Monday, July 26, 2021

भक्ति में रस क्यों नहीं मिल रहा है, भक्ति में उत्साह कैसे बनाए रखें HG Ravi Lochan Prabhu

 

भक्ति में रस क्यों नहीं मिल रहा है, भक्ति में उत्साह कैसे बनाए रखें HG Ravi Lochan Prabhu

 

https://youtu.be/MSFt4-o213A


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भक्ति में रस क्यों नहीं मिल रहा है भक्ति में उत्साह कैसे बनाए रखें HG Ravi Lochan Prabhu.mp4

 

0 45 व्यक्ति इन बातों पर रोता है कि मैंने अपना जीवन व्यर्थ कर दिया भगवान का नाम नहीं लिया भगवान के ग्रंथ नहीं पढ़े

1.02 एक व्यक्ति को पढ़ना नहीं आता था मगर गीता सामने रखकर रो रहा था, चैतन्य महाप्रभु ने उनसे पूछा कि क्यों रो रहे हो, कहा कि श्री कृष्ण कितने दयालु हैं किसी के लिए भी सारथी बन जाते हैं, चैतन्य महाप्रभु ने उनसे बताया की तुम शास्त्रों का सार अच्छी तरह समझ गए हो - ये थी एक उदाहरण सच्ची भक्ति की

 

3.38 नोत्पादयेद्यदि रतिं श्रम एव हि केवलम् 

https://prabhupada.io/books/sb/1/2/8 

अभी तक इतना करने के बाद भी श्री कृष्ण के चरणो में रती (attraction) नहीं हुई तो सब केवल श्रम ही है (without getting attracted to Lord Krishna, rest everything is nothing but only wasteful hard labour) 

4.14 गधा भी केवल मेहनत करता है और उस मेहनत के बदले थोड़ी सी घास मिलती है उसको मालिक से घास वैसे भी free में उपलब्ध है उसको पर गधे की बुद्धि नहीं है ऐसे ही हम भी अपनी बुद्धि का इस्तेमाल नहीं करते

5 51 इस संसार में शुरू शुरू में सब चीजें बहुत मीठी लगती है अच्छी लगती हैं मगर धीरे-धीरे रस जाता रहता है कम होता रहता है मगर श्री कृष्णा की मिठास हमेशा बढ़ती रहती है

6.24 शादी में लोग कहते हैं You are my true soul mate मगर शादी के 2 महीने बाद एक दूसरे का मुंह नहीं देखना चाहते

7 34  और हम ऐसे घोंचू लल्लू लाल हैं कि ऐसे संसार के संबंधों में invest करते जा रहे हैं

9.44  संसार से कुछ भी उम्मीद नहीं रखो कि आप को समझ पाएंगे क्योंकि वे सार ग्रहीय नहीं है जो केवल एक भक्त होता है

10.21  संसार को तो यह भी नहीं पता क्या सही है क्या गलत है मल त्यागने के बाद अपने आप को कैसे शुद्ध किया जाता है यह भी नहीं पता

10.57  worldly minded people का संग नहीं करना क्योंकि संसारी व्यक्ति देगा केवल संसार मगर जिसकी बुद्धि में श्री कृष्ण हैं वह आपको देगा श्री कृष्ण


Sunday, July 25, 2021

भक्ति तो बुढ़ापे का काम है ? HG Ravi Lochan Prabhu | ISKCON Dwarka

 

भक्ति तो बुढ़ापे का काम है ? HG Ravi Lochan Prabhu | ISKCON Dwarka

https://youtu.be/J-PGvs0TTn0 


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भक्ति तो बुढ़ापे का काम है HG Ravi Lochan Prabhu ISKCON Dwarka.mp4

0.0 इस आज समाज में wrong conception बन गया है कि young age is for enjoyment, ऐश करना 

0.17  जब मैंने Krishna consciousness join किया तो दोस्तों ने समझा कि ये तो पागल हो गया है

1.04 असल में हम young नहीं है old हैं, जैसे कहते हैं "I am 20 years old"  

1.17 life में कुछ भी हो सकता है, "सावधानी हटी दुर्घटना घटी"

1.30 और सबसे बड़ी दुर्घटना यही है की हम अपना पूरा समय और energy बर्बाद कर रहे हैं, young age में  कीर्तन में नाचना अच्छा लगता है, क्या बूढ़े होकर नाच सकते हैं ?

1.57 आज young को नहीं सोचना पड़ता गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा लगाना - this means this is the right age for bhakti 

2.13 बुढ़ापे में हम exhaust (tire) हो जाएंगे हमारी desires exhaust नहीं होंगी


2.39 अंगम गलितम ….IN OLD AGE...

https://svbf.org/newsletters/year-2014/bhaja-govindam-4/

अङ्गं गलितं पलितं मुण्डं दशनविहीनं जातं तुण्डम् ।

वृद्धो याति गृहीत्वा दण्डं तदपि न मुञ्चत्याशापिण्डम् ॥

angam galitam palitam mundam, dashanavihīnam jātam tundam

vriddhō yāti gruhītvā dandam, tadapi na munchatyāshāpindam

The limbs (अङ्गं angam) are weakened (गलितम् galitam); the head (मुण्डम् mundam) has turned grey (पलितम् palitam); the mouth (तुण्डम् tundam) has become (जातम् jātam) toothless (दशनविहीनम् dashanavihīnam). The old man (व्रूद्ध: vrddha:) walks (याति yāti) holding (गृहीत्वा gruhītvā) a stick (दण्डम् dandam). Even then (तदपि tadapi) [he] does not give up (न मुञ्चति na munchati) his bundle of hopes and desires (आशापिण्डम् āshāpindam).

The imagery presented of an old, decrypt man unable to carry his own weight but still carrying the burden of his desires and ambition is indeed graphic. If with age, the maturity to let go does not come, then old age becomes an even greater burden after all. Recall the line “वृद्धस्तावच्चिन्तासक्त: vrddhastāvat chintāsakta:” of Verse 7 in Part 2 whereby only worries and despair become the only capacity left to the old who fit the description of that verse “परमे ब्रह्मणि कोपि न सक्त: paramē brahmani kōpi na sakta:” (incapable of setting one’s mind on Brahman).Age does not automatically engender maturity. Emotional and spiritual age should indeed accompany physical age, and that is the primary import of this verse.

In the following verse, the āchārya notes that the above plight does not befall just the wealthy, who are endowed with various means for pleasure, but can befall even the homeless destitute, or for that matter even an ascetic. The poverty of desire and inadequacy is the greatest equalizer on this earth sparing none in any segment of the social scale except those who have gained an inner sense of adequacy and dispassion.


3.34 आशाओं का पिंड (box) है ये कभी खत्म नहीं होता है बुढ़ापे में भी, इस young age में हम सोच रहे हैं की बुढ़ापे में सब मेरी आशाएं खत्म हो जाएंगीं तब मैं चैन से भक्ति करूँगा - ऐसा नहीं होगा

4.19 it is very very important कि इस youth age को हम properly utilize करें, हमारा समय हमारी energy भगवान में लगाएं, क्योंकि ये समय चला गया तो फिर हमारे पास repentance के सिवाय कुछ नहीं बचेगा 

 


Saturday, July 24, 2021

हरि नाम नहीं तो जीना क्या HARI NAAM NAHI TO JEENA KYA - BHAJAN #blog0093

 

हरि नाम नहीं तो जीना क्या HARI NAAM NAHI TO JEENA KYA

 https://www.youtube.com/watch?v=i4qUhOx2TtA

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 हरि नाम नहीं तो जीना क्या HARI NAAM NAHI TOH JEENA KYA.mp4

0.0 अमृत है हरि नाम है जगत में और इसे छोड़ विषय विष पीना क्या, हरि नाम नहीं तो जीना क्या

1.01 भगवान का नाम बुढ़ापे में जपेंगे, मगर क्या पता की बुढ़ापे तक जीवित रहेंगे हम

1.12 कॉल सदा अपने रस डोले, ना जाने कब सिर चढ़ बोले

1.35 हरी का नाम जपो निस-वासर (हर एक पल या हर समय), इसमें अब बरस महीना क्या, हरि नाम नहीं तो जीना क्या

2.03 हाँ आप देखे होंगे सोमवार को किसकी पूजा करनी चाहिए : शंकर जी, मंगलवार को :हनुमान जी की, बुधवार को हनुमान जी नहीं मिलेंगे? बृहस्पतिवार को शंकरजी भाग जाएंगे मंदिर से, हम तो बटही हैहम लोगों ने भगवान को भी बांट दिया है

2.32 सोमवार को शंकर जी, मंगलवार को :हनुमान जी, बृहस्पतिवार को : नारायणजी,  शुक्रवार को संतोषी मैय्या, शनिवार को हनुमानजी और शनिदेव,

यह दिन इसलिए बांटे गए थे कि कम से कम हफ्ते में एक बार तो हनुमान जी के पास जाएगा

मगर एक सच्चे भक्त के लिए एक भगवान प्रति दिन प्रति पल बैठे हैं   

3.54 तीरथ है हरि नाम हमारा, फिर क्यों फिरते मारा मारा, अंत समय हरि नाम ना आवे, तो काशी और मदीना क्या

5.34 भूषन से सब अंग सजावे, रसना (tongue) पर हरि नाम ना आवे  

6.08 साधक कहता है सब सजा लो, जाने के बाद कुछ बचेगा नहीं सब उतर जाएगा, पूरा गहना लाद लो अब प्राण निकल गया, क्रिया क्रम बाद में होगा, घर वाले ही बंटवारा करेंगे, नाक का हम लेंगे, कान का हम लेंगे, हाथ का हम लेंगे, सब लड़ मरेंगे आपस में, गले में पड़ी माला को कोई नहीं पूछेगा ये आपके साथ जाएगी

6.56  भूषन से सब अंग सजावे, रसना (tongue) पर हरि नाम ना आवे, देह पड़ी रह जाए यहीं  पर, फिर कुंडल और नगीना क्या, हरि नाम नहीं तो जीना क्या  

Friday, July 23, 2021

कब तक दुखी रहोगे Change your Lifestyle | SMILE HG Ravi Lochan Prabhu

 


कब तक दुखी रहोगे Change your Lifestyle | SMILE HG Ravi Lochan Prabhu



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0.0 SMILE , S = self care - हम सदैव यही सोचते रहते हैं कि वो मेरे बारे में क्या सोच रहा है दुनिया क्या कहेगी मगर अपने आप को पहचानना हम भूल जाते हैं, ये सोचिये की कृष्ण हमारे  बारे में क्या सोच रहे हैं, गुरु हमारे  बारे में क्या सोच रहे हैं

1.40 माथे पर तिलक लगाना चाहिए नहीं तो माथा शमशान लगता है,

3.40 तिलक में श्रीकृष्ण के दो चरण हैं और नीचे तुलसी, शर्म मत करिए ये तो गर्व की बात है

6.10 M for MIND & BODY CARE, चिंता में व्यक्ति बहुत बार मरता है और चिता में केवल एक बार

7.05 जैसे कोई TV में चैनल मन पसंद नहीं आ रहा तो channel change करते हैं ऐसे ही skip करिए negative thoughts को

9.50 यह हम जो दुख सुख भोग रहे हैं यह सब temporary है dream है reality नहीं है श्री कृष्ण के साथ संबंध ही reality है

12.28 I for IDENTITY CRISIS

12.43 हमारी life में smile ना आने का मुख्य कारण है हमें identity अपनी पता नहीं होती

12.49 जीव नित्य कृष्ण दास

13.0 अगर आपने मैथ्स Maths में assumptions गलत कर ली तो उत्तर गलत ही आएगा दुख मई आएगा

13.17 हम कब कहते हैं कि व्यक्ति पागल हो गया वह अपने आप को भूल गया है

13.38 भक्ति करने का मतलब यह नहीं कि सब कुछ छोड़ना है मगर कृष्ण से जोड़ना है

14.01 L FOR LEARNING

14.56 road पर लिखा था धीरे धीरे चलोगे तो मिलेंगे बार-बार,  तेज तेज चलोगे तो मिलेंगे हरिद्वार

15.25 E FOR EXPERT CONVERSATION with mind


Thursday, July 22, 2021

BODY / SPIRIT SOUL कब तक शरीर को चाटते रहोगे HG Ravi Lochan Prabhu

 

BODY / SPIRIT SOUL | कब तक शरीर को चाटते रहोगे | HG Ravi Lochan Prabhu

https://www.youtube.com/watch?v=1WGe5F7pVGA

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BODY SPIRIT SOUL कब तक शरीर को चाटते रहोगे HG Ravi Lochan Prabhu.mp4

0.0 भगवान अर्जुन से कह रहे है की इन तीनों गुणों से ऊपर उठो और ये तीन गुण है सतोगुण रजोगुण और तमोगुण

0.14 और प्राया (most often) सभी व्यक्तियों में इन तीनों गुणों का मिश्रण होता है केवल एक गुण ही हो ऐसा नहीं होता है

0.24 सुबह जल्दी उठना, ये सात्विक गुण है

1.02 और यही व्यक्ति दिन में रजोगुणी हो जाता है बहुत परिश्रम करता है नौकरीपेशा में घर में आके tuition भी करना चाहता है, side income के लिए

1.35 वह ये नहीं सोचता कि मेरे पास जो खाली समय है शाम को उसमें भगवद गीता या श्रीमद भागवत पढ़ लूँ, भगवान का नाम ले लूँ

1.45 वही व्यक्ति जो सुबह सतोगुण में था, दोपहर को रजोगुण में था, रात को नींद नहीं आती क्योंकि बहुत चिंता लिये हुए हैं सबकी, इसलिए drink करता है

2.02 इसलिए भगवान अर्जुन से कह रहे है की इन तीनों गुणों से ऊपर उठो

2.12 जैसे हम भागवत कथा करते हैं उससे पहले ये कहते है "ओम नमो भगवते वासुदेवायः"

Vasudev Sankarshana Pradyumna Aniruddha These are the four controllers of the four gunas.

2.38 ये जो तीन गुण हैं सतोगुण रजोगुण और तमोगुण, इनके ऊपर है विशुद्ध सत्व और वासुदेव इस विशुद्ध सत्व को control करते हैं

3.07 जब तक कोई व्यक्ति इन तीनों गुणों से ऊपर नहीं उठेगा वो भगवान की कथा समझ नहीं पाएगा, इसलिए इन तीनों गुणों से ऊपर उठना हमारे लिए बहुत जरूरी है

3.20 उदाहरण के लिए : जैसे एक व्यक्ति को दिल्ली से बैंगलोर जाना है, जब तक वो व्यक्ति घर में है तमोगुण में है, रजोगुण का मतलब है कि व्यक्ति घर से बाहर निकल गया है airport जाने के लिए, सत्व गुण का मतलब वो airport पर पहुँच गया है, व्यक्ति plane में take off र गया यानी उसने विशुद्ध सत्व को प्राप्त कर लिया

4.26 तात्पर्य ये की सत्व गुण में बिना पहुँचे वो विशुद्ध सत्व को प्राप्त नहीं कर सकता

4.45 इसलिए भक्तों को मुख्यता बोला जाता है कि सुबह सुबह जल्दी उठिये, क्योंकि यदि सुबह जल्दी नहीं उठे तो सत्वगुण में नहीं रह पाएंगे

5.24 जब तक कोई व्यक्ति सतोगुण में नहीं आएगा भागवत संदेश को नहीं समझ पाएगा, रजोगुणी व्यक्ति एक जगह टिक के बैठ नहीं सकता  

6.04 जब तक कोई व्यक्ति सतोगुण में नहीं है तब तक वो purpose of human life समझ नहीं पाएगा

6.18 क्योंकि रजोगुणी या तमोगुणी व्यक्ति जो important है उसे neglect करता रहेगा और जो neglect करना चाहिए उसे important & urgent समझकर करता रहेगा

6.31 जैसे एक शराबी व्यक्ति भगवान के भक्ति भजन की तरफ देखेगा भी नहीं, उसकी भगवान में कोई रुचि नहीं होगी

6.38 जगाई और मधाई की कथा - https://www.jagran.com/politics/national-know-about-jagai-and-madhai-brothers-of-west-bengal-18932392.html   कौन थे जगाई-मधाई -

वो मांस और मदिरा का सेवन करते थे। गांव की औरतों का पीछा करते थे। ब्राम्हण होने के बावजूद वो पूरी तरह से पथभ्रष्ट हो चुके थे। एक बार चैतन्य महाप्रभु के शिष्य नित्यानन्द प्रभु उनके पास आए और जगाई-मधाई बंधुओं से कहा कि वो इन दुर्व्यसनों को छोड़ कर हरि के नाम में डूब जाओ ....

7.31 और ये मत सोचिए की जगाई-मधाई कोई और हैं, ये हम ही हैं, ये मत सोचिए की हम बहुत महान आत्माएं हो गई है

7.41 external devotee बनना तो बहुत आसान है मगर internal devotee बनना कठिन, जो price pay करना होता है वो हर किसी के बस की बात नहीं है

8.24 क्योंकि internal devotee को बहुत सारे challenges से संघर्ष करने पड़ते हैं प्रति दिन, रोज़ सुबह जल्दी उठना और मन को समझाना की जाप करना है, गीता या भागवत पढ़नी है और श्रीकृष्ण प्रसाद के अलावा कुछ नहीं खाना है,

8.49 ऐसे में मन revolt (बगावत) करता है, मन कहेगा आपको अरे नींद पूरी करो सो जाओ, असल में मन ही थका हुआ है, मन हमारे अंदर एक inbuilt असुर (राक्षस / demon) है  

9.29 कंस की दो पत्नियां थीं अस्ती और प्राप्ति -ऐसे ही हमारे राक्षस मन की दो पत्नियां हैं अस्ती और प्राप्ति - अस्ती यानि आस्ते (धीरे धीरे), मन कहता है तेरे को जल्दी क्या है, जब भी भजन करना हो मन कहता है आज करे सो कल कर, कल करे सो परसों, जल्दी क्या है काम की जब जीना है बरसों, "आस्ते" यानि तमोगुण

10.08 दूसरा प्राप्ति यानी greed - ये रजोगुण है, इस प्रकार रजोगुण और तमोगुण दोनों राक्षसी मन की पत्नियां हैं

10.27 इस प्रकार ये मन हमें बार बार गलत दिशा की तरफ प्रेरित करता है जो important है उससे neglect कराता है, और जो neglect करना चाहिए, उसे important & urgent कह कर कराता है

10.53 भगवान के जप के समय मन इधर उधर भटकाता है, स्वप्न दिखाता है की मेरी भी एक कोठी होगी, जिसमें मैं मंदिर बनाऊंगा मगर जब वास्तव में कोठी होगी तो मंदिर नहीं बनाएगा, बल्कि एक liquor bar बनाएगा

11.40 भगवान के जप के समय मन active mode में आ जाता है, और हम भी इसे साथ साथ relish (आनंद लेना) करने लग जाते हैं

12.0 ये तीन गुण सतोगुण रजोगुण और तमोगुण ही सब कार्य हम से करवा रहे हैं जीवात्मा का इन तीन गुणों से कुछ लेना देना नहीं है, रजोगुण और तमोगुण के कारण हम purpose of human life भूल चूके हैं, जो important है उसे हम neglect करते हैं

12.35 हाँ हमारे पास दो ही options हैं material body और spirit soul, यदि आप से पूछें कि इनमें से क्या important है तो आप कहेंगे spirit soul, मगर हम importance किसको देते हैं  material body को, क्योंकि हमें मालूम है की ये material body नश्वर है खत्म हो जाएगी, मगर spirit soul  अमर है

14.37 जब हम नारियल खरीदते हैं तो जो ऊपर का shell होता है हमें उससे कोई मतलब नहीं होता केवल अंदर का पानी पीना होता है, ऐसे ही हमारा शरीर जो एक दिन फेंक दिया जायेगा मगर spirit soul important है, valuable क्या है love of Godhead (जिसका अंश है हमारी spirit soul)

16.0 यदि आत्मा शरीर से निकल गयी तो और शरीर का कुछ value नहीं है

16.25 जैसे कोई पति पत्नी दोनों प्रेम करते थे, पति का देहांत हो गया तो क्या पत्नी पति के शरीर को घर में रखेगी नहीं आधा घंटा भी नहीं

17.25 हम अच्छी तरह जानते हैं की आत्मा के बिना शरीर की कोई worth / value नहीं है, लेकिन तमोगुण और रजोगुण के कारण , हमारा मन जो important है उससे neglect कराता है, और जो neglect करना चाहिए, उसे important & urgent कह कर कराता है

18.04 माया के तीन गुणों की वजह से हम हमेशा childish mentality में रहते हैं

18.17 जनम से हर कोई ही शूद्र है (Brahmins: Vedic scholars, priests or teachers. Kshatriyas: Rulers, administrators or warriors. Vaishyas: Agriculturalists, farmers or merchants. Shudras (शूद्र) : Artisans, laborers or servants.)  

18.24 घर में जब fridge आता है और packing खुलती है तो बच्चे को fridge में interest नहीं होता मगर जो thermocol निकलती है उसमें interest होता है जबकि thermocol की तो 0 value है

 

19.0 आप बच्चे के सामने दो options दे दीजिए, 2 रुपये की toffee और Rs 2000 का नोट, तो बच्चा toffee ही लेगा क्योंकि उसे Rs 2000 की value नहीं पता

 

18.50 ऐसे ही हम लोग हैं जिसके लिए मानव जन्म मिला, जो अमूल्य है - भगवान प्राप्ति के लिए - उसे भूलकर सिर्फ शरीर पोषण में लग गए जिसकी 0 value है

19.12 ऐसे ही बच्चों जैसे ही हम सब childish mentality में रहते हैं, हम जानते हैं की क्या सही है मगर मानते नहीं है

19.25 हमारे लिए इस ज्ञान को विज्ञान बनाना बहुत जरुरी है, ये यानी time to time हमें बार बार इसे स्मरण करना चाहिए ( कि हम आत्मा हैं शरीर नहीं - "This body is temporary")

20.00 ये रूप की सुंदरता धीरे धीरे सब खत्म हो जाती है, मगर हम पूरा जीवन शरीर की सुंदरता में ही निकाल देते हैं childish mentality में

20.34  एक थैले में हम गुलाब जामुन ले कर आते हैं और जब उन्हें निकाल लेते हैं तो थैले को फेंक देते हैं, ऐसे ही हमारा शरीर है थैले की तरह

20.55 ऐसे ही शरीर के अंदर आत्मा जो है उसको हम neglect करते रहते हैं और शरीर जो केवल एक थैली (bag) है उस को पुष्ट करते रहते हैं, इसलिए अंदर की आत्मा दुखी है

21.40 एक माता जी तोते को खरीद के लायी, पिंजरे (cage)  के साथ, तोते में उनको इतना लगाव था कि पिंजरे को gold polish रोज़ करती, कुछ दिन में तोता मर गया, दुकान के पास गई उसने पूछा तोते को क्या खिलाया था, माताजी ने कहा तोते को तो कुछ खिलाया ही नहीं, क्या उसको भी कुछ खिलाना होता है ? वैसे ही हमने अपनी आत्मा को तो कुछ खिलाया ही नहीं, कुछ भोजन नहीं दिया यानी भगवान का नाम / कथा / भजन आत्मा को नहीं दिया,

23.13 ऐसे व्यक्ति को कहते हैं की आपकी आत्मा "मर" गयी है, यानी उनकी रुचि सही कार्यों की तरफ नहीं होती,  हर सही चीज़ को गलत और हर गलत चीज़ को सही देखते हैं और सही prove करने की कोशिश भी करते हैं

23.33 एक लड़के को बहुत सुंदर लड़की दिखाई दी, बात करने पर लड़की ने कहा अच्छा 10 दिन में मेरे घर पर आना, मगर 10 दिनों में लड़की ने कुछ गलत पदार्थ खाए, मल मूत्र त्यागा, उलटी करी, सब इकट्ठा करके containers में रख लिया, जब लड़का आया तो देखा कि लड़की तो सुन्दर नहीं रही, लड़की ने कहा अब तुम्हें दिखाती हूँ मेरी सुंदरता और सारे मल मूत्र के containers दिखाए

25.15 "beauty is skin deep" - 1 millimetre skin यदि उतार ली जाए तो नीचे सब एक ही तरह के कुरूप (ugly) हैं जिसे कोई देखना नहीं चाहेगा

25.35 जो व्यक्ति तमोगुण में होता है वो इसी शरीर की सुंदरता को सब कुछ मानता है    

25.50 सतोगुणी लोग ज्ञान अर्जित करने के प्रयास में रहते हैं

25.59 जो भी शुद्ध सत्व में है केवल ज्ञान नहीं विज्ञान (practical application of knowledge) में रुचि रखते हैं, वो केवल कहते नहीं हैं कि  नाम जप करो वो नाम जप करते हैं, वो केवल कहते नहीं हैं कि गीता पढ़नी चाहिए, वो गीता पढ़ते हैं, वो केवल कहते नहीं हैं कि भगवान के संदेश का प्रचार करना चाहिए, वो प्रचार करते हैं

26.26 राजसिक व्यक्ति केवल greedy (लालची) होता है, एक दूसरे की टांग खींचना, back biting करना

26.36 तामसिक व्यक्ति ये क्या लक्षण हैं ignorance में रहना, शराब पीना, कहीं भी पढ़ें रहना, कभी भी सो जाना, कभी भी उठ जाना, कुछ भी खा लेना

27.32 अगर हम जानते हैं कि कोई bank bankrupt हो गया है, और हम उसमें पैसा deposit करते हैं तो क्या हम intelligent हैं ? और हम दिन रात यही कर रहें हैं और नतीजा क्या आता है दुख चिंता, injustice की feeling    

28.11 यदि soul healthy रहेगी तो body भी naturally healthy रहेगी

28.18 आप वृन्दावन जाइए, 70 साल के लोग गोवर्धन की परिक्रमा कर रहे होते हैं, श्री प्रभुपाद 70 साल की आयु में अमेरिका गए

29.03 purpose यही है हमारा "तमसो मां ज्योतिर्गमय" - from "darkness to light"

29.09 "light on darkness gone"

29.21 क्या आपने कभी ऐसी जगह देखी है जहाँ पर light भी हो और darkness भी हो, नहीं

29.40 "कृष्णा सूर्य सम (like), माया है अंधकार" - जहाँ कृष्ण होंगे वहाँ माया नहीं ठहर सकती

29.55, 30.26 इसलिए यदि हम अपना अंधकार दूर करना चाहते हैं तो हमें श्रीकृष्ण की शरण में जाना होगा

30.05 हमें अंधकार से डर क्यों लगता है, क्योंकि जीव का स्वभाव प्रकाश मई है

30.40 मान लो किसी कमरे में 10 साल से अंधेरा है और अभी आपने tubelight चला दी तो कितना समय लगेगा रौशनी होने में, एक सेकंड से भी कम

30.50 ऐसे ही हमारे हृदय में जो जन्मों जन्मों से अंधकार है, श्रीकृष्ण के हृदय में आते ही प्रकाश हो जाएगा, मोह नष्ट हो जाएगा और ये स्मृति मिलेगी कि हम श्रीकृष्ण के नित्य दास हैं

31.27 अर्जुन श्री कृष्ण से यही कह रहे हैं कि आपकी संगति से और आपकी कृपा से मेरा सब मोह खत्म हो गया मेरा अंधकार दूर हो गया, मैं समझ चुका हूँ कि what is my duty & responsibility

 

31.42 अभी तक मैं जो important है उसे neglect करता था और जो neglect करना चाहिए था, उसे important & urgent कह कर करता था

32.05 जो आप (श्री कृष्ण) कहेंगे मैं (अर्जुन) वही करूँगा

32.12 उन्नत भक्त की यही पहचान है की कितना श्री कृष्ण के वचनों पर चलेंगे

32.43  वही कृष्ण श्री चैतन्य महाप्रभु के रूप में आकर कह रहें हैं 4 कि हरी नाम का जप करो

32.52 श्रीकृष्ण यही कह रहे हैं  कि सब धर्मों को त्यागकर मेरी शरण में आ जाओ, क्या हम इसके लिए तैयार हैं ?