ठाकुर जी (श्री कृष्ण) को एकादशी क्यों प्रिय है by Indresh Ji https://www.youtube.com/watch?v=_fbvzVjrFWs 1 ठाकुर जी को अकेली एकादशी नहीं, सारे दिन ही प्रिय हैं https://www.youtube.com/watch?v=_fbvzVjrFWs&t=10 2 वैष्णव का करवा चौथ है एकादशी, जैसे करवा चौथ के दिन पत्नी व्रत करती है तो पति को बढ़िया लगता है (एसे ही वैष्णव भक्त जब एकादशी का व्रत रखते हैं तो भगवान को अच्छा लगता है) https://www.youtube.com/watch?v=_fbvzVjrFWs&t=26 3 जिस दिन आप अन्य सेवन नहीं करते हैं, उस दिन आपकी एक दिन की आयु बढ़ जाती है क्योंकि हमारी आयु दो चीजों से घटती है, (1) ज्यादा बोलने से और (2) ज्यादा खाने से https://www.youtube.com/watch?v=_fbvzVjrFWs&t=51 4 लोग मुझे देख कर के हंस रहे हैं, बोले आप तो चार घंटा बोलते हो, आपकी आयु तो बहुत कम होगी, हमारे शास्त्र आज्ञा करते हैं कि जब आप भगवत वचन बोलते हो, तब आप मौन ही माने जाते हो (पूरा समय हम भागवत चिंतन और बातचीत में ही बिताते हैं, यानी पूरा दिन हम मौन ही रहते है हैं) ; जब आप समाज की बातें करते हो, किसी की निंदा स्तुति करते हो, तब आपकी बोलने की गणना होती है https://www.youtube.com/watch?v=_fbvzVjrFWs&t=76 5 एकादशी के दिन पाप का निवास होता है इसलिए व्रत करना चाहिए, दूसरा कारण यह होता है कि अपनी कोई विशिष्ट वस्तु आप ठाकुर जी को अर्पित करो, आप पुष्प अर्पित करो, सुंदर भोग बना के अर्पित करो, सुंदर पोशाक बना के अर्पित करो https://www.youtube.com/watch?v=_fbvzVjrFWs&t=159 6 हमारे पास सबसे बहुमूल्य क्या है, हमारा प्रत्येक दिन का जीवन, इससे ज्यादा बहुमूल्य कुछ नहीं है हमारे पास और जब एकादशी के दिन हम व्रत करते हैं तो पूरे दिन हम कुछ नहीं खाते, मतलब उस दिन की आयु हमारी बच गई और हम ठाकुर जी को देख कर के एकादशी के दिन अर्पित कर देते हैं, मतलब अपनी एक दिन की आयु हमने ठाकुर जी को अर्पित कर, उनको चाहिए नहीं पर हम अर्पित कर देते हैं, इसलिए ठाकुर जी को एकादशी व्रत करने वाले बड़े प्रिय हैं https://www.youtube.com/watch?v=_fbvzVjrFWs&t=180 Standby link (in case youtube link does not work) ठाकुर जी को एकादशी क्यों प्रिया है 🤔 एकादशी के जन्म का क्या विशेष है 🥰🥰.mp4
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Tuesday, November 16, 2021
Monday, November 15, 2021
ठाकुर जी से हमें कैसी ज़िद करनी चाहिए - by Indresh Ji
ठाकुर जी से हमें कैसी ज़िद करनी चाहिए - by Indresh Ji 1 *जैसे एक बालक की जिद होती है, किसी वस्तु के प्रति, जैसे हमारे ठाकुर जी जिद करते हैं यशोदा मैय्या से कि मुझे चंद्रमा खिलौना चाहिए, हमने कभी ठाकुर जी के लिए ऐसी जिद नहीं की* *Just like a child is adamant about something, just like our Lord Krishna insists to Yashoda Maiyya that He wants moon as a toy, we never insisted like this for Lord Krishna* https://youtu.be/2ZbFC1CS_CU&t=296 2 *एकादशी का मतलब खाली व्रत नहीं, एकादशी का मतलब है कि हमारी श्री कृष्ण से मिलने की उत्कंठा (तीव्र अभिलाषा, strong desire) बड़े, उपवास (उप (समीप, नजदीक)+वास) बड़े, ताकि हम ठाकुर जी (श्री कृष्ण) के समीप वास करने लगें* *Ekadashi does not mean just fasting, Ekadashi means that our eagerness to meet Shri Krishna (strong desire) should increase, our nearness to God Krishna should increase* https://youtu.be/2ZbFC1CS_CU&t=330 3 *हमारा श्री कृष्ण से संबंध तो है, बस हम भटक गए हैं, हम खो गए हैं, हम इस संबंध को जान, पहचान नहीं पा रहे (और यही भूल हमें 84,00,000 योनियों में भटका रही है)* *We do have a relationship with Shri Krishna, but we have strayed, we are lost, we are unable to know and recognize this relationship (and this blunder is making us wander in 84,00,000 births)* https://youtu.be/2ZbFC1CS_CU&t=418 Standby link (in case youtube link does not work) ठाकुर जी से हमें कैसी ज़िद करनी चाहिए II श्री इंद्रेश उपाध्याय महाराज जी.mp4
Sunday, November 14, 2021
कैसे दें अपने Mind को सही Direction? # Kripalu ji maharaj
कैसे दें अपने Mind को सही Direction ? by Kripalu ji maharaj https://youtu.be/k3keskAkUrY 1 हमारे शास्त्रों में, वेदों में, पुराणों में दोनों प्रकार की बातें लिखी हुई है 1. संसार की कामनाओं को छोड़ दो, तब भगवान से अनुराग होगा 2. यह भी लिखा है कि भगवान से अनुराग करो तो संसार की कामनाएं छूटेगीं, अन्यथा नहीं https://youtu.be/k3keskAkUrY&t=66 2 मैंने बहुत बार आप लोगों को ये बताया है कि बंधन और मोक्ष का कारण केवल मन है, यानी संसार की कामना करें, चाहे भगवान की कामना करें, एक मन है, तीसरी कोई side नहीं और उन दोनों side में अटैचमेंट (attachment) करने वाला केवल मन है, दूसरा कोई और है ही नहीं https://youtu.be/k3keskAkUrY&t=165 3 हमारी पंच प्रकार की कामनाएं हैं: आंख की कामना, कान की कामना, नासिका की कामना, रसना (जीभ) की कामना, त्वचा की कामना, बस छठी कोई कामना हो ही नहीं सकती, मनुष्य हो, पशु हो, पक्षी हो, इन पांच प्रकार की कामनाओं की पूर्ति के द्वारा हम आनंद चाहते हैं https://youtu.be/k3keskAkUrY&t=291 4 पांचो ज्ञानेंद्रियां, यानी जिनसे सब कामनाएं पैदा होती हैं, वह सब माया से बनी हैं और मन भी माया से बना है, और यह संसार भी माया का बना है, यानी तो दोनों सजातीय (of the same breed) हैं, इसलिए संसार में मन का attachment natural हो जाता है https://youtu.be/k3keskAkUrY&t=368 5 वही पंच प्रकार की कामनाएं यदि हम भगवान के प्रति करें, तो उसी को भक्ति कहते हैं इसका नाम अनुराग (प्रेम) है, बड़ी सीधी सी बात है, गधा भी समझ ले https://youtu.be/k3keskAkUrY&t=418 6 आप कहते हैं पहले बैराग्य करो, संसार की कामना छोड़ो, फिर भक्ति शुरू करो, तो कामना छोड़ दें ? यह कैसे हो सकता है, हमको आनंद दे दो बस कामना छोड़ देंगे संसार की, क्योंकि हमको जो यंत्र मिला है भगवान के यहां से मन, ये ऐसा यंत्र है जो हमेशा चलता रहता है, कभी stoppage नहीं है, उसमें 1 सेकंड को, एक क्षण को भी कोई अकर्म नहीं रह सकता, कामना बनाएगा ही https://youtu.be/k3keskAkUrY&t=654 7 कोई एक कामना तो बनानी पड़ेगी या तो संसार संबंधी या भगवान संबंधी, दो ही तो areas हैं, यदि संसार संबंधी कामना बनाइ, तो फंस गया, क्यों, क्योंकि कामना पूर्ति हुई तो लोभ बढ़ेगा, कामना पूर्ति नहीं हुई तो क्रोध बढ़ेगा https://youtu.be/k3keskAkUrY&t=703 8 दुविधा यह है कि पहले कामना छोड़ो, फिर भगवान की उपासना करो, या भगवान से प्रेम करो, कामना अपने आप छूट जायेगी, तो दोनों ही चीज पहले नहीं होगी पहले तत्व ज्ञान लेना पड़ेगा theory का ज्ञान लेना पड़ेगा चैतन्य महाप्रभु ने कहा है https://youtu.be/k3keskAkUrY&t=939 9 तो देखो तुम कहां गड़बड़ कर रहे हो, जो पांच तरह की कामनाएं हैं पांच इंद्रियों की संसार के प्रति उन्हें को डाइवर्ट कर दो मोड़ दो भगवान की तरफ यही सर्वोत्तम इलाज है https://youtu.be/k3keskAkUrY&t=1043 Standby link (in case youtube link does not work): कैसे दें अपने Mind को सही Direction Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj Pravachan.mp4
Saturday, November 13, 2021
शिष्यों ने तोड़ दिए गुरू जी के पैर - by Indresh Ji
शिष्यों ने तोड़ दिए गुरू जी के पैर - by Indresh Ji
https://www.youtube.com/watch?v=gh4Sj0aD0Jw 1 एक गुरुजी रात्रि में शयन कर रहे थे तो शिष्य उनके चरण दबा रहा था और चरण दबाते दबाते, गुरुजी उससे बात करते जा रहे हैं, तो तुम्हारे खानदान में कितने लोग हैं https://youtu.be/gh4Sj0aD0Jw&t=6 .... 2 पहला उदाहरण : फिर गुरु जी को नींद आ जाती है मगर ज्यों ही शिष्य चरण छोड़ता है, तो फिर से जाग कर दोबारा वही प्रश्न पूछते हैं, जब बहुत बार ऐसा हो गया, सुबह हो गयी पूरी रात पांव दबाता रहा .... 3 गुरु जी ने पूछा कितने भाई हो, गुरु जी हम तीन भाई हैं, गुरुजी उठ गए, बोले रात को तो चार बता रहे थे अब तीन, शिष्य बोला इस प्रकार पैर दबाता रहूंगा, एक (यानी मैं) तो पधार ही जाएगा ना, तीन ही बचेंगे https://youtu.be/gh4Sj0aD0Jw&t=132 4 ऐसा नहीं होना चाहिए, गुरु कैसा भी हो लेकिन आपके भीतर उसके प्रति धैर्य और निष्ठा होनी चाहिए https://youtu.be/gh4Sj0aD0Jw&t=148 5 दूसरा उदाहरण : एक गुरु जी के आश्रम में दो शिष्य पहुंच गए और दोनों शिष्य थोड़े से भोजन भट्ट शिष्य थे, उनको केवल यही प्रलोभन था आश्रम में आने का कि गुरुदेव की थोड़ी बहुत सेवा करेंगे और तीन समय का भोजन मिल जाया करेगा, उन शिष्यों में बुद्धि तत्व थोड़ा कम था https://youtu.be/gh4Sj0aD0Jw&t=194 6 गुरु जी ने विचार किया और उन्होंने दोनों शिष्यों को अपना एक एक पैर बांट दिया, एक शिष्य को अपना दायना पैर दे दिया और दूसरे शिष्य को अपना बाया पैर, बोले अब तुम दोनों इस इन पैरों को दबाया करो और एक दूसरे से होड़ रखा करो, कौन ज्यादा बढ़िया दबाए https://youtu.be/gh4Sj0aD0Jw&t=228 7 एक दिन गुरु जी एक पैर पर दूसरा पैर रख कर के लेटे हुए थे, जिस पैर के ऊपर दूसरा पैर रखा था उस पैर वाला शिष्य आ गया, उसने आकर के गुरुदेव को देखा तो देखा कि मेरा पैर नीचे दबा हुआ है और वो जो दूसरा गुरु भाई है, उसका पैर मेरे ऊपर चढ़ा हुआ है इसकी इतनी हिम्मत, मेरी सेवा वाले पैर पर चढ़ गया ? https://youtu.be/gh4Sj0aD0Jw&t=279 8 अभी रुक अभी बताता हूँ, तुरंत कहां से ना जाने बड़ा सा बांस का डंडा लेकर के आया और गुरुदेव का वह पैर जो उसके सेवा वाले पैर पर था, उसको हटा करके और उसने उठा करके और डंडा देकर के बजाना शुरू किया, गुरुदेव का पैर गुरुजी चिल्ला उठे, चीखे – मंद बुद्धि शिष्य ने गुरु जी का पैर तोड़ दिया https://youtu.be/gh4Sj0aD0Jw&t=307 9 उसके जाते दूसरा शिष्य आया, दूसरे शिष्य ने आकर के देखा तो गुरुजी बेचारे लंगड़ा रहे थे, पैर में से रक्त निकल रहा, पूरा पैर सूझ गया और उसने कहा गुरुदेव, ये मेरे वाले पैर को क्या हुआ, यह सूज कैसे गया https://youtu.be/gh4Sj0aD0Jw&t=360 10 गुरुजी ने सोचा बेचारा यह तो थोड़ा बुद्धिमान है, इसको पूरा वर्णन बता देता हूँ https://youtu.be/gh4Sj0aD0Jw&t=393 11 दूसरे शिष्य ने कहा कि इससे तिगुना ताकत से मारूंगा और गुरु जी का दूसरा पैर जो सही सलामत जो था, उसको पकड़ कर के उसने मारना शुरू किया https://youtu.be/gh4Sj0aD0Jw&t=429 12 दोनों शिष्यों की मूर्खता से गुरु जी पछताए https://youtu.be/gh4Sj0aD0Jw&t=446 13 गुरु श्रेष्ठ है लेकिन शिष्य के अंदर (1) गुरु के प्रति भगवत भाव (2) शिष्यत्व भाव होना चाहिए (3) गुरु के प्रति जिज्ञासा (4) गुरु के व्यवहार के प्रति धैर्य (5) गुरु की सेवा में किसी भी प्रकार का कोई भेद और आलस्य नहीं होना चाहिए https://youtu.be/gh4Sj0aD0Jw&t=451 Standby link (in case youtube link does not work) https://1drv.ms/v/s!AkyvEsDbWj1gndR9Ym9lSlMafdYJQw?e=Jud5Xj
Friday, November 12, 2021
मुझको राधा रमन कर दो ऐसा मगन, रटूँ मैं तेरा नाम आठों याम - by Indresh JI
मुझको राधा रमन कर दो ऐसा मगन, रटूँ मैं तेरा नाम आठों याम - by Indresh JI
https://youtu.be/_VCbc__OG_s 1 हे करुणा निधान मुझ पर कृपा कर रीझिये ब्रिज में बसा के मोहे सेवा सुख दीजिए प्रेम से भर दो मन गाऊँ तेरे भजन रटूँ मैं तेरा नाम आठों याम O Ocean ( निधान) of Compassion (करुणा) ! Be pleased (रीझिये) to shower Your grace on me. Kindly reside me at Brij & let me serve You extensively. Please fill my heart with love so that I sing Your glories. Let me speak Your Name all the time (आठों याम – There are 8 याम in a 24 hours day) https://youtu.be/_VCbc__OG_s?t=120 2 श्री जगन्नाथ के मंदिर में भगवान को छू तो नहीं सकते मगर हमारे भाव तो छू सकते हैं भगवान की प्रत्यक्ष सेवा से कई गुना बेहतर है भाव सेवा आप आंख बंद करके भगवान की खूब सेवा करें भगवान निश्चित उसे अंगीकार (accept) करते हैं We may not be allowed to touch Lord in the temple BUT our feelings do indeed touch Him. Serving & loving God with feelings (भाव) is much better rated than even direct service to Him. You may simply close your eyes & serve Him as much & as extensively you want. Lord surely accepts this loving devotion. https://youtu.be/_VCbc__OG_s?t=320 3 भाव भरे भूषणों से आपको सजाऊं मैं नित्य नव भोज निज हाथों से पवाऊँ मैं Full of loving feelings (भाव भरे), I embellish (सजाऊं मैं) You with decorative jewels (भूषणों). Daily (नित्य) with freshly cooked newer (नव) & newer foods (भोज), I make You eat (पवाऊँ) with my own (निज) hands. https://youtu.be/_VCbc__OG_s?t=377 4 करो जब तुम शयन दाबूँ तुम्हारे चरण रटूँ मैं तेरा नाम आठों याम when You sleep (शयन), I softly massage (दाबूँ) Your feet https://youtu.be/_VCbc__OG_s?t=453 5 तुम्हें देख जियूँ तुम्हें देख मर जाऊँ मैं जनम जनम तेरा दास कहाऊँ मैं रख लो अपनी शरण कर दो मन में रमण रटूँ मैं तेरा नाम आठों याम I live seeing You & die seeing You. Let me be called Your servant (दास) in each birth, in each योनि. Kindly keep me always at Your feet (शरण) and reside joyfully (रमण) in my heart. https://youtu.be/_VCbc__OG_s?t=512 Standby link (in case youtube link does not work): Mujhko RadhaRaman Kardo Aisa magan✨~ Shri Indresh Upadhyay Ji😇 @BhaktiPath.mp4