Chapter 2 गीता का सार || Gita Course || EP - 4 || HG Amogh Lila Prabhu
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3.0 क्यों मधुसूधन नाम (मधु was first ever hacker, he stole Brahama's knowledge (similarly my knowledge is hacked by confusion, सूधन =killer)
4.20 duty (जिम्मेवारी) से भटक जाते हैं उसको ignorance कहते हैं duty 2 लेवल की होती है शरीरिक और आत्मिक
7.10 यदि गुरु भी अधर्म करता है तो ऐसे गुरु को उसी समय त्याग देना चाहिए नहीं तो गुरु और शिष्य दोनों को नरक मिलता है
8.25 गुरु का मतलब ( गु = ignorance, रु -remover)
10.40 जब तक हम अपनी कमी स्वीकार नहीं करते तब तक spiritual (आध्यात्मिक) मार्ग पर आगे नहीं बढ़ सकते
12.35 अगर लंबा जीना है तो इंद्रियों की तृप्ति कम करनी पड़ेगी और इंद्रियों को संतुष्ट करने में लग गए तो उम्र घाट जाएगी (vice-versa) यानि कुछ ना कुछ कमी तो रहेगी इस जगत में
15.10 ऐसा कभी नहीं था जब यह लोग नहीं थे या आप या मैं नहीं था, हमेशा रहेंगे
15. 50 ऐसा नहीं है कि श्री कृष्ण पहले निराकार थे फिर आकार लिया
18.20 शरीर तो बना है कैल्शियम फास्फोरस वगैरह से, जो कि पहले ही मरे हुए हैं, there is nothing called death
21.30 एक राजा ने कहा मुझे ऐसी चीज दो कि जब मैं दुखी होऊँ तो फिर से सुखी हो जाऊँ , जब मैं सुखी होऊँ तो फिर से दुखी हो जाऊँ, तो मंत्री ने एक अंगूठी दी जिसपर लिखा था "यह समय भी बीत जाएगा"
22. 25 सम रहना सीखना होगा
25.30 मरने के बाद शोक सभा नहीं स्मृति सभा नाम होना चाहिए
28.50 यह नहीं कहना चाहिए कि मेरा जन्मदिन इस दिन को हुआ था (date of birth) यह कहना चाहिए कि मैंने इस शरीर में इतने साल बिता दिए
30.0 आत्मा परमात्मा में मिलती नहीं है
32.44 आत्मज्ञान, कि आत्मा कभी मर नहीं सकती जल नहीं सकती, से self-confidence बड़ता है
33.25 कोई भी motivational मोटिवेशनल स्पीकर यह बात नहीं बताता है इसलिए वह fake है
37.50 अगर मान लें कि कोई आत्मा नहीं होती तब भी शरीर है तब भी कोई अफसोस की बात नहीं है शरीर तो केवल bio chemical है, शरीर की मृत्यु यानि जैसे सब्जी धोते हुए पालक बह गई
38.25 Buddhism explained
42.15 किसी भी चीज को समझने के लिए उसके ऊपर (transcend) आना पड़ता है, इसलिए जब तक कृष्णा के सेवक स्तर (level) पर नहीं आते तो soul का समझना मुश्किल है
44.25 क्षत्रिय का मतलब समझाया है
51.34 जब आप किसी कर्म को कर्तव्य (duty towards Lord) (यानि निष्काम) मानकर करते हो तो कर्म बंधन नहीं करता, अपने कर्म फल से, मगर यदि selfish enjoyment के लिए करते हो तो कर्म बाँधता है, अपने कर्म फल से
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- व्यक्ति का पतन क्यों होता है, why does a person fall down in bad habits & misery
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- *How to get peace & bliss* ...
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