका करतल बिराजत नखावली (मुद्रिका =ring, कर= hands, नखावली= nails)

कुणित कर मुरलिका अखिल मोहित बिस्व (With His flute held in His hands, entire world is captivated & also Gopis all together गोपिका जन मनसि गंथित प्रेमावली (गंथित = all together)

3:42 कटि छुद्र घंटिका कनक हीरा मई (कटि =waist, छुद्र घंटिका =घुँघरू,कनक हीरा मई = precious diamond studded)

नाभि अंबुज बलित भृंग रोमावली (नाभि = navel, अंबुज =lotus, रोमावली = hair from neck to navel) धाई कवहुँक चलत भक्त हित जानि प्रिय 4:21 गंड मंडल रचित स्त्रम जल कनावली

(गंड =cheeks, स्त्रम=माला, कनावली =bunch of small pearls (मोती)


4:34 पीत कौसेय पट धार सुन्दर अंग (पीत=yellow, कौसेय = silken) बजत नूपुर गीत भरत शब्दावली (नूपुर=घुँघरू)

5:00 हृदय कृस्नदास बलि गिरिधरन लाल की (I sacrifice myself for Lord) चरन नख चंद्रिका हरत तिमिरावली

(light (चंद्रिका) of nails (नख) of feet (चरन) remove (हरत) all darkness (तिमिर)


6:09 श्री कृष्ण शरणम ममाः

8:02 जय जय श्री वृन्दावन अगोचर नित विहार दरसेन

8:17 सलोनी पायो निकुंजन ऐन (सलोनी = lovely, निकुंजन=play area of Lord, ऐन=place)

हरिवंशचन्द्र अमृत बरसी (अमृत=nectar of immortality, बरसी = rains)

सकल जन्तु तापन हरणम (sucks out all problems of all beings) जय जय हरिवंश जगत मंगल पर श्री हरिवंश चरण शरणम जय जय हरिवंश चरण शरणम