Srimad Bhagavatam 6.4.25 by HG Amarendra Prabhu, 16 Nov 2022 - Salient Points
Srimad Bhagavatam 6.2.23 by HG Amarendra Prabhu, 12 Sep 2022 - Salient Points
It is all about Krishna and contains list of Holy Spiritual Books, extracts from Srimad Bhagvat, Gita and other gist of wisdom learnt from God kathas - updated with new posts frequently
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मेरो प्यारो नन्द लाल किशोरी राधे deleted ?
Chapter 7
Chapter 8
Chapter 9
Chapter 10
भगवान को प्रसन्न करने का सरल उपाय by Swami Mukundanand
https://youtu.be/4U-A91wjy5E Main Points: 1 एक नौका में कुछ लोग नदी पार कर रहे थे, सामने भँवर आ गया, केवट ने कहा कि यह नौका भँवर की ओर खिंचती जा रही है, यह मेरे कंट्रोल से बाहर चली गई है, आप लोग भगवान से प्रार्थना करो, अब तो भगवान ही बचाए, वहां पर जो 101 लोग थे नौका में, हलचल मच गया, एक जो दुर्गा जी का उपासक था उसने दुर्गा सप्त शती को निकाला, उसको पढ़ने लगा, हनुमान जी के उपासक ने हनुमान चालीसा शुरू कर दिया, श्री कृष्ण भक्त अपना हरे कृष्ण हरे कृष्ण बोले, कोई जय सिया राम बोले, कोई ओम नमः शिवाय, एक साधु बाबा था नौका में, उसने अपना कमंडल और नदी का जल लेकर, नौका में भरने लग गया जय सियाराम जय सियाराम जय सियाराम, लोगों ने कहा महात्मा जी आप क्या कर रहे हैं, वैसे ही इतनी नाजुक स्थिति है और आप हमको मरवाने की व्यवस्था में लगे हैं, महात्मा जी कुछ सुना ही नहीं अपनी स्पीड को बढ़ा दिया जय सियाराम जय सियाराम https://www.youtube.com/watch?v=4U-A91wjy5E&t=43 2 10 मिनट के बाद केवट ने घोषणा की कि भँवर तो दूर हो गया, चिंता की बात नहीं है, सब ठीक है, अब महात्मा जी नौका में पानी भर चुके थे, उसको बाहर निकालने लगे जय सियाराम जय सियाराम जय सियाराम, लोगों ने कहा बाबा जी हमको तो पहले ही doubt था कि बाबाओं का screw ढीला है, क्यों संसार को छोड़ के साधु बन गए, लेकिन आपके तो लगते हैं चारों ही ढीले हैं, पहले नदी का जल नौका में भर रहे थे, अब नौका का जल नदी में डाल रहे हैं, आपके कार्यों का कारण क्या है https://www.youtube.com/watch?v=4U-A91wjy5E&t=127 3 बाबा जी ने कहा भैया मैं तो केवल भगवान की शरणागति का प्रयास कर रहा था, अब भगवान की क्या इच्छा है, जीव को अनुमान लगाना पड़ता है, भगवत प्राप्ति के बाद तो ठीक ठीक पता चल जाए, उससे पहले तो idea लगाना पड़ता है कि भगवान की ऐसी इच्छा होगी, तो जब केवट ने कहा कि बचने का कोई hope ही नहीं, मैंने कहा भगवान चाहते हैं हम लोग मर जाए, अच्छा चलो मैं उनकी help कर देता हूं, यानी बाबा जी अपने जीवन से इतने अनासक्त कि भगवान मरवाना चाहते हैं तो मैं उनकी help करता हूं क्या प्रॉब्लम है, फिर केवट ने कहा, नहीं नहीं, भँवर तो दूर हो गया, मैंने कहा शायद भगवान mind change कर लिए या फिर मैंने ही भगवान के mind को ठीक ठीक नहीं समझा, तो इसलिए भगवान हमको बचाना चाह रहे हैं, तो फिर से उनकी help कर देता हूं, अब यह तो विनोद (हंसी) की बात हुई लेकिन सिद्धांत स्पष्ट हो गया कि उनकी इच्छा के विपरीत कुछ इच्छा मत रखना https://www.youtube.com/watch?v=4U-A91wjy5E&t=170 4 इसी के साथ तीसरी बात भी आती है, विश्वास रखना कि वह मेरी रक्षा कर रहे हैं, क्यों अरे, वह तो सभी की रक्षा करते हैं, यह चींटियों की भी करते हैं और जितने पशु पक्षी हैं, उनकी भी करते हैं, कितने अरबों खरबों पक्षी आकाश में उड़ते हैं प्रतिदिन उनको भोजन की आवश्यकता पड़ती है, भगवान सबकी व्यवस्था करते हैं, क्या आपने देखा कि यह 25 पक्षी भूख के कारण मारे गए और नीचे गिर गए ? अब खरबों चींटिया, देखिए कोई चींटी कोई भूखी जाती है क्या ? भगवान उसकी भी देखभाल करते हैं बड़े बड़े हाथी की भी, एक मन खा लेते हैं, भगवान तो विश्वंभर है, तो जो विश्व के रक्षक हैं, अगर भक्त उनकी शरण में जाएगा, भला वह उस भक्त की देखभाल क्यों नहीं करेंगे ? यह विश्वास रखना, यही विश्वास शरणागति का लक्षण है https://www.youtube.com/watch?v=4U-A91wjy5E&t=242 5 यही तो अर्जुन में था जब महाभारत युद्ध के समय भीष्म ने प्रतिज्ञा कर दी, दुर्योधन ने taunt किया, पितामह को कि आप पांडवों के साथ लिहाज कर रहे हैं, आप चाहते तो सबको मार सकते थे, आपके पास ऐसा पराक्रम है, भीष्म को बुरा लगा, भीष्म ने कहा मैं प्रतिज्ञा करता हूं कल सूर्यास्त तक या तो उनके सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर धारी अर्जुन को मार डालूंगा या फिर एक ही उपाय है उसकी रक्षा का, कि श्री कृष्ण को वचन तोड़कर शस्त्र उठाने होंगे, तो अब यह संकल्प भीष्म का घोषित हुआ लोगों को जानकारी मिल गई, श्री कृष्ण के पास भी आया तो श्री कृष्ण भी चिंता में, पूरे पांडवों के शिविर में लोग चिंता में डूबे, कल क्या होगा, श्री कृष्ण चिंता करते रात के 2 बजे विचार आया कि मैं इतना परेशान हूं कल के लिए, अर्जुन की क्या हालत होगी, मृत्यु तो अर्जुन की घोषित हुई है, चलो जाकर उसका हौसला बढ़ाऊं, वे अपने तंबू से बाहर निकले और अर्जुन जहां सोता था वहां तक पहुंचे, खर्राटों की आवाज आई, अर्जुन निश्चिंत होकर सो रहा था, श्री कृष्ण ने कहा वाह ऐसी बेपरवाही की नींद, उठाया अपने सखा को, पार्थ अर्जुन ने कहा, अरे श्याम सुंदर, आप सोए नहीं, श्री कृष्ण ने कहा तुमको पता नहीं कि क्या प्रतिज्ञा हुई है, अर्जुन ने कहा महाराज मुझे भी text मैसेज मिल गया था, तो तुझे चिंता नहीं है ? अर्जुन ने कहा देखिए महाराज मेरी रक्षा के लिए आप इतने चिंतित है, आपको दो बजे तक नींद नहीं आई, तो जब आप मेरे लिए इतने परेशान हैं फिर मैं अपने लिए क्या परेशान हो जाऊँ ? https://www.youtube.com/watch?v=4U-A91wjy5E&t=316 6 भगवान कहते हैं ऐसी शरणागति जब तुम्हारी हो जाएगी, तब जाकर वो “माम एकम शरणम व्रज” में जो शर्त रखी है गीता में, वह पूरी हो जाएगी और हम कृपा कर देंगें भगवान की गीता में रखी हुई “Abandon all varieties of religion and just surrender unto Me. I shall deliver you from all sinful reactions. Do not fear”. https://vedabase.io/en/library/bg/18/66/ https://www.youtube.com/watch?v=4U-A91wjy5E&t=467 Transcript 0:00 विश्वास रखना वो मेरी रक्षा कर रहे हैं अब 0:06 बाबा जी हमको तो पहले ही डाउट रहता कि 0:10 बाबाओ का स्क्रू ढीला है क्यों संसार को 0:13 छोड़ के साधु बन गए लेकिन आपके तो लगते 0:16 हैं चारों ही ढीले हैं आपके कार्यों का कारण 0:20 क्या है अब भगवान की क्या इच्छा है जीव को 0:25 अनुमान लगाना पड़ता ना भगवान तो विश्वंभर 0:29 हैं तो जो विश्व के रक्षक हैं अगर भक्त 0:34 उनकी शरण में जाएगा भला वह उस भक्त की 0:38 देखभाल क्यों नहीं 0:43 करेंगे एक नौका में कुछ लोग नदी पार कर 0:48 रहे थे नर्मदा को पार कर रहे थे अब 0:52 सामने भँवर आ गया केवट ने कहा कि यह नौका 0:58 भँवर की ओर खिंचती जा रही है यह मेरे कंट्रोल से 1:01 बाहर चली गई है आप लोग भगवान से प्रार्थना 1:05 करो अब तो भगवान ही 1:07 बचाए वहां पर जो 101 लोग थे नौका में हलचल 1:12 मच गया एक जो दुर्गा जी का उपासक था उसने 1:16 दुर्गा सप्त शती को निकाला उसको पढ़ने लगा 1:20 हनुमान जी के उपासक ने हनुमान चालीसा शुरू 1:23 कर दिया श्री कृष्ण भक्त अपना हरे कृष्ण 1:26 हरे कृष्ण बोले कोई जय सियाराम बोले कोई 1:30 ओम नमः 1:31 शिवाय एक साधु बाबा था नौका में उसने अपना 1:36 कमंडल लिया कमंडल होता है ना वैराग्य का 1:40 और नदी का जल लेकर नौका में भरने लग गया 1:44 जय 1:45 सियाराम जय 1:48 सियाराम जय 1:51 सियाराम लोगों ने कहा महात्मा जी आप क्या 1:54 कर रहे हैं वैसे ही इतनी नाजुक स्थिति है और आप 1:57 हमको मरवाने की व्यवस्था में लगे हैं 2:01 महात्मा जी कुछ सुना ही नहीं अपनी स्पीड 2:04 को बढ़ा दिया जय सियाराम जय सियाराम जय 2:07 सियाराम 10 मिनट के बाद केवट ने घोषणा की 2:11 कि भँवर तो दूर हो गया चिंता की बात नहीं 2:15 है बस सब ठीक है अब महात्मा जी नौका में 2:20 पानी भर चुके थे उसको बाहर निकालने लगे जय 2:23 सियाराम जय सियाराम जय 2:26 सियाराम लोगों ने कहा बाबा जी हमको तो 2:30 पहले ही डाउट रहता कि बाबाओ का स्क्रू 2:32 ढीला है क्यों संसार को छोड़ के साधु बन 2:35 गए लेकिन आपके तो लगते हैं चारों ही 2:39 ढीले हैं पहले नदी का जल नौका में भर रहे थे 2:43 अब नौका का जल नदी में डाल रहे हैं आपके 2:47 कार्यों का कारण क्या 2:50 है बाबा जी ने कहा 2:52 भैया मैं तो केवल भगवान की शरणागति का 2:57 प्रयास कर रहा था 3:00 अब भगवान की क्या इच्छा है जीव को अनुमान 3:04 लगाना पड़ता है भगवत प्राप्ति के बाद तो 3:08 ठीक ठीक पता चल जाए उससे पहले तो आईडिया 3:11 लगाना पड़ता है भगवान की ऐसी इच्छा 3:15 होगी तो जब केवट ने कहा कि बचने का कोई 3:18 होप ही नहीं मैंने कहा भगवान चाहते हैं हम 3:22 लोग मर जाए अच्छा चलो मैं उनकी हेल्प कर 3:24 देता 3:26 हूं यानी बाबा जी अपने जीवन से इतने अनासक्त 3:30 भगवान मरवाना चाहते हैं तो मैं उनकी हेल्प 3:33 करता हूं क्या 3:34 प्रॉब्लम है फिर केवट ने कहा नहीं नहीं भँवर 3:37 तो दूर हो 3:38 गया मैंने कहा शायद भगवान माइंड चेंज कर 3:42 लिए या फिर मैंने ही भगवान के माइंड को 3:46 ठीक ठीक नहीं समझा तो इसलिए भगवान हमको 3:50 बचाना चाह रहे हैं तो फिर से उनकी हेल्प 3:52 कर देता हूं अब यह तो विनोद की बात हुई 3:55 लेकिन सिद्धांत स्पष्ट हो गया कि उनकी 3:59 इच्छा के विपरीत इच्छा मत 4:02 रखना अब इसी के साथ तीसरी बात भी आती है 4:07 विश्वास रखना वह मेरी रक्षा कर रहे 4:15 हैं क्यों अरे वह तो सभी की रक्षा करते 4:20 हैं यह जो चींटिया इनकी भी करते हैं और 4:24 जितने पशु पक्षी हैं उनकी भी करते हैं 4:27 कितने अरबों खरबों पक्षी आकाश में उड़ते 4:31 हैं प्रतिदिन उनको भोजन की आवश्यकता पड़ती 4:34 है भगवान सबकी व्यवस्था करते हैं क्या 4:39 आपने देखा कि यह 25 पक्षी भूख के कारण 4:42 मारे गए और नीचे गिर 4:44 गए अब खरबों 4:48 चींटिया देखिए वह चींटी कोई भूखी जाती है 4:52 क्या? भगवान उसकी भी देखभाल करते हैं बड़े बड़े 4:56 हाथी की भी एक मन खा लेते 5:00 भगवान तो विश्वंभर है तो जो विश्व के 5:05 रक्षक हैं अगर भक्त उनकी शरण में जाएगा 5:09 भला वह उस भक्त की देखभाल क्यों नहीं 5:12 करेंगे यह विश्वास 5:16 रखना यही विश्वास शरणागति का लक्षण है यही 5:20 तो अर्जुन में था जब महाभारत युद्ध के समय 5:25 भीष्म ने प्रतिज्ञा कर दी दुर्योधन ने taunt 5:29 किया पितामह को कि आप पांडवों के साथ 5:33 लिहाज कर रहे हैं आप चाहते तो सबको मार सकते 5:37 थे आपके पास ऐसा पराक्रम 5:40 है भीष्म को बुरा लगा भीष्म ने कहा मैं 5:44 प्रतिज्ञा करता हूं कल सूर्यास्त तक या तो 5:48 उनके सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर धारी 5:52 अर्जुन को मार डालूंगा या फिर एक ही उपाय 5:56 है उसकी रक्षा का कि श्री कृष्ण को वचन 6:01 तोड़कर शस्त्र उठाने 6:04 होंगे तो अब यह संकल्प भीष्म का घोषित हुआ 6:09 लोगों को जानकारी मिल 6:12 गई वह सोशल मीडिया से वायरल चला गया और 6:17 श्री कृष्ण के पास भी आया तो श्री कृष्ण 6:20 भी चिंता में पूरे पांडवों के शिविर में 6:23 लोग चिंता में डूबे, कल क्या होगा 6:27 श्री कृष्ण चिंता करते रात के 2 बजे 6:31 विचार आया कि मैं इतना परेशान हूं कल के 6:35 लिए अर्जुन की क्या हालत होगी मृत्यु तो 6:38 अर्जुन की घोषित हुई चलो जाकर उसका हौसला 6:43 बढ़ाऊं वे अपने तंबू से बाहर निकले और 6:46 अर्जुन 6:48 जहां सोता था वहां तक 6:50 पहुंचे खर्राटों की आवाज आई अर्जुन 6:54 निश्चिंत होकर सो रहा 6:58 था श्री कृष्णा ने कहा वाह ऐसी बेपरवाही 7:03 की नींद उठाया अपने सखा 7:06 को पार्थ ने कहा अरे श्याम सुंदर आप सोए 7:12 नहीं श्री कृष्णा ने कहा तुमको पता नहीं 7:16 कि क्या प्रतिज्ञा हुई 7:18 है अर्जुन ने कहा महाराज मुझे भी text मैसेज 7:22 मिल गया था तो तुझे चिंता नहीं है अर्जुन 7:26 ने कहा देखिए महाराज मेरी रक्षा के लिए आप 7:30 इतने चिंतित है आपको दो बजे तक नींद ही 7:34 नहीं आई तो जब आप मेरे लिए इतने परेशान हैं 7:38 फिर मैं अपने लिए क्या परेशान हो जाऊँ 7:42 “व्यास भरोसे कुंवरी के सोवत पाँव पसार” 7:47 भगवान कहते हैं ऐसी शरणागति जब तुम्हारी 7:52 हो 7:53 जाएगी तब 7:56 जाकर वो “माम एकम शरणम व्रज” में जो शर्त 8:02 रखी है गीता में वह पूरी हो जाएगी और हम 8:05 कृपा कर देंगें Standby link (in case youtube link does not work): भगवान को प्रसन्न करने का सरल उपाय @SwamiMukundanandaHindi.mp4
How to do Bhakti while performing worldly duties? | Devotion through Karmyog by Swami Mukundanand
Main Points:
1 my question is how to maintain spiritual practice in material world, especially in work place where there are few negative vibes or negative people https://www.youtube.com/watch?v=EG-TTu7ggYw&t=14 2 it is not easy because until the mind is mastered, the outside environment affects it, and the mind takes on that quality - so if you are in the midst of worldly people, the mind becomes worldly, if you go in the midst of holy people the mind becomes holy that is the natural process and when even in the midst of worldly people you want to keep your mind divine then you have to work hard https://www.youtube.com/watch?v=EG-TTu7ggYw&t=44 3 that means you check your thoughts, the external work remains the same but internally we start replacing the thoughts, so whenever we are doing something, we can start changing our perspective that this world is given to me by God, as a duty let me do it as a service to Him, now the work remains the same but you have connected to Divine or another way to connect, you can think that see in even to do bhakti, I need money, so I am earning money because with this, I will be able to do bhakti, so in this way somehow or the other you tie up your thoughts with the Divine https://www.youtube.com/watch?v=EG-TTu7ggYw&t=85 4 and an easy way to do it is to practice the presence of God, so whenever you go to the office think Shri Krishna is there, my gurudev is there, they are watching me, they are my witness and my protectors, now I will work, so this consciousness will come that I am working for their pleasure, the kartitva abhiman, that I am the doer, will start getting dissolved https://www.youtube.com/watch?v=EG-TTu7ggYw&t=145 5 and as we practice, we will reach the stage of karma yoga, so karma yoga means you are doing your karma but internally you are in yoga, the mind is united in divine consciousness, all the thoughts they become imbued with God consciousness and that stage is reached through practice, practice, practice and more practice https://www.youtube.com/watch?v=EG-TTu7ggYw&t=176 Transcript 0:14 my question is how to maintain spiritual 0:17 practice 0:18 in material world especially in work 0:20 place where there are 0:21 few negative vibes or negative people 0:27 how to maintain your spiritual practice 0:30 in the workplace first of all 0:32 very happy to know that you are on this 0:34 journey connected with 0:36 jk yoga and our teachings 0:39 now to answer your question 0:44 it is not easy because 0:48 until the mind is mastered 0:51 the outside environment affects it 0:56 and the mind takes on that quality 0:59 so if you are in the midst of worldly 1:02 people the mind becomes 1:03 worldly if you go in the midst of holy 1:07 people the mind becomes holy 1:10 that is the natural process and when you 1:13 need to do the rules that even in the 1:16 midst of worldly people you want to 1:18 keep your mind divine 1:22 then you have to work hard 1:25 to get there that means 1:28 you check your thoughts 1:32 the external work remains the same 1:35 internally we start replacing the 1:38 thoughts 1:40 so whenever we are doing something we 1:43 can start 1:44 changing our perspective this world is 1:47 given to me by god 1:50 as a duty let me do it 1:53 as a service to him now the work is 1:56 remaining the same 1:58 but you have connected 2:01 or another way to connect you can think 2:04 that see in even to do bhakti i need 2:08 money 2:10 so i am earning money because 2:13 with this i will be able to do bhakti 2:17 so in this way somehow or the other you 2:20 tie up your thoughts with the divine 2:25 and an easy way to do it is to practice 2:29 the presence of god 2:32 so whenever you go to the 2:33 office 2:35 think shri Krishna is there my gurudev is 2:39 there 2:40 they are watching me they are my witness 2:44 and my protectors now i will work 2:48 so this consciousness will come and 2:50 working for their pleasure 2:52 the kartitva abhiman that i am the doer 2:56 will start getting dissolved an easy way 3:00 and as we practice we will reach the 3:04 stage of 3:05 karma yoga so karma yoga means 3:09 you are doing your karma but internally 3:12 you are in yoga the mind 3:16 is united in divine consciousness 3:26 all the thoughts they become imbued with 3:30 god consciousness 3:32 and that stage is reached through 3:34 practice 3:35 practice practice and more practice 3:38 thank you