Tuesday, November 9, 2021

भगवान होते है 15 दिन के लिए बीमार - by Indresh Ji

भगवान होते है 15 दिन के लिए बीमार - by Indresh Ji

God becomes ill for 15 days https://youtu.be/OEpSetbtqN0

Important Points, vide :

sr 6: How God helps His bhaktas, serving them Personally

sr 11: One has to undergo reactions of one's sins & pious deeds here in this material world

sr 12 & sr 14: How God wants His devotee to undergo all punishments (due to prior sins) in one go so that he does not have to be reborn again in any mother's womb

sr 16 & sr 19: God is willing to undergo pains Himself on behalf of devotee

sr 22: God wants us not to be attached to this world & wants us back to His Abode

sr 28: Time, like a big snake, is ready to devour us any moment it feels like - at that time we die

sr 30: Difference between a common man and a devotee is that common man sees everything from karma point of view whereas the devotee sees God's will in everything


1 श्री जगन्नाथ जी में एक भक्त हुए "माधव दास", माधव दास जी ठाकुर जी की सेवा करते थे बहुत प्रेम और भाव से, अकेले रहते थे कोई उनके पास रहता नहीं था, नित्य सुबह चले जाना श्री जगन्नाथ जी का सुंदर सेवा आदि करना आ सेवा से निवृत्त होकर के घर आ जाना, फिर नाम जप करना और नाम जप के बाद शयन करके पुनः ठाकुर जी की सेवा में व्यवस्थित हो जाना    https://youtu.be/OEpSetbtqN0&t=0 2 एक बार माधव दास जी को एक पेट का एक रोग हो गया जिसके कारण उनको बार-बार शौचालय जाना पड़ता था,  वैष्णव लोग शौआदी में यदि प्रवेश करते हैं तो ठाकुर जी की सेवा में आने से पूर्व स्नान करते हैं , माधव दास जी बेचारे दिन भर में 20 बार शौच जाते और 20 बार स्नान करते और फिर मंदिर में आते, इतने परेशान हो गए कि धीरे-धीरे उनसे सेवा छूट गई  https://youtu.be/OEpSetbtqN0&t=50 3 मन में विचार आया कि अब यह देह ठाकुर जी की सेवा के योग्य बचा नहीं,  अपने घर पर जाकर के रहते थे कोई सेवक नहीं था, अकेले थे, दिन बदन उनकी स्थिति ऐसी होती चली गई कि एक समय ऐसा आया कि वे उठकर के जा भी नहीं पाते थे शौचालय के लिए   https://youtu.be/OEpSetbtqN0&t=105 4 मन में अत्यंत गलानी होने लगी, ना जाने मैंने कौन सा मेरा पाप हो गया जिसके कारण श्री जगन्नाथ जी की सेवा छूट गई  https://youtu.be/OEpSetbtqN0&t=151 5 जगन्नाथ धाम को छोड़ कर के कहीं दूर समुद्र के किनारे बैठ गए और वहीं बैठे बैठे मैले कपड़े हो गए, शुद्धि अशुद्धि का कोई भाव नहीं, वहीं समुद्र के किनारे बैठे थे, बोले अब यही प्राण निकल जाएं, समुद्र जी बहा करके ले जाएंगे, उनको वहीं मूर्छा आ गई https://youtu.be/OEpSetbtqN0&t=181  6 मंदिर में बैठे हुए श्री जगन्नाथ जी के नेत्र सजल हो गए और वह एक नन्हे से बालक का रूप धारण करके समुद्र के किनारे पधारे और श्री माधव दास जी को अपनी गोद में उठा कर के उनके घर ले गए और घर ले जाकर के उनके घर का मार्जन (सफाई) करना, उनके वस्त्रों का मार्जन करना, उनकी सेवा करना, औषधि वैद्य के पास से लाकर के उनको देना, खिलाना करना, इस प्रकार की सेवा सब जगन्नाथ जी करने लगे , एक बालक के रूप में रात्रि में सोते हैं चरण दबाते हैं, उठते हैं तो उनको उठा कर के शौचालय के लिए ले जाते हैं, इस प्रकार से पूरी सेवा कर रहे थे  https://youtu.be/OEpSetbtqN0&t=219 7 माधवदास जी धीरे धीरे धीरे औषधि का सेवन करते करते जब व थोड़े स्वस्थ हुए तो स्वस्थ होकर के उन्होंने देखा कि मेरा घर बिल्कुल स्वच्छ, वस्त्र बिल्कुल स्वच्छ हैं, सब व्यवस्थित हो गया है, मगर ये सब कर कौन रहा है, तभी मुख्य द्वार से एक बालक आया नन्हा सा, सांवरा सलोना बालक, उसका बड़ा बड़ा पेट, बड़ा बड़ा मुख मंडल, उसकी भारी भारी भुजाएं, जैसे जगन्नाथ जी हैं वैसी ही उसकी आकृति, ऊंची धोती और मुख मंडल पर विशाल नेत्र और ऐसी सुंदर आभा उस बालक की  https://youtu.be/OEpSetbtqN0&t=257  8 उस बालक की कुछ क्रियाओं को देख कर के,  उसके मुख मंडल को देख कर के ठाकुर जी कैसे बच सकते हैं, माधवदास जी उसको देखने लगे, उनकी कुछ क्रियाओं को देख कर के उनके चरण कमलों के चिन्हो को देख कर के, उनके मुख की आभा को देख कर के, उनके नेत्रों की सुंदर चपलता को देख कर के व पहचान गए कि निश्चित ही श्री जगन्नाथ जी हैं, तुरंत हाथ पकड़ लिया  https://youtu.be/OEpSetbtqN0&t=310 9 बोले प्रभु मैं पहचान गया हूं आप कौन है, तुरंत श्री जगन्नाथ जी रूप में प्रकट हो गए और जगन्नाथ जी कहने लगे माधव दास तुम चिंता मत करो तुम्हारा कोई अर्चक नहीं है, कोई सेवक नहीं, तुम्हारी कोई व्यवस्था नहीं थी, इसलिए मैं ही तुम्हारी सेवा में लगा था और हर प्रकार से तुमको व्यवस्थित करने का, तुम चिंता मत करो कुछ दिन की बात और है पर कुछ दिन बाद तुम्हारा बढ़िया शरीर हो जाएगा फिर से तुम सेवा में आ जाना, माधव दास जी रुदन करने लगे, नेत्रों से अश्रु धार बहने लगे  https://youtu.be/OEpSetbtqN0&t=335  10 बोले प्रभु आप यह सब क्रियाएं क्यों कर रहे हैं, मेरे वस्त्रों को धोना मेरे घर का मार्जन करना, मेरा मार्जन करना, ये आपके लिए कर्म नहीं, आप इस स्तर तक क्यों मेरी सेवा में लगे हैं, क्यों मेरे को इतना प्रेम कर रहे हैं, और यदि मैं अस्वस्थ हूं मेरे अंदर कोई दोष आया है, मुझे कोई असुविधा हो रही है तो फिर मेरी मृत्यु क्यों नहीं होने देते, आप निर्णय क्यों नहीं लेते कि क्या करना है, आपके द्वारा इस प्रकार की क्रिया, मैं क्या, कोई भी भक्त स्वीकार नहीं करेगा https://youtu.be/OEpSetbtqN0&t=393  11 जगन्नाथ जी ने उत्तर दिया, बोले देखो माधव दास, तुम्हारे पूर्व जन्म के किसी प्रारब्ध के कारण तुम्हारे जीवन में संकट आया है और वह तुमको भोगना ही पड़ेगा उसको मैं चाह कर के भी दूर नहीं कर सकता, यदि मैंने दूर कर दिया तो बचे हुए दिन के जो संकट है, उनको भोगने के लिए तुमको पुनः जन्म लेना पड़ेगा, इस जन्म में तुम्हारी मुक्ति संभव नहीं हो पाएगी  https://youtu.be/OEpSetbtqN0&t=425  12 फिर से मां के गर्भ में आओगे, फिर से जन्म लोगे, फिर से भोगोगे, उसके बाद ना जाने कितने वर्ष का समय लगेगा तब जाकर के तुम्हारी मुक्ति होगी, इसलिए मैं अपने भक्तों को कष्ट संकट एक ही जन्म में दे देता हूं, बहुत मात्रा में दे देता हूं एक साथ दे देता हूं, ताकि उनका इसी जन्म में भोग करके वह अपने इस जन्म से मुक्त हो जाएं, प्रारब्ध से मुक्त हो जाएं  https://youtu.be/OEpSetbtqN0&t=467  13 माधव दास जी बोले तो फिर अब क्या किया जाए, मुझे आपसे सेवा करवानी स्वीकार नहीं है, और आप मेरे प्रारब्ध को दूर करोगे नहीं, तो फिर क्या किया जाए, मेरी मृत्यु होने नहीं दोगे मृत्यु होगी तो फिर जन्म लेना पड़ेगा, बचे हुए प्रारब्ध कौन भोगे https://youtu.be/OEpSetbtqN0&t=516  14 जगन्नाथ जी बोले एक ही रास्ता है, क्या, बोले मुझसे सेवा करवा लो, माधव दास जी बोले मैं वो होने नहीं दूंगा, उससे बढ़िया तो मैं पुनः जन्म ले लूं, भगवान बोले वोह मैं नहीं होने दूंगा कि तुम्हारा पुन जन्म हो https://youtu.be/OEpSetbtqN0&t=539  15 माधव दास जी रुदन करने लगे, क्या करूं सेवा करवाऊं या मृत्यु को प्राप्त हो जाऊं, माधवदास जी को अत्यंत दुखी देख कर के श्री जगन्नाथ जी बोले तो फिर एक तीसरा रास्ता और है https://youtu.be/OEpSetbtqN0&t=561  16 बोले तुम्हारा 15 दिन का कष्ट रह गया है, सेवा तुम करवाओगे नहीं, तो एक काम करता हूं तुम्हारे 15 दिन के कष्ट को मैं ले लेता हूं, और अब जितना भी तुमको ज्वर बुखार आदि और जो भी तुमको पीड़ा है वह सब मुझे होगी और 15 दिन तक जगन्नाथ मंदिर बंद रहेगा, ना भात बनेगी, ना दाल बनेगी ना चूल्हा जलेगा केवल औषधियों का भोग लगेगा और 15 दिन तक यह पीड़ा मैं सहन करूं, यही एक मात्र रास्ता है https://youtu.be/OEpSetbtqN0&t=585   17 माधव दास जी और रोए, बोले, प्रभु ऐसा मत करो, भगवान बोले अब जिद मत करना इसके अलावा कोई और रास्ता नहीं, श्री जगन्नाथ जी गए और महाराज जेष्ठ पूर्णिमा के दिन खूब घड़ों से स्नान करने के बाद में, ठाकुर जी ने अपने आप को माधव दास जी की जो पीड़ा थी व अपने ऊपर लेकर के स्वयं को ज्वर से युक्त कर लिया  https://youtu.be/OEpSetbtqN0&t=615  18 और 15 दिन तक उस पीड़ा को ले के बाद ठाकुर जी ने निर्णय ले लिया, अब हर वर्ष मेरे इस भक्त की स्मृति बनी रहे, हर वर्ष 15 दिन के लिए हम अपने भक्त की स्मृति में बीमार होंगे, ऐसे श्री जगन्नाथ महाप्रभु हैं कि मेरे भक्त का किसी भी प्रकार से पतन  ना हो जाए इसका बहुत विशेष ध्यान रखते हैं ठाकुर https://youtu.be/OEpSetbtqN0&t=656  19 हमारे साथ जो कुछ भी हो रहा है, जो भी क्रिया हो रही है, उस सब में ठाकुर जी ने हमारा सद्भाव सोच के रखा है, उसको भोग लो, यदि कोई वैष्णव भक्त क्रिया भी करता है कि मेरे ऊपर आई विपत्ति से मैं बचू, इसको ना भोगूँ तो कहीं ठाकुर जी उसको अपने ऊपर ना ले लें, इसका विशेष ध्यान रखें भक्त https://youtu.be/OEpSetbtqN0&t=691 20 यह एक लकड़ी के ठाकुर जी हैं, ऐसा भाव कभी मत रखना, साक्षात इस कलिकाल में साक्षात कन्हैया, साक्षात श्रीमन नारायण, साक्षात ठाकुर जी के रूप में, श्री जगन्नाथ जी विद्यमान हैं  https://youtu.be/OEpSetbtqN0&t=728  21 ठाकुर जी इसी इसी जेष्ठ पूर्णिमा के दिन ठाकुर जी स्नान करने के बाद में, गणपति भेष धारण करते हैं, गणेश जी जैसी लंबी सूंड, गणेश जी जैसी लंबे लंबे कान, यह भी भक्त की प्रसन्नता के लिए  https://youtu.be/OEpSetbtqN0&t=754  22 जब भी कोई समुद्र में प्रवेश करता है तो समुद्र की विपरीत दिशा में श्री जगन्नाथ जी हैं, जो भी समुद्र में प्रवेश करता है, समुद्र को एक प्रकार से संसार सागर कहा गया है, मतलब संसार मायावी है, माया को सागर कहा गया है, जो भी समुद्र में प्रवेश करता है, मतलब माया में प्रवेश करता है, समुद्र रूपी वो माया उठा कर के उसको फेंक देती है बाहर, बोले यहां संसार सागर में तू मत जा, जगन्नाथ जी की शरण में ही रह https://youtu.be/OEpSetbtqN0&t=819  23 कोरोना की फर्स्ट लहर जब आई थी, पूरे विश्व के एक भी ठाकुर जी ऐसे नहीं थे जिनका दर्शन सुलभ हो पाया हो, केवल जगन्नाथ जी थे रथ पर बैठ कर के पूरे विश्व को दर्शन दिया,रथ यात्रा उनकी नहीं रुकी, सबने अपने घरों में बैठकर चलचित्र के माध्यम से श्री जगन्नाथ जी का दर्शन किया https://youtu.be/OEpSetbtqN0&t=901  24 तीन प्रकार के ताप का नाश करने वाले, श्री जगन्नाथ जी हर प्रकार के ताप का समन्वय (solve) करते हैं हर प्रकार के ताप का नाश करते हैं  https://youtu.be/OEpSetbtqN0&t=936  25 जगन्नाथ जी के कानों का दर्शन क्यों नहीं होता  https://youtu.be/OEpSetbtqN0&t=995  26 भक्त का और भगवान का हृदय एक है, भक्त के मन में कोई अभिलाषा प्रकट होती है, ठाकुर जी के हृदय में अपने आप वो भाव आ जाता है, बोलने की जरूरत नहीं है, जब भी कोई भक्त आर्त भाव से ठाकुर जी का स्मरण करता है, ठाकुर जी का हृदय तुरंत कहता है कि अब चलो इसके पास, तो श्री जगन्नाथ जी उसकी रक्षार्थ दौड़ते हैं  https://youtu.be/OEpSetbtqN0&t=1026  27 कहीं बलभद्र जी (बलराम जी), सुभद्रा जी, लक्ष्मी जी आदि परिकर के लोग कहीं किसी भी प्रकार से रुकावट ना बन जाएं, कहीं यह ना कह दे अरे वहां मत जाइए, वह भक्त आपके लायक नहीं है, वह स्थान आपके लायक नहीं है, ऐसी स्थिति में आपको नहीं जाना चाहिए तो किसी की भी बात को सुनने बाधा उत्पन्न ना हो, उसके लिए ठाकुर जी ने अपने कान ही छुपा रखे हैं जगन्नाथ जी के कान क्यों दिखाई नहीं देते क्योंकि वह कान से नहीं सुनते, भक्त के हृदय की बात भगवान के हृदय तक पहुंच जाती है, पुकारने की भी जरूरत नहीं है https://youtu.be/OEpSetbtqN0&t=1053  28 काल रूपी व्याल यानी कि सर्प के मुख में हम लोग ऐसे बैठे हैं, जैसे कोई सर्प का भोजन हैं,हम लोग कब तक जीवित हैं, जब तक सर्प का मुख खुला हुआ है, जैसे सर्प मुख बंद कर लेगा, तुरंत हमारी मृत्यु निश्चित है https://youtu.be/OEpSetbtqN0&t=1152  29 भक्त के हृदय में मृत्यु का भय नहीं होता यही उसे भगवत प्राप्ति में मदद करता है https://youtu.be/OEpSetbtqN0&t=1224  30 एक भक्त और आम आदमी के बीच में यही फर्क है, आम आदमी हर परिस्थिति को अपने कर्मों के अनुसार देखता है, और एक भक्त अपनी हर परिस्थिति को भगवान की इच्छा मानता है https://youtu.be/OEpSetbtqN0&t=1278 Standby link (in case youtube link does not work): भगवान होते है 15 दिन के लिए बीमार IIश्री इन्द्रेश उपाध्याय जीII.mp4